नमस्कार ,आज हम बात करने वाले हैं भारत की बेटी जिसने प्रथम बार अंतरिक्ष पर अपने पाव रखें जिसने अपने मन की कल्पना को वास्तविकता में सच कर दिखाया हम बात करने वाले हैं कल्पना चावला की। कल्पना चावला भारत की पहली महिला थी जो अंतरिक्ष पर गई थी। कल्पना चावला ने 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 के बीच sts-87 कोलंबिया शटल से अपनी प्रथम अंतरिक्ष उड़ान को संपूर्ण किया था।
कल्पना ने अपने करियर में अंतरिक्ष में दो बार उड़ान भरी दोनों बार कल्पना के वायुयान एक ही था। कल्पना की द्वितीय व अंतिम उड़ान स्पेस शटल कोलंबिया 16 जनवरी 2003 को आरंभ की जो कि 1 फरवरी 2003 तक वापस आते वक्त अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लैंड करने से पूर्व ही एक दुर्घटना में ग्रस्त हो गया और उस शटल में बैठे सात यात्री कल्पना समेत मर गए। कल्पना ने अपने नाम को साकार कर दिखाया और अपने सपनों की उड़ान को पूरा कर दिया।
तो आज हम उसी साहसी कल्पना चावला का जीवन परिचय जानने वाले हैं। जिसमे हम कल्पना चावला की प्रारंभिक पढ़ाई से लेकर उनको मिलने वाले अवार्ड्स आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
प्रारंभिक परिचय (कल्पना चावला का जीवन परिचय)
- नाम – कल्पना चावला
- जन्म – 1 जुलाई 1961
- जन्म स्थान – करनाल, हरियाणा
- पिता – बनारसी लाल चावला
- माता – संजयोती चावला
- भाई – संजय चावला
- बहन – दो – दिपा, सुनिता
- पती – जीन पिएरे हैरिसन
- पेशा – टेक्नोलॉजिस्ट , इंजीनियर , अंतरिक्ष यात्री
- प्रथम अंतरिक्ष यात्रा – STS-87 से 1996 में
- अंतिम अंतरिक्ष यात्रा – STS-107 से 2003
- मृत्यु – 1 फरवरी 2003 (स्पेस शटल के टूटने के कारण)
हरियाणा के करनाल में कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई 1961 में हुआ कल्पना के पिता बनारसी लाल चावला तथा माता संज्योती चावला है। कल्पना अपने परिवार में सबसे छोटी हैं। इनकी प्राथमिक शिक्षा “टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल करनाल” से पूरी हुई। कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में जाना चाहती थी और बचपन से ही एयरोनॉटिक इंजीनियर बनना चाहती थी।
परंतु कल्पना के पिता उन्हें डॉक्टर या शिक्षिका बनाना चाहते थे लेकिन कल्पना ने तो अपनी कल्पना से कुछ और ही सोच रखा था। जब कल्पना के पिता ने उन्हें बताया कि वे उन्हें शिक्षिका या डॉक्टर बनाना चाहते हैं तभी कल्पना ने उन्हें कह दिया कि नहीं मैं एक इंजीनियर ही बनूंगी। कल्पना अक्सर अपने पिता से अंतरिक्ष के बारे में पूछा करती थी और अपने अंतरिक्ष में जाने के सपने को साकार भी कर दिखाया।
कल्पना ने चुना खुद का नाम
कल्पना को जब विद्यालय में एडमिशन के लिए स्कूल लेकर गए तब वहां दाखिले के लिए उनका नाम पूछा गया। उनकी मासी ने बताया कि इसे हम घर पर “मोंटो” नाम से बुलाते हैं लेकिन दाखिले के लिए कोई नाम तय नहीं हुआ है। कल्पना की मासी ने प्राध्यापिका को तीन नाम बताएं सुनैना, कल्पना व ज्योत्सना परंतु इनमें से कौन सा नाम तय करें यह नहीं सोचा है ।
