एम सी मैरी कॉम की जीवनी~ Mary Kom Biography in Hindi

नमस्कार, आज हम बात करने वाले हैं भारत की प्रथम महिला मुक्केबाज मैरी कॉम की। मैरी कॉम छोटे से किसान परिवार में जन्मी बड़ी कठिनाई और कड़ी मेहनत से एशियाई खेल में कई सारे गोल्ड मेडल जीतने वाली प्रथम महिला मुक्केबाज जो कि भारत की बेटी है।

मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में भारत के मणिपुर में हुआ। मैरी कॉम ने 18 वर्ष की उम्र से ही मुक्केबाजी की शुरुआत कर दी मैरी कॉम विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में 5 बार विजेता बन चुकी है और कई बार गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है।

सामान्य परिचय (Mary Kom Family)

  • नाम – मंगटे चुंगनेइजंग मैरी कॉम
  • जन्म – 1 मार्च 1983
  • जन्म स्थान – मणिपुर, कांगथेई
  • पिता – मंगटे टोनपा कॉम
  • माता – मंगटे अखम कॉम
  • पति – के. ओलर कॉम
  • पुत्र – रेचुंगवार कॉम
  • व्यवसाय – मुक्केबाजी (बॉक्सर)

शुरुआती जीवन (मैरी कॉम की जीवनी)

मैरी कॉम का जन्म 1983 मार्च 1 को हुआ वह कंगथेई, मणिपुर में जन्मी। मैरी के पिता मंगटे टोनपा कॉम एक गरीब किसान थे उनकी माता का नाम मंगटे अखम कॉम था। मैरी अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी बड़ी होने के नाते वह अपने छोटे भाई बहनों को संभालती और अपने माता-पिता का खेत के कार्यों में भी हाथ बटाती छोटी सी उम्र में ही मैरी को खेत और भाई बहन सभी को संभालने में अपने माता पिता की मदद करनी पड़ी।

मैरी कॉम की पढ़ाई

मैरी ने लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल में मैरी ने छठी कक्षा तक पढ़ाई की आगे की पढ़ाई 6 से 8 तक के लिए सेंट जेवियर स्कूल में चली गई। इंफाल के आदिम जाति हाई स्कूल से मैरी ने कक्षा 9 तथा 10 की शिक्षा ली परंतु वह कक्षा 10 (मैट्रिक) की परीक्षा पास नहीं कर पाई और फिर से उसी कक्षा को पढ़ने का मैरी का मन नहीं था इसी कारण से मैरी स्कूल छोड़कर ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग इंफाल’ से आगे की पढ़ाई पूरी की।

मैरी ने चुराचांदपुर कॉलेज से स्नातक पूरा किया। मैरी ने अपनी छोटी उम्र से ही परिवार में मदद करना शुरू कर दिया वह अपने माता-पिता का खेत के कामों में भी हाथ बटाती। अपने काम के साथ-साथ मैरी ने मुक्केबाजी के लिए भी प्रयास शुरू किए परंतु इन सब के साथ उसने अपनी पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ा अपने सपनों के साथ ही अपनी पढ़ाई को भी पूरा किया। मैरी कॉम की जीवनी में अब हम मैरी के आगे के जीवन के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

आगे का जीवन

ऑनलर कोम दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई कर रहे थे उन्हीं दिनों मैरी कॉम उनसे मिली और दोनों की दोस्ती हो गई । सन 2001 से 2005 तक वे अच्छे दोस्त रहे उनकी दोस्ती बढ़ती ही गई और 2005 तक वे शादी के बंधन में बंध गए। मैरी कॉम ने 2005 में ओनलर कॉम से शादी कर ली शादी के बाद मैरी के दो जुड़वा बच्चे हुए।

