ISRO के चेयरमैन के. सीवान का जीवन परिचय :- नमस्कार दोस्तो, आज हम बात करने वाले है ISRO के चेयरमैन के. सीवान के बारे में जिन्हें “रोकेट मेन” के नाम से भी जाना जाता है, वे ISRO के अध्यक्ष है। वे एक गरीब परीवार में जन्मे और आज ISRO के अध्यक्ष बन गए यह कोई मामूली बात नहीं है इससे पूरे देश को गर्व है तथा सभी युवाओं के प्रेरणास्त्रोत है। चन्द्रमा पर भारत का दूसरा मिशन ‘चंद्रयान 2’ 22 जुलाई 2019 को उनकी अध्यक्षता में लॉन्च किया गया।
आज के इस सोशल मीडीया के युग में इतनी बुलंदी प्राप्त करने के बावजूद वे सोशल मीडिया से किसी भी प्रकार कोई संबंध नहीं रखते है उनका सोशल मीडिया पर कोई भी अकाउंट नहीं है। कई विपरीत परिस्थीतीयों का सामना कर वे आज अपना नाम पूरी दुनीया में बना चुके है, उन्होंने कई ऐसे कार्य कर दिखाए जो कभी किसी ने सोचे भी नहीं।
2021 में ISRO के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल पूर्ण हो गया लेकिन जनवरी 2022 तक वे अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहें। तो चलिए दोस्तों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत तथा गरीबी से हार नहीं मानने वाले डॉ. के सीवन के बारे में, उनके परिवार, शिक्षा, करियर, तथा सम्मान के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं।
सामान्यके. सीवान का जीवन परिचय (Normal Information About Dr. K. Siwan)
- जन्मनाम – केलासवादीवू सिवन
- उपनाम – रॉकेट मैन
- जन्म – 14 अप्रैल 1957
- प्रसिद्ध नाम – के. सीवन
- जन्म स्थान – सराकल्लविलाई
- पिता – कैलासावदीवू सिवन पिल्लई
- माता – चेलमल्ल
- पत्नी – मालती सिवन
- बच्चे – सिद्धार्थ, सुशांत (रॉकेट मेन के. सीवान की जीवनी)
परिवार तथा प्रारम्भीक जीवन
केलासवादिवू सीवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को कन्याकुमारी के कल्लविलाई शहर में हुआ उनके पिता केलासावदिवू सीवन पिल्लाई एक गरीब किसान तथा माता चेलमल्ल गृहीणी है। गरीबी के कारण वे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और छोटी सी उम्र में ही पैसे कमाने के लिए काम करना पड़ा और कई मुसीबतों का सामना कर आज वे पूरी दुनीया में मशहूर हो गए।
उनके पिता के पास मात्र एक एकड़ जमीन थी जहाँ वे खेती करते और अपने परिवार का गुजारा करते उनके पिता सीवन पील्लाई को अहसास हो चुका था कि यदि बच्चे पढ़ाई नहीं करेंगे तो उनके परिवार की आर्थीक स्थीती नहीं सुधरेगी वे दिन-रात जी तोड़ मेहनत करते और अपने बच्चों को पढ़ाते। छुट्टी के वक्त के. सीवन अपने पिता के खेतों में काम में सहयोग करते थे,
एक वक्त ऐसा भी आया की उनके पास अपनी फीस के पैसे भी नहीं थे तो उन्होंने फल बेचने का काम शुरू किया और अपनी फिस भरी। (Dr. K. Siwan life style/ Bio in Hindi) उनके सामने कई मुसीबतें आई यदि वे चाहते तो अपना गुजारा मात्र खेती से करते और पढ़ाई छोड़ देते लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोडी |
डॉ. के. सीवन की पढ़ाई (Dr.K. Siwan Study)
इनकी शुरुआती शिक्षा गाँव की सरकारी स्कूल से पूरी हुई वह विद्यालय तमील मीडियम की थी इसके पश्चात उनका दाखीला कॉलेज में हो गया हिन्दु कॉलेज नागेरकोयल से माधुराई यूनिवर्सीटी से गणित विषय में स्नातक पूर्ण किया। के. सिवन स्नातक पूर्ण करने वाले अपने पुरे परिवार के एकमात्र व्यक्ति थे। 1980 में वे आगे की पढ़ाई पूरी करने मद्रास चले गए और मद्रास इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलोजी से एयरोनॉटिगल इंजिनीयरींग पूरी कि।
