बिजली का आविष्कार किसने तथा कब किया

नमस्कार दोस्तों वर्तमान में विज्ञान इस संसार को अंधकार से उजाले की तरफ लाया है आज हमें आधी रात को भी अपना कार्य करने से पहले सोचना नहीं पड़ता है आधी रात का अंधेरा बस एक Switch को चालू करने में ही उजाले में बदल जाता है लेकिन पुराने समय में ऐसा नहीं था पुराने समय में लोगो को अपने सारे कार्य दिन के उजाले में ही करने पड़ते और यदि कोई आवश्यकता होती तो दीपक की रोशनी में कार्य करना पड़ता था।

बिजली की सहायता से आज हर कार्य में आसानी मिली है लेकिन बिजली कैसे बनती हैं तथा बिजली क्या काम आती हैं इन सवालों के जवाब जानने तक का सफर सरल नहीं था लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास के बाद उन्हें सफलता प्राप्त हो गई यह सफलता पूरे विश्व की थी ।

कई लोगो ने बिजली की खोज की लेकिन बिजली की खोज किसने की और कब हुई नहीं जानते है हम इस लेख में आपके सवालों के जवाब लेकर आए हैं तो अंत तक लेख को पढ़िए और हमे बताइए कि आपको हमारे लेख से जानकारी कैसी लगी।

बिजली क्या होती है

बिजली को विद्युत भी कहा जाता है, जब किसी पदार्थ में ऋण अथवा धन आवेश होता है तथा दूसरा पदार्थ जिसमें इसके विपरित आवेश होता है तब ये दोनो एक दूसरे को चुंबक की तरह आकर्षित करते हैं और इनके मध्य बिजली उत्पन्न हो जाती है। सरल भाषा में समझा जाए तो एक पदार्थ का सबसे छोटा कण परमाणु होता है जिसमे न्यूट्रॉन, प्रोटोन व इलेक्ट्रॉन होते है प्रोटॉन व न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में होते है तथा इलेक्ट्रॉन इस नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है

जब इलेक्ट्रॉन को धकेला जाता है तब वह बिजली उत्पन्न करता है। इलेक्ट्रॉन के दबाव से बिजली उत्पन्न होती हैं जब दो वस्तुओं में दाब लगाया जाए और कमजोर वस्तु में जो गर्मी उत्पन्न हो जाती है तथा वातावरण गर्म हो जाता है तब भी बिजली उत्पन्न होती है। बिजली को बंद तारो से घर घर में पहुंचाया जाता है व इससे फायदे के साथ कुछ नुकसान भी है।

Electricity का अर्थ

बिजली को अंग्रेजी में Electicity कहा जाता है, अंग्रेजी के Electricity शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के इलेक्ट्रॉन शब्द से मानी जाती है electron पदार्थ में होता है जो गति कर बिजली उत्पन्न करता है।

बिजली की खोज किसने की

आसमान में कड़कने वाली बिजली तथा घरों में आने वाली बिजली सबका आविष्कार नही हुआ है बल्कि इनकी खोज हुई है, आसमान में कड़कने वाली बिजली के बनने तथा घिरने के कारण का पता लगाया गया था और घरों में आने वाली बिजली को कई प्रयास कर उत्पन्न किया गया।

आसमान की बिजली का बैंजामिन फ्रैंकलीन ने पता लगाया उन्होंने बारिश के वक्त अपनी पतंग पर धातु की चाबी बांधकर आसमान में उड़ाया और इसी प्रयोग से उन्होंने बिजली के होने का पता लगाया इन्हे बिजली का खोजकर्ता कहा गया।

बिजली का इतिहास

आसमान की बिजली का बैंजामिन फ्रैंकलीन ने पता लगाया और उन्हें ही बिजली का खोजकर्ता भी माना जाता है लेकिन उनसे पूर्व (ईसा के 600 वर्ष पूर्व) यूनान में बिजली का पता लगाया जा चुका था।

