अवनी लेखरा का जीवन परिचय – नमस्कार, दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे खिलाड़ी की जिसका नाम आज हर किसी के मुंह से सुनने को मिल जाएगा, हाल ही में भारत के कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में अपनी प्रतिभा दिखाई और भारत को कई पदक दिलाए उसके बाद टोक्यो पैराओलंपिक में भी भारत का सिक्का चमका है और पैराओलंपिक में भारत ने कई पदक प्राप्त किए हैं।
आज हम बात कर रहे हैं भारतीय महिला पैरा राइफल निशानेबाज अवनी लेखरा के बारे में जिन्होंने स्वर्ण पदक जीत भारत का नाम आगे बढ़ाया और सभी विकलांग लोगों के टूटते हौसले को मजबूत किया। आज अवनी ना सिर्फ विकलांग बल्कि हर भारतीय की प्रेरणा स्त्रोत बनी है जिन्होंने स्वयं को कमजोर नहीं पड़ने दिया और प्रथम स्वर्ण पदक विजेता भारतीय महिला पेरा राइफल निशानेबाज बनी है, तो चलिए अवनी की जीवनी को विस्तार से जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ अंत तक।
अवनी लेखरा का जीवन परिचय (सामान्य)
- नाम – अवनी लेखरा
- जन्म – 8 नवंबर 2001
- जन्म स्थान – जयपुर , राजस्थान
- पिता – प्रवीण कुमार लेखरा
- माता – श्वेता जेवरिया
- भाई – अर्णव (अवनी लेखरा की जीवनी)
प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा
अवनी लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को राजस्थान की जयपुर सिटी में प्रवीण कुमार के घर हुआ तथा उनकी माता का नाम श्वेता जेवरिया है, इनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने जयपुर के विद्यालय से अपनी पढ़ाई की और राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की है। यह शुरू से ही वकील बनना चाहती और पढ़ाई में भी काफी तेज थी, अभी ये लॉ की पढ़ाई कर रही है। Avani Lekhara Biography in Hindi
सड़क हादसा
एक बार सन् 2012 में यह अपने पिता के साथ जयपुर से धौलपुर जा रही थी इस यात्रा के दौरान एक दुर्घटना में अवनी व इनके पिता घायल हो गए इस भयंकर हादसे ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया। इनके पिता तो जल्द ही ठीक हो गए लेकिन अवनी के साथ हुआ हादसा इतना खतरनाक था की अवनी के रीड की हड्डी टूट जाने से ये 3 महीने तक अस्पताल में रही और उसके बाद भी हमेशा के लिए व्हील चेयर पर बैठ गई और उठने में असमर्थ रही।
इस हादसे के बाद उन्होंने अपने सपनों के बारे में तो सोचना ही छोड़ दिया और निराश हो गई, मगर इस कठिन समय में उनके माता-पिता ने उनका हौसला बढ़ाया उनके पिता ने उन्हें कई प्रेरणादायक किताबें पढ़ने को दी जिससे उन्हें हौसला और हिम्मत मिली और उन्होंने पैराओलंपिक खेल में अपना करियर बनाने की ठान ली।
अवनी के प्रेरणा स्त्रोत
अवनी ने सन 2012 में एक सड़क दुर्घटना में अपनी रीढ़ की हड्डी टूट जाने से हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आ गई। इस दुर्घटना के बाद 3 महीने तक अस्पताल में रहे और उसके बाद घर आकर एक कमरे में ही रहती किसी से बात नहीं करती।
इतनी कम उम्र में इतने भयंकर हादसे ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया उनकी यह हालत उनके माता-पिता से नहीं देखी गई और उन्होंने कई तरह से उनका मन बहलाने की कोशिश की परंतु हर कोशिश नाकामयाब रही। (अवनी के प्रेरणा स्त्रोत) अंत में उनके पिता ने पैराओलंपिक खेलों में शूटिंग के विजेता अभिनव बिंद्रा की जीवनी की पुस्तक लाकर दी और यह प्रयास वास्तव में चमत्कार दिखा गया इसे पढ़कर उन्हें हिम्मत और हौसला मिला और वे आज इस मुकाम पर पहुंच चुकी है।
वे अपना प्रेरणास्रोत अभिनव बिंद्रा जी को ही मानते हैं और उन्हीं से सीख लेती है। हमें भी उनसे सीख लेनी चाहिए कि हम विकलांग हो या हमारे अंदर कोई भी कमी हो लेकिन अगर हौसले बुलंद हो तो कोई बुलंदी पाने से रोक नहीं सकता है।
पैराओलंपिक में करियर
सन 2012 के सड़क हादसे के बाद वे निराश हो गई और अपने माता-पिता से भी ठीक से बात नहीं करती उनके माता-पिता ने कई प्रकार से कोशिश की परंतु उनके व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ। एक दिन उनके पिता ने उन्हें पैराओलंपिक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा की जीवनी की पुस्तक पढ़ने को दी और उन्हें भी पैराओलंपिक खेलों में अपना प्रदर्शन दिखाने को प्रोत्साहित किया। यह कोशिश कामयाब रही उन्होंने अभिनव बिंद्रा को अपना प्रेरणास्त्रोत बना लिया और एक नए हौसले के साथ खेलों में अपना करियर बनाने की सोच ली।
जगतपुरा स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में 2015 से निशानेबाजी की ट्रेनिंग लेना शुरू किया , उनके पिता ने उनके लिए कोल्हापुर से शूटिंग टेबल व बेंगलुरु से व्हील चेयर स्पेशल डिजाइन कर बनवाया। (अवनी का पेराओलंपिक में करिअर) ट्रेनिंग शुरू होने के कुछ समय बाद ही उन्होंने राजस्थान स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और अगले ही वर्ष 2016 में पुणे में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में पदक अपने नाम किया।
61वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप 2018 में अच्छा प्रदर्शन करते हुए पदक अपने नाम किए । उन्होंने अपने पिता के प्रयासों को खाली नहीं जाने दिया कई मेडल शूटिंग में जीते और आज उन्होंने टोक्यो पैराओलंपिक 2021 में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया है ।
उधार की राइफल से शानदार प्रदर्शन
अपने सड़क हादसे के बाद उन्होंने सन् 2015 में खेलों में अपना नाम बनाने की सोची और वे राजस्थान स्टेट चैंपियनशिप के लिए चुनी गई। इस चैंपियनशिप में उन्होंने अपने कोच से राइफल उधार ली और शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया।
वो कहते है न कि मंजिल एक होती है मगर उसे पाने के रास्ते कई होते हैं अवनी ने भी उधार की रायफल से शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए अपनी मंजिल की ओर एक कदम आगे बढ़ा दिया है। तब से 2021 तक उन्होंने कठिन परिश्रम और मेहनत से 5 स्वर्ण पदक और कई दूसरे पदक अपने नाम किए हैं। (अवनी लेखरा का जीवन परिचय)
टोक्यो पैराओलंपिक में प्रदर्शन
टोक्यो में आयोजित पैरा ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली अवनी ने 3 सितंबर 2021 को 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन एसएच-1 श्रेणी में 445.9 पॉइंट के साथ कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन कर दिया एवं हर भारतीय विकलांग के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गई है। (अवनी का टोक्यो पैराओलंपिक में प्रदर्शन)
10 मीटर एयर राइफल क्लास एसएच -1 में 249.6 पॉइंट बना स्वर्ण पदक अपने नाम किया । उन्होंने विश्व रिकॉर्ड तोड़ यह नया रिकॉर्ड बनाया है और पैराओलंपिक शूटिंग में भारत को प्रथम स्वर्ण पदक दिलाया है ।
अब आपको अवनी लेखरा के पूर्ण टोक्यो पैराओलंपिक खेल का समय क्रम बताते हैं -:
• 30 अगस्त 2021 – 10 मीटर एयर राइफल एसएच 1
• 3 सितंबर 2021 – 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन एसएच 1
• 4 सितंबर 2021 – 10 मीटर एयर राइफल प्रोन
• 5 सितंबर 2021 – 50 मीटर राइफल प्रोन एसएच 1
उपल्धियां
✓• 2015 में राष्ट्रीय पैराओलिंपिक शुटिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपनी पहली मंज़िल हासिल की।
✓• राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 5 स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी है।
✓• 2019 में मोस्ट प्रोमोशिंग पैराओलंपिक एथलीट का खिताब उन्होंने अपने नाम कर दिया है।
✓• 2019 में पैराशूटिंग विश्व कप दुबई में 10 मीटर एयर राइफल में रजत पदक प्राप्त कर पैराओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। (अवनी लेखरा को मिली उपलब्धियां)
✓• 2021 में पैराओलंपिक टोक्यो में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली भारतीय प्रथम महिला खिलाड़ी बनी है।
✓• राजस्थान सरकार ने इस निशानेबाज को राज्य में चल रहे अभियान “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की ब्रांड एंबेस्डर बनाने की घोषणा की है ।
✓• मुख्यमंत्री जी ने इनके लिए 3 करोड रुपए की राशि देने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
■ सुभाष राणा, चंदन सिंह, एवं जेपी नोटियाल ये सभी अवनी के कोच है।
■ ये पैराओलिंपिक खेल में शूटिंग के विजेता अभिनव बिंद्रा को अपना प्रेरणस्रोत मानती है।
■ इन्हें टी. वी. देखना, संगीत सुनना, व खाना बनाना काफ़ी पसंद है। (अवनी लेखरा बॉयोग्राफी इन हिंदी)
■ इनके पिता ने कोल्हापुर से शूटिंग टेबल व बेंगलुरु से व्हील चेयर स्पेशल डिजाइन कर अपनी बेटी के लिए बनवाया है।
■ इन्हें राजस्थान सरकार द्वारा राज्य वन विभाग में सहायक वनरक्षक के पद पर पूर्व में नियुक्त कर दिया गया।
■ अवनी की वर्ल्ड रैंकिंग 5 है ।
■ खेलों के प्रति समर्पण के लिए इन्हें गोल्डन गर्ल के नाम से जानते हैं।
FAQ
अवनी लेखरा का जन्म कब हुआ?
8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में इनका जन्म हुआ।
अवनी लेखरा के माता-पिता कौन है?
इनके पिता का नाम प्रवीण कुमार व माता श्वेता जेवरिया है।
अवनी लेखरा विकलांग कैसे हुई?
उनका 2012 में सड़क दुर्घटना में खतरनाक हादसा हो गया जिसमें उनकी रीड की हड्डी टूट गई और विकलांग हो गई।
अवनी लेखरा के प्रेरणास्त्रोत कौन है?
अभिनव बिंद्रा उनके प्रेरणा स्त्रोत है।
अवनी लेखरा के कोच कौन है?
सुभाष राणा, चंदन सिंह, एवं जेपी नौटियाल आदि अवनी के कोच है।
तो दोस्तों, आज हमने भारत का नाम रोशन करने वाली निशानेबाज अवनी लेखरा के बारे में जाना है, अवनी आज हर भारतीय विकलांग के लिए एक सिख बनी है। सिर्फ विकलांग ही नहीं अपितु प्रत्येक भारतीय को उनके हौसले और जुनून की दाद देनी चाहिए एवं सभी को उनसे कुछ न कुछ सीखना चाहिए। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताएं और लेख को शेयर अवश्य करें।
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