इसके बाद (डॉ. के. सीवन की शीक्षा) 1988 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज कॉलेज, बेंगलुक से एयरोसोस इंजिनीयरींग में स्नातकोत्तर (ME) की डीग़्री ली। इसके पश्चात 1996 में उन्होंने मुम्बई से एयरोस्पेस इंजीनीयरींग में डॉक्ट्रेट (Phd.) की उपाधी प्राप्त की। इस दौरान वे ISRO में नोकरी कर रहे थे।
के. सीवन की पत्नी तथा बच्चे (Wife & Children)
डॉ. के. सीवन की पत्नी मालती सीवन है तथा इनके दो लड़के है बड़े बेटे का नाम सिद्धार्थ सीवन तथा छोटे बेटे का नाम सुशांत सिवन है। इनका परिवार सरावल्लविलाई में ही रहता है (Dr. K. Siwan family)
डॉ. के. सीवन का करीयर (Carrier)
1982 में बेंगलुरू से स्नातकोत्तर (M.E.) की डीग्री प्राप्त करने के बाद वे ISRO से जुड़ गए तथा यही पर नोकरी करते हुए उन्होंने डॉक्ट्रेट (phd.) पूर्ण कर ली (डॉ. के सीवन का करियर) 29 अक्टुम्बर 1982 को वे विक्रम साराभाई अंतरीक्ष केन्द्र में शामिल हुए उन्होंने 1982 मे ISRO के प्रक्षेपण होने वाले यान/वाहन के विकास और डिजाइन में योगदान दिया था। उन्होंने न केवल कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने में अहम योगदान बल्की वे परियोजना के मुख्य निदेशक भी बने। उन्होंने कठीन लगन और मेहनत से कार्य किए और सफलता प्राप्त की।
आगे चलकर 2014 में वे इसरो की सुनीत लिग्वीड प्रोपल्सन प्रणाली सेन्टर के निदेशक बजे और कुछ समय बाद विक्रम सारभाई स्पेस सेन्टर के निर्देशक बन गए। वे एयरोनॉटिकल सोसाइटि ऑफ इंडिया, सिस्टम सोसाइटी ऑफ इंडिया, तथा इंडियन नेशनल एकेडमी इंडिया आदि के सदस्य रह चुके हैं। 2018 में के. सीवन को पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) प्रोजेक्ट में प्रमुख बनाया गया और के. सीवन ने मिशन प्लाबींग, डिजाइन, एनालीसीस एण्ड इंटिग्रेशन में (Dr. K. Siwan Biography in Hindi) मुख्य भूमिका नीभाई।
योगदान
के. सीवन ने अपने पुरे करियर के कई सम्मान, पुरस्कार, तथा उपलब्धी प्राप्त की जो उन्हें उनकी काबिलीयत के कारण दि गई, उन्होंने भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम मे काम आने वाले आयोजोजील इंजन के विकास में अहम योगदान दिया।
2018 में इन्होंने पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) प्रोजेक्ट पर काम किया इसी दौरान उन्होंने ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के लॉन्च होने वाले वाहनों के विकास और उनकी डिजाइन पर काम किया (ISRO के चेयरमेन के योगदान) के. सीवन को 6D प्रक्षेपक सिमुलेशन सॉफ्टवेयर SITARA के प्रमुख वास्तुकार माना जाता है।
सम्मान तथा पुरस्कार (Award list)
- 1999 में डॉ विक्रम साराभाई शोध के लिए सम्मानित किया गया
- 2007 में ISRO मेरीट पुरस्कार
- 2011 में डॉ. विरेन राय अंतरिक्ष विज्ञान का अवार्ड एलुमनी एशोसीएशन द्वारा चेन्नई की MI के पुरस्कार से पुरस्कृत किया ( Dr. K. Siwan award list)
- 2014 में चैन्नई के विश्व विद्यालय सत्यवामा द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधी
- 2018 में चेन्नई District eliminated Award से सम्मानीत किया गया।
- 2018 में पुणे के तिलक स्मारक ट्रस्ट द्वारा लोकमान्य तिलक पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