प्राध्यापिका ने मासी से कहा कि यह नाम बच्ची को ही तय करने दीजिए और प्राध्यापिका ने नन्हीं बच्ची से पूछा कि बेटा आपको कौन सा नाम पसंद है तब बच्ची ने कुछ समय सोचा और कहा कि “कल्पना”। कल्पना स्वतंत्र स्वभाव तथा हर चीज को जानने की प्रवृत्ति की है और अपना नाम स्वयं तय करने के बाद अपने नाम को सार्थक भी किया ।
कल्पना की पढ़ाई (Kalpana Chawla Education in Hindi)
कल्पना ने अपनी प्राथमिक शिक्षा को “टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल करनाल” से पूरी की। अपने बचपन की कल्पना को वास्तविक जीवन में साकार करने के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में बी. ई. में एडमिशन लिया और 1982 तक अपने “एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग” की डिग्री पा ली। “एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग” करने के बाद कल्पना ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में स्नातकोत्तर करने के लिए अमेरिका चली गई और ‘टेक्सास विश्वविद्यालय’ में एडमिशन ले लिया।
कल्पना ने 1984 में ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त कर ली । कल्पना ने 1988 में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में पीएचडी प्राप्त की और नासा के लिए काम करने में जुट गई। कल्पना 1993 में ओवरसेट मेथड्स इंक, कैलिफोर्निया में एक उपाध्यक्ष और वैज्ञानिक अनुसंधान के पद पर कार्यरत रही। 1995 में कल्पना नासा के लिए एस्ट्रोनॉट कोर्प में जुड़ गई और अपने आगे के कार्य संभालने लगी। (कल्पना चावला का जीवन परिचय)
कल्पना की उड़ान (कल्पना चावला का जीवन परिचय)
कल्पना ने अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर से शादी करने का फैसला कर लिया कल्पना ने अमेरिका के जीन पिएरे हैरिसन से शादी कर ली और यूएस की नागरिकता प्राप्त कर ली। कल्पना 1996 में कोलंबिया अंतरिक्ष यान के sts-87 शटल पर वह मिस्सीओना स्पेशलिस्ट के कार्य से गई थी। अपनी पहली उड़ान कल्पना ने इसी sts-87 कोलंबिया अंतरिक्ष यान से 1997 मैं अंतरिक्ष पर प्रथम बार गई थी।
दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के लिए कल्पना को सन 2000 में sts-107 कोलंबिया अंतरिक्ष यान से उड़ान के लिए चुना गया। 16 जनवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी उसमें 7 अंतरिक्ष यात्री थे। अपने सारे अनुसंधान को पूरा करने के बाद जब वापस लौट रहे थे तभी पृथ्वी के वायुमंडल में आते ही कोलंबिया अंतरिक्ष यान का शटल टूट गया और उसमें बैठे सारे यात्री जलकर राख हो गए ।
कल्पना की अंतिम यात्रा (कल्पना चावला का जीवन परिचय)
कल्पना चावला भारत की प्रथम महिला थी जिसने अंतरिक्ष में अपने कदम रखें और अंतरिक्ष की यात्रा पूर्ण करके वापस पृथ्वी पर आ गई। परंतु जहां प्रथम बार अंतरिक्ष पर कदम रखे वही जब दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई तो वह दूसरी और अंतिम यात्रा साबित हुई।
2003 में जब कल्पना अंतरिक्ष में गई थी वहां के सारे अनुसंधान को पूर्ण करके जब सभी अंतरिक्ष यात्री वापस लौट रहे थे तब पृथ्वी के वायुमंडल में कल्पना की कोलंबिया वायुयान का शटल टूट गया और वायुयान डगमगाने लगा। डगमगाता हुआ वायुयान पृथ्वी पर आ गिरा और जलकर खाक हो गया ।