इटली में लगभग 190 वर्षों पहले एक वैज्ञानिक हुए जिनका नाम एलेजेंड्रा वोल्टा था उन्होंने विद्युत धारा बनाने के तरीके का आविष्कार किया उन्होंने तांबे और जस्ते की छड़ को गंधक के हल्के Acid में भिगोकर उससे दुनिया की पहली विद्युत सेल बनाए उन्हें कृत्रिम बिजली के खोजकर्ता कहा जा सकता है।

1831 में ब्रिटेन के माइकल फेराडे ने विद्युत जनरेटर का निर्माण किया इस आविष्कार के बाद वास्तव में बिजली का सही उपयोग होने लगा। जनरेटर में सामान्यतः एक चुम्बक लगी होती हैं इस चुम्बक के दोनो ध्रुवों के मध्य Metal के Wire की एक कुंडली होती हैं जो लगातार तेज गति से घूमती रहती है

कुंडली के दोनो छोर को धातु के छल्लो से जोड़ा जाता है ये छल्ले कार्बन के ब्रुश से जुड़े होते है । इन कार्बन ब्रूश को विद्युत धारा के तारो से जोड़ा जाता है इसी से बिजली उत्पन्न होती हैं। ऊंचाई से पानी, भाप डाला जाता है तथा बिजली उत्पन्न हो जाती है जिससे कोई भी बिजली से चलने वाली वस्तुएं उपयोग में लाई जा सकती हैं। वर्तमान समय में पानी के स्थान पर डीजल व पेट्रोल के इंजन का भी इस्तेमाल किया जाता है।

घर तक बिजली कैसे आती हैं

आजकल हर घर में बिजली को बंद तारो द्वारा पहुंचाया जाता है लेकिन बिजली बनने से घर तक पहुंचने की क्या प्रक्रिया है वह समझते हैं भारत देश में कही पर 21 Kv (किलोवाट) की बिजली बनाई जाती हैं तो कही पर 16 Kv की बिजली बनाई जाती हैं 16 Kv की बिजली को घरों तक पहुंचाने में समस्या आती हैं अतः ज्यादातर 21 Kv का उपयोग किया जाता है।

21 Kv की बिजली को स्टेप अप ट्रांसमीटर में डालकर 232 Kv या 400 Kv से अधिक Voltage में बदला जाता है ताकि हर घर तक बिजली पहुंच सके। उत्पादित Voltage को उच्च टेंशन विद्युत तारो से बिजली को सभी विद्युत स्टेशन तक पहुंचाया जाता है, इन स्टेशन से बिजली को टावर में भेजा जाता है तथा वहा से बिजली के खम्भो के सहारे बिजली घर घर में पहुंचाई जाती हैं।

भारत के हर राज्य में कई पावर प्लांट है जो ग्रीड से जुड़े हुए हैं तथा एक राज्य के जुड़े सभी पावर प्लांट को मैन ग्रीड कहा जाता है, भारत में कुल 5 रीजनल ग्रीड है जो बिजली का उत्पादन करते हैं वे उत्तर, पश्चिम, पूर्व, दक्षिण, पूर्वोत्तर है।

पूरे भारत में बिजली वितरण

भारत में PGCIL (Power Greed Co-orporation of India) ग्रीड की व्यवस्था देखती है लगभग सभी ग्रीड 400 Kv Voltage पर कार्य करते हैं, भारत में दक्षिण से पूर्वोत्तर तक बिजली Supply की जा सकती है। ग्रीड से बिजली सभी स्टेशनों तक भेजी जाती है इन स्टेशनों पर 232 Kv व 400 Kv के Voltage को पुनः 66 Kv या 33 Kv पर लाया जाता है और इस प्रक्रिया के बाद बिजली वितरण कंपनियों को बिजली दी जाती हैं।

सब स्टेशन से बिजली वितरण कंपनियों तक आते हुए 11 Kv कम किया जाता है तथा कंपनी से वितरण ट्रांसफॉर्मर तक पहुंचने में इसे 440 वाल्ट का रखा जाता है उसके पश्चात इसे सीधा घरों में भेज दिया जाता है। सामान्यतः घरों में 230 वाल्ट का सिंगल सप्लाई कनेक्शन किया जाता है इसे भी 440 वाल्ट सप्लाई से ही लिया जाता है।