- 2018 में ‘नव युग चाणक्य पुरस्कार’ कोची के हिन्दू आर्थिक मंच द्वारा दिया गया।
- 2019 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार तमीलनाडु सरकार द्वारा दिया गया।
- 2019 “विज्ञान रत्न पुरस्कार” से पंजाब विश्वविद्यालय मे सम्मानीत किया।
- 2020 में एमिल मेमोरियल पुरस्कार से IAF (इंटरनेशनल एस्ट्रॉनोटिकल फेडरेशन) से पुरस्कृत किया।
- 2020 में IEEE के द्वारा साइमन रामो मेडल से सम्मानीत किया गया | (ISRO के चेयरमेन को मीले पुरस्कार)
- 2020 में वॉन कर्मन पुरस्कार से इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रॉनॉटिक्स द्वारा पुरस्कृत कर सम्मानीत किया।
इन सबके अलावा डॉ के सीवन कई संस्थाओ के सदस्य भी है जो की इस प्रकार है-
- INAE (इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनीयरींग),
- SSI (सीस्टम सोसाइटी ऑफ इंडिया),
- IETE (इलेक्ट्रॉनॉक्स और दूरसंचार संस्थान इंजीनीयर्स),
- AESI ( एरोबॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया),
- ISSE (इंडियम सिस्टम्स सोसाइटी फॉर विज्ञान और इंजीनीयरींग),
- INS (भारतिय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी) आदि के सदस्य है।
डॉ के. सीवन नेटवर्थ (Dr. K Siwan networth)
डॉ के सीवन की मासीक आय 2.50 लाख रुपए है तथा इनकी नेटवर्थ तकरीबन 2.5 करोड़ के आस पास है। ISRO के चिफ की रैंक IPS तथा IAS की रैंक के बराबर है। (Dr. K. Siwan networth) उनका सरकल्लाविलाई में पुराना घर है।
डॉ के सीवन सोशल मीडिया पर
ISRO के चीफ ने कई बड़े-बड़े काम कीए और अपना नाम बनाया है इन्हें सभी जानते हैं लेकिन हालही में पता चला की इतने बड़े-बड़े काम करने वाले व्यक्ति इस टेक्नोलॉजी और सोशल नेटवर्कींग के जमाने में किसी प्रकार के सोशल मीडीया अकाउंट का उपयोग नहीं करते हैं। (Dr.K Siwan Social media account)
ISRO के चिक डॉ. के सीवन
के. सीवन को ISRO के चेयरमेन के पद पर 15 जनवरी 2018 में नियुक्त किया गया तथा उनका यह कार्यकाल 2021 मे खत्म हो गया परन्तु उनके कार्य, योगदान मेहनत तथा लगन से प्रभावित होकर भारत सरकार ने जनवरी 2022 तक कार्यकाल बड़ा दिया । (ISRO के चेयरमैन का कार्यकाल)
पसन्द तथा अन्य तथ्य (Like & other Facts)
•• उन्हें यात्रा करना काफी पसन्द है।
•• उनकी पसंदीदा अभीनेत्री रेखा है
•• तथा पसंदिया अभीनेता अमिताभ बच्चन है। (India’s rocket men biography in short)
•• उन्हें खाने में साभर, वडा, तथा डोसा बेहद पसंद है ।
उपलब्धीयाँ
27 फरवरी 2017 को एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कीया गया यह एक नया विश्व रिकार्ड बना और इसमें मुख्य भुमिका निभाने वाले के. सीवन को रॉकेट मेन नाम दिया गया । (रॉकेट मेन के. सीवन की उपलब्धी)
ISRO के जरीए एक साथ 31 उपग्रहों को 2018 में प्रषेपित किया गया इनमें से 3 उपग्रह भारत के थे तथा शेष 6 देशों के 27 उपग्रह थे, इस कार्य में भी डॉ. के सीवन ने अपनी अहम भूमिका निभाई।
मिशन चंद्रयान 2 : भारत
चन्द्रयान 1 के बाद अब चंद्रयान 2 को लॉन्च कर नया इतीहास बनने वाला था 15 जुलाई को चन्द्रयान 2 लॉन्च किया जाना था परन्तु तकनीकी खराबी की वजह से यह उस दिन लॉन्च नहीं हो पाया। (मिशन चन्द्रयान 2) पूरे एक हफ्ते तक के. सीवन एवं उनकी पूरी टिम ने दिन रात जी जान लगाकर उसे पुन: ठीक किया। मिशन ‘चन्द्रयान 2’ को पुरी टिम ने 28 जुलाई 2019 को IST पर सतिश धवन अंतरीक्ष केन्द्र से 2:43 बजे जियोसीक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क lll द्वारा लॉन्च किया और यह तेजी से बढ़ने लगा।