1 फरवरी 2003 (Kalpana Chawla Death) के दिन पूरी पृथ्वी पर मानो एक त्यौहार था। सारे पृथ्वीवासि उस स्पेस की वापसी का इंतजार कर रहे थे और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वागत की तैयारियां कर रहे थे। तब सभी को चौंका देने वाली खबर मिली कि जो स्पेस आ रहा था उसका शटल टूट चुका है और उसमें बैठे सातों यात्री जलकर खाक हो गए हैं। पृथ्वी वासियों का त्योहार मातम में बदल गया और पृथ्वी ने अपने अनमोल रत्न खो दिए ।
कल्पना के अंतिम समय के साथी
1961 में हरियाणा में जन्मी नन्हीं कल्पना ने बड़ी ही मुश्किलों से अपने सपने को साकार किया है जिस समय लड़कियों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था सारी लड़कियों को चूल्हे चौके तक ही सीमित रखा जाता था उस कठिन समय में कल्पना ने अपने हौसलों को बुलंद रखा और चूल्हे चौके को पीछे छोड़ कल्पना अंतरिक्ष तक की यात्रा करके पृथ्वी पर लोटी और अपना नाम सभी पृथ्वी वासियों के दिलों दिमाग पर छाप दिया ।
फरवरी 2003 के उस मनहूस समय में जब कल्पना के स्पेस का शटल टूट कर गिर गया उस समय उनका स्पेस डगमगा गया और पृथ्वी पर गिर कर खाक हो गया। उसी अंतिम समय में कल्पना के रूम में उसके साथ और भी 6 यात्री बैठे थे।
कल्पना चावला, पायलट विलियम सी. एमसीकुल, कमांडर रीक. डी. हसबैंड, पेलोड कमांडर माइकल पी. एंडरसन., पेलोड स्पेशलिस्ट इलान रामोन, डेविड एम. ब्राउन (मिशन स्पेशलिस्ट) और लॉरेल बी. क्लार्क ये सभी यात्री उसी क्रू में बैठे थे। यह छः अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के साथ उस क्रू स्पेस में उसके अंतिम समय में कल्पना के साथ थे । कल्पना के साथ-साथ यह सभी अंतरिक्ष यात्री हमेशा हमें याद रहेंगे।
अवॉर्ड्स (Kalpana Chawla Awards in Hindi)
कल्पना चावला को मृत्यु के बाद में कई सारे पुरस्कार मिले जिनमें कुछ प्रमुख हैं-:
◆ कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर।
◆ नासा विशिष्ट सेवा पदक और नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक।
◆ कल्पना चावला की मृत्यु के बाद 2003 में भारत के प्रधानमंत्री ने मौसमी सेटेलाइट को कल्पना के नाम पर रखने की घोषणा कर दी।
◆ Met set – 1 को 12 सितंबर 2002 को लॉन्च किया गया था लेकिन प्रधानमंत्री की घोषणा का पालन करते हुए इसे कल्पना चावला के नाम पर रखा गया।
◆ Met set – 1 एक सेटेलाइट है जिसे कल्पना के नाम पर रखा गया है।
◆ कल्पना चावला की याद में NASA ने उन्हें सुपरकंप्यूटर भी भेंट किया ।
◆ यंग महिला वैज्ञानिकों के लिए कर्नाटक सरकार ने 2004 से कल्पना चावला अवॉर्ड देने की घोषणा भी की है ।
कल्पना बनी प्रेरणा
कल्पना चावला देश की प्रथम महिला है जिसने अंतरिक्ष में कदम रखे हैं। कल्पना ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। महिलाओं एवं बालिकाओं को कल्पना से कई प्रेरणाए मिलती हैं। कई बालिकाएं कल्पना को अपने प्रेरणास्रोत बनाकर अपनी कामयाबी हासिल कर रही हैं। कल्पना देश की हर बेटी के लिए प्रेरणा बनी है।
तो दोस्तों ये था कल्पना चावला का जीवन परिचय जिसे जानकर हमें यह सिखने को मिलता हैं हमें अपने सपनो को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए, भले ही उसके लिए हमें कितना भी परिश्रम क्यों ना करना पड़े।