बॉक्सिंग की शुरुआत

मैरी छोटे किसान परिवार में जन्मी परंतु खेलों से अपनी रूचि कम नहीं होने दी उन्हें बचपन से ही खेलों में अत्यधिक रुचि थी। मैरी ने 18 वर्ष की उम्र से ही बॉक्सिंग (मुक्केबाजी) की शुरुआत कर ली। सन 1999 में मैरी ने बॉक्सिंग का मैच खुमान लंपक स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स में पहली बार देखा। पहली नजर में मैरी को मुक्केबाजी से लगाव हो गया। उन्होंने बॉक्सिंग रिंग में लड़के तथा लड़कियों को मैच खेलते देखा तभी मन बना लिया कि मुझे यह खेल खेलना है और मैं यह कर सकती हूं।

यहीं से मैरी के बॉक्सिंग की शुरुआत हुई इसी खेल में मैरी ने अपना और भारत का नाम रोशन किया। बॉक्सिंग में शुरुआत में मैरी “बॉक्सर डिंगको सिह” से बहुत प्रभावित हुई। सन 1998 में बॉक्सर डिंगको सीह को एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल से नवाजा गया। बॉक्सर डिंगको सीह मणिपुर के ही थे यह सब देखकर मैरी ने बॉक्सर डिंगको को अपना प्रेरणास्त्रोत बना लिया। मैरी कॉम की जीवनी।

मणिपुर से मिली पहचान

मैरी को बॉक्सिंग में नाम बनाना था परंतु उस समय मणिपुर तो क्या पूरे भारत में लड़कियों के लिए बॉक्सिंग में करियर बनाना इतना आसान नहीं था। मैरी का परिवार भी उनके साथ नहीं था और मैरी के लिए उनके परिवार वालों को मनाना इतना आसान भी नहीं था। मैरी के लिए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना जरूरी था तो मैरी ने अपने परिवार को बिना कुछ बताए ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया और सिर्फ ट्रेनिंग ही शुरू नहीं कि अपना जी जान उस ट्रेनिंग में लगा दिया वह देर रात तक बॉक्सिंग रिंग में प्रैक्टिस करती रहती और

इसी कड़ी मेहनत ने उसे सन 2000 में वुमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मणिपुर में जीत मिली और कड़ी मेहनत का फल मिल गया। जब उन्हें जीत हासिल हुई तब उनका मणिपुर के सभी अखबारों में नाम प्रकाशित हुआ मैरी की बॉक्सिंग के बारे में मैरी के परिवार वालों को अखबार से ही पता चला और उनका परिवार उनकी जीत पर बहुत खुश हुआ। यहीं से मैरी को बॉक्सिंग में पहचान मिली मणिपुर से मैरी ने बॉक्सिंग में नई पहचान बना ली मैरी कॉम की जीवनी।

मैरी कॉम की बुलंदी या उपलब्धियाँ

✓. मैरी कॉम ने 18 वर्ष की उम्र से ही मुक्केबाजी की शुरुआत की अपने बॉक्सिंग के करियर की शुरुआत 2001 से इंटरनेशनल लेवल पर जीत हासिल करने से कि। मैरी ने AIBA वूमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अमेरिका में 48 किलो भार वर्ग में जीत हासिल की और सिल्वर मेडल प्राप्त कर भारत देश को गौरवान्वित किया।

✓. तुर्की में सन 2002 में द्वितीय AIBA विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैरी ने 45 किलो भार वर्ग में भाग लिया और गोल्ड मेडल हासिल किया ।

✓. सन् 2002 में ही हंगरी में “विश्व कप” आयोजित हुआ जिसमें पहले की तरह एक बार फिर मैरी ने 45 किलो भार वर्ग में जीत हासिल कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

✓. भारत में 2003 में “एशियन वूमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” आयोजित हुई जिसमें मैरी ने एक बार फिर अपना और अपने देश का नाम रोशन किया इस बार फिर मैरी ने 45 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। मैरी कॉम की जीवनी।

✓. नार्वे में 2004 में आयोजित “महिला बॉक्सिंग के विच कप” में मैरीकॉम ने अपने बेहतर प्रदर्शन के साथ गोल्ड मेडल प्राप्त किया ।