Voltage को बार बार कम ज्यादा इसीलिए किया जाता है क्योंकि बिजली को बड़े पैमाने पर एक साथ बनाकर ग्रीड में ज्यादा Voltage से बड़े बड़े स्टेशनों पर भेजा जाता है इन स्टेशनों पर Voltage को थोड़ा कम कर टॉवर पर भेजा जाता है ट्रांसफॉर्मर पर इसे और कम करके सप्लाई कनेक्शन से मीटर से हर घर में भेजा जाता है

मीटर से ही पता लगाया जाता है की कितनी बिजली की खपत की गई है। मीटर से गुजरने के बाद तांबे के तार में होते हुए पूरे घर में दीवार के पास बल्ब तथा स्विच से जुड़ी होती हैं।

सबसे अंत में बिजली के तारो को जमीन में छोड़ा जाता है जो पुरे घर की सप्लाई को Overload होने से बचाती हैं, इससे करंट लगने से बचा जा सकता है।

भारत में बिजली का उपयोग

1879 में फ्लोरी एंड कंपनी ने बिजली का प्रदर्शन कलकत्ता में किया। भारत में बिजली सप्लाई के लिए 1897 में इंग्लैंड की किलबर्न एंड कंपनी ने कलकत्ता में इंडियन इलेक्ट्रिक कम्पनी बनाई उसके बाद भारत में बिजली सप्लाई सामान्य बात बन गई। भारत में जल विद्युत परियोजनाओं से 22 प्रतिशत बिजली बनाई जाती है तथा कोयला व भूरे कोयले से 60 प्रतिशत बिजली बनाई जाती है ।

पुरे विश्व में बिजली की खपत की बात करे तो ओसत 2,429 यूनिट बिजली की खपत है जिसमें कनाडा में सबसे अधिक व भारत में सबसे कम बिजली की खपत होती है। कनाडा में 18,347 यूनिट, अमेरिकी में 13,647 यूनिट, चाइना में 2,456 तथा भारत में मात्र 734 यूनिट बिजली की खपत है।

बिजली का उपयोग बल्ब जलाने, पंखा चलाने, कुलर, फ्रिज, ए. सी., हिटर, गीजर, टेलीविजन, मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप तथा और अन्य चीजों का इस्तेमाल करने में उपयोग में ली जाती है।

गोबर से बिजली

जानवरो के वेस्ट से बनी बिजली को एनएरोबिक डाइजेशन कहते है डेयरी में गाय के 4,60,000 गोबर (कंडे) सुखाकर उससे बिजली बनाई जाती है तथा डेयरी में उसी बिजली का उपयोग किया जाता है। 2 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ में गोबर से बिजली बनाने की परियोजना शुरू की गई इसके लिए सरकार ने 2 रूपए किलो के गोबर खरीदकर कार्य शुरू कर दिया है।

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला मुख्यालय में हुए किसान सम्मेलन में CM भूपेश बघेल जी ने विश्व में ग्लोबल वार्मिंग की चिंता को जताया और राज्य में हरित ऊर्जा के उत्पादन में महिलाएं, पुरुष तथा युवाओं की भागीदारी की बात भी कही। CM भूपेश बघेल जी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के हर गांव में गोबर से बनी बिजली पहुंचेगी व उसके लिए हर घर में मवेशी को रखा जाएगा।

प्रमुख तथ्य (Important Facts)

तांबा विद्युत का सुचालक है अर्थात तांबे में विद्युत आसानी से बह सकती है इसी कारण से बिजली के तार तांबे से बने होते हैं।

विद्युत धारा के मापन की इकाई एम्पियर है इसे अमीटर से मापा जाता है।

जब किसी को करंट लगता है तब बिजली उसके शरीर का सारा जल शोख लेती है और उसका खुन गाड़ा हो जाता है इससे व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।