‘चन्द्रयान 2’ के लॉन्च होने के समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी ISRO में ही थे तथा उसे पूरा देश TV पर लाइव देख रहा था। सभी मिशन को पूरा होता देखना चाहते थे और उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन चाँद पर पहुंचने के कुछ समय पहले ही ‘चंद्रयान 2’ के विक्रम लैंडर से संपर्क कट गया और वह लक्ष्य से छुट गया काफी प्रयास करने के बाद भी यह संपर्क पुनः स्थापित नहीं हो सका।
सभी उदास और निराश हो गए चारो तरफ सन्नाटा फेल गया। ISRO से जुडी टीम, अन्य प्रमुख लोगों, के साथ लाइव देख रहे समस्त देशवासी भी नीराश हो गए। यह पल काफी भावुक था जीसे महसुस किया जाना भी कठीन है और शब्दों में बताना काफी मुश्किल है। अपनी मेहनत को असफल होते देख के. सीवान काफी भावुक होकर रो पडे इस पर नरेन्द्र मोदी जी ने उनको गले से लगाकर उनका होसला बढाया और उनकी पीठ थपथपाकर उन्हें कहा की “हमें निराश नही होना है।
जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन आशा नहीं खोनी चाहिए आपने और आपकी टिम ने जो कुछ किया है वह कोई कम बात नहीं है। ISRO का यह मीशन ‘चन्द्रयान 2’ असफल रह परन्तु भारत के वेज्ञानीकों के इस प्रयास को दुनीया भर मे सराहा गया और उनके इस प्रयास की प्रशंसा की है। (डॉ के. सीवन को नरेन्द्र मोदी को गले लगाया)
FAQ
भारत के रोकेंट मेन कौन है?
डॉ के. सीवन
डॉ के. सीवन का पूरा नाम क्या है?
केलासवादीवू सीवन
डॉ. के. सीवन का जन्म कब हुआ?
14 अप्रैल 1957 को सराकल्लवीलाई में हुआ।
के. सीवन के माता-पिता कौन है ?
केलासवादीवू सिवन पिल्लई पिता है तथा चेलमल्ल माता है।
के. सीवन की पत्नी कौन है?
इनकी पत्नी मालती सीवन है।
के. सीवन के बच्चों के नाम क्या है?
इनके दो बेटे है जीनके नाम सिद्धार्थ, एवं सुशांत है।
के. सीवन ISRO से कब जुडे़?
29 अक्टूम्बर 1982 को वे विक्रम साराभाई अंतरीक्ष केन्द्र में जुड़ गए।
डॉ के. सीवन की नेटवर्थ क्या है?
तकरीबन 2.5 करोड़ रुपए के आसपास है।
क्या डॉ के. सीवन का सोशल मीडिया पर अकाउन्ट बना हुआ है?
जी नहीं।
भारत के राकेट मेन ने कितने उपग्रह एक साथ प्रषेपित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है?
14 फरवरी 2017 को 104 उपग्रह एक साथ प्रोषित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
डॉ के सिवन का मिशन ‘चन्द्रयान 2’ कब लॉन्च किया?
28 जुलाई 2019 को 2:43 बजे लांच किया।
तो दोस्तो, आपको भारत के रोकेट मेन डॉ के. सीवन के बारे में जानकर कैसा लगा कमेंट कर बताए। डॉ के. सीवन ने दुनीया में कई रिकार्ड बनाए तथा कई बड़े-बड़े कार्य कर विश्व भर में अपना नाम बनाया है , छोटे से गरीब परिवार से ISRO के चेयरमेन तक का सफर काफी लम्बा और समस्याओं से भरा था लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी और लगातार अपने प्रयास करते रहे। उनके कार्यों तथा योगदान को देखकर भारत सरकार ने उन्हें 2021 में खत्म हो रहे कार्यकाल को बढ़ाकर 2022 तक कर किया। दोस्तों हमारे लेख को अन्त तक पढ़ने के लीए धन्यवाद।
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