✓. ताइवन में सन 2005 में आयोजित “एशियन वूमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में एक बार फिर मैरी ने 46 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त किया ।

✓. रशिया में इसी वर्ष AIBA महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप आयोजित हुई जिसमें मैरी ने गोल्ड मेडल जीता और अपनी बुलंदी को हासिल किया मैरी यहीं नहीं रुकी और आगे बढ़ती रही।

✓. भारत में सन 2006 में आयोजित AIBA “वूमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में मैरी ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसी वर्ष डेनमार्क में आयोजित “विन्स वूमन बॉक्स कप” में गोल्ड मेडल प्राप्त किया और भारत के नाम पर चार चांद लगा दिए।

✓. भारत में सन 2008 में आयोजित “एशियन वुमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में मैरी ने सिल्वर मेडल प्राप्त किया और भारत का सीना चौड़ा कर दिया।

✓. इसी वर्ष चीन में आयोजित AIBA महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में मैरी ने 46 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त कर अपना नाम और मशहूर कर दिया।

✓. वियतनाम में सन 2009 में आयोजित “एशियन इंडोर गेम्स” में मैरी ने गोल्ड मेडल जीतकर अपने नाम को लगातार खेलों से जोड़े रखा।

✓. कजाखिस्तान में सन 2010 में आयोजित “एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में मैरी ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया और अपने आपको रुकने नहीं दिया।

✓. इसी के साथ मैरी ने इसी वर्ष एशियन गेम्स में 51 किलो भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया और AIBA “विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में निरंतरता रखते हुए पांचवीं बार गोल्ड मेडल जीता । कभी ना रुकने वाली मैरी आगे बढ़ती रही।

✓. चीन में सन 2011 में आयोजित “एशियन विमेन कप” में मैरी ने 48 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त कर भारत का नाम ऊंचा किया । मैरी उस बुलंदी को छू चुकी थी कि अब मैरी को रोकना नामुमकिन था ।

✓. मोंगोलिया में सन 2012 में आयोजित “एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में मैरी ने 51 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त किया । मैरी का कहना था कि सोना खरीदो नहीं जीतो । असल में मैरी के लिए गोल्ड मेडल जीतना बच्चों के खेल जैसा हो गया।

✓. लंदन में आयोजित ओलंपिक में मैरी ने क्वालीफाई किया और 51 किलो भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया । ओलंपिक में क्वालीफाई और 51 किलो भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त करने वाली भारत की प्रथम महिला मुक्केबाज बनी थी मैरी।

✓. इसी के साथ मैरी तीसरी भारतीय महिला थे जिन्होंने ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक प्राप्त किया और भारत का नाम सुर्खियों में ला दिया।

✓. भारत का नाम रोशन करने वाले मैरी ने एक बार फिर एशियन गेम्स में तहलका मचा दिया । साउथ कोरिया में सन 2014 में आयोजित एशियन गेम्स में विमेन फ्लाईवेट (48-52kg) वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त कर भारत के लिए नया इतिहास रचा दिया ।

✓. नई दिल्ली में सन 2018 में आयोजित AIBA महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भाग लिया और वर्ल्ड चैंपियनशिप की जीत हासिल की। मैरी कॉम की जीवनी।