बिजली तथा प्रकाश दोनो की गति 299,792, 458 मीटर प्रति सैकंड है।

विद्युत विभ्वांतर को मापने की इकाई वॉल्ट है इसे वॉल्टमीटर से मापा जाता है।

धारा दो प्रकार की होती हैं -: प्रत्यावर्ती धारा (AC), प्रत्यक्ष धारा (DC)

आसमान से घिरने वाली बिजली की फ्लैश 1 से 2 इंच चौड़ी 4 से 5 मीटर लम्बी तथा 10 करोड़ वाल्ट की होती हैं, जो 1000 एम्पियर का करंट देती हैं।

विद्युत को वाल्ट (V) व किलोवाल्ट (Kv) से मापा जाता है।

भारत में एक Unit की कीमत 0.13 INR है।

ट्रांसफॉर्मर द्वारा घरों तक विद्युत प्रत्यावर्ती धारा (AC) होती हैं जबकि बैटरी में प्रत्यक्ष धारा (DC) उपयोग में ली जाती हैं।

रबर विद्युत का कुचालक (खराब संवाहक) है अतः रबर के चप्पल पहनकर बिजली को छुने से करंट धरती तक नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति को करंट नहीं लगता।

माइकल फेराडे को Father of Electricity कहा जाता है।

धरती पर एक सैकंड में 50-100 बार बिजली घिरती है तथा भारत में सबसे ज्यादा बिजली मध्य प्रदेश में घिरती है।

आसमान में बादलों में ऋणात्मक व धनात्मक आयन उत्पन्न होते हैं तथा धरती पर भी धनात्मक व ऋणात्मक आयन उत्पन्न होते है ये एक दुसरे को आकर्षित करते है और बिजली उत्पन्न होती है अर्थात बिजली घिरती है।

बिजली से संबंधित प्रश्न

1 यूनिट का अर्थ क्या है?

1 यूनिट = 1 किलोवाट – घंटा, अतः 1000 वाट का विधुत उपकरण 1 घंटा चलाने पर व्यय ऊर्जा 1 यूनिट होती है ।

बिजली के 4 प्रकार क्या हैं?

बिजली के प्रकार 1 कोयला 2 पानी 3 सौर तथा 4 पवन


मीटर नंबर से बिल कैसे निकाले?

सबसे पहले बिजली वितरण कंपनी की वेबसाइट में जाइये उसके बाद Online Bill Payment विकल्प को चुनें फिर  मीटर नंबर भरकर सबमिट करे व बाद में वेरिफिकेशन कोड वेरीफाई करें इसके बाद मिटेर नंबर से बिल चेक करे।


यूनिट कैसे निकालते हैं?

जहां 1 यूनिट = 1 kWh (इसे 1 = B.T.U = बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट के नाम से भी जाना जाता है)। उदाहरण के लिए, यदि आपने एक 1000 वाट के बल्ब को 1 घंटे के लिए जलाया, तो इसका मतलब है कि आपने एक घंटे के लिए 1000 वाट बिजली का उपयोग किया है (1 घंटे के लिए 1000 वाट = 1kWh = 1 यूनिट)।

1 यूनिट में कितने kW होते हैं?

1 यूनिट माने 1 किलोवॉट प्रति घंटा यानी कि 1000 वॉट का कोई उपकरण 1 घंटे इस्तेमाल करते हैं तो उससे 1 यूनिट बिजली खपत होती है.

करंट कितने प्रकार के होते हैं?

करंट दो प्रकार के होते है: प्रत्यक्ष धारा (DC) और प्रत्यावर्ती धारा (AC)।


बिजली का मात्रक क्या है?

बिजली का मात्रक वाट और किलोवाट होता है।

Conclusion

तो दोस्तो आज हमने बिजली की खोज किसने की तथा बिजली कैसे बनती है से लेकर घर में सप्लाई कैसे होती हैं सारी जानकारी प्राप्त की बिजली के उपकरण को सावधानी से उपयोग में लेना चाहिए आपको यह लेख केसा लगा कैमेंट कर बताए धन्यवाद।

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