पुरस्कार और कामयाबी

2001 – प्रथम बार नेशनल वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप की विजेता।
2003 – बेहद सुंदर एवं उत्कृष्ट मुक्केबाजी के लिए अर्जुन पुरस्कार।
2006 – सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पद्मश्री पुरस्कार।
2007 – राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार।
2007 – लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा पीपल ऑफ द इयर खिताब से नवाजा गया।
2008 – AIBA द्वारा “मेगनीफाइसेंट मैरी” पुरस्कार।
2008 – रिलायंस इंडस्ट्रीज और CNN-IBN के द्वारा “रियल हॉर्स अवार्ड” से नवाजा गया।
2008 – पेप्सी MTV यूथ आइकन से पुरस्कृत किया।
2009 – राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया।
2010 – स्पोर्ट्समैन ऑफ द इयर का अवॉर्ड सहारा स्पोर्टस अवॉर्ड के द्वारा दिया गया।
2012 – लंदन ओलंपिक मैं ब्रांच मेडल मिला।
2013 – पद्मभूषण।
2014 – गोल्ड मेडल (एशियाई खेलों में)
2018 – MP सरकार द्वारा वीरांगना अवार्ड से नवाजा गया।
2018 – वर्ल्ड चैंपियनशिप की विजेता रही।

Unbreakable पुस्तक

मैरी कॉम ने अपनी आत्मकथा को डीनो सरटो के साथ मिलकर लिखी और वह पुस्तक “unbreakable” नाम से प्रकाशित हुई । यह पुस्तक नाम से ही बता रही है कि मैरी कभी टूटी नहीं उन्होंने कठिन परिश्रम के बावजूद स्वयं को बुलंदी पर बनाए रखा और स्वयं को टूटने नहीं दिया । हर जीत के बाद मैरी फिर नए जोश और उमंग के साथ आगे बड़ी । हार्पर कोलिन्स ने मैरी की आत्मकथा “unbreakable” को 2013 में प्रकाशित किया।

मैरी कॉम फिल्म

मैरी कॉम के जीवन पर एक फिल्म 2014 में आई जिसका नाम “मैरी कॉम” था। इस फिल्म के लिए ओमंग कुमार ने निर्देशन की भूमिका निभाई “मैरी कॉम” फिल्म में मुख्य भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई । यह फिल्म दर्शकों को बेहद पसंद आई इस फिल्म से कई लोगों ने मैरी को अपना प्रेरणा स्त्रोत बनाया और अपनी बुलंदी हासिल की। मैरी कॉम की जीवनी।

मैरी कॉम बनी राज्यसभा की सदस्य

राज्यसभा के सदस्य के रूप में मैरी को 26 अप्रैल 2016 को नामांकित किया। भारत सरकार ने मैरी को मार्च 2017 में “युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय” द्वारा मुक्केबाजी (बॉक्सिंग) के नेशनल ऑब्जर्वर बना दिया।

संघर्ष भरा जीवन

मैरी कॉम एक गरीब परिवार से थी और उनके लिए इस बुलंदी को हासिल करने तक कई संघर्ष करने पड़े। बचपन से ही मैरी के लिए संघर्ष शुरू हो गए। सर्वप्रथम उन्हें अपने परिवार वालों को बिना बताए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेनी पड़ी जब उन्होंने अपने परिवार वालों को राजी कर लिया तब लोग अपनी मनगढ़ंत बातें करने लगे।

मैरी को गरीब और लड़की होने पर पीछे हटने को कहते परंतु मैरी ने पुरुषों को पीछे छोड़ कई बुलंदी हासिल कर लोगों के मुंह बंद कर दिए। जब मैरी की शादी और बच्चे हुए तब कई लोगों ने उन्हें कहा कि बॉक्सिंग छोड़ दें और अपने घर परिवार को संभाल परंतु मैरी ने हिम्मत नहीं हारी। मैरी ने कई मेडल जीते और भारत का नाम रोशन किया।

तो दोस्तों यह थी भारतीय महिला मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम की जीवनी, यहाँ हमने पूरा विस्तार से मैरी कॉम का जीवन परिचय बताया हैं। इससे हमें यह सिखने को मिलता हैं की कभी भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। जिससे एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।

Tushar Shrimali Jivani jano के लिए Content लिखते हैं। इन्हें इतिहास और लोगों की जीवनी (Biography) जानने का शौक हैं। इसलिए लोगों की जीवनी से जुड़ी जानकारी यहाँ शेयर करते हैं।

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