2023 निर्जला एकादशी व्रत कथा | Nirjala Ekadashi Katha in Hindi PDF

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको निर्जला एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि की पूरी जानकारी देने वाले है साथ ही इस पोस्ट में हम आपको Nirjala Ekadashi Katha in Hindi PDF का डायरेक्ट डाउनलोड लिंक भी उपलब्ध करवाने वाले है।

इस साल का निर्जला एकादशी व्रत 31 May 2023 को है और इस दिन लोगो द्वारा निर्जला एकादशी का उपवास रखा जाता है और शाम को पूजा के साथ निर्जला एकादशी कथा की जाती है। अगर आपके पास निर्जला एकादशी कथा पुस्तक उपलब्ध नहीं है तो आप इस पोस्ट के माध्यम से फ्री में Nirjala Ekadashi Vrat Katha Book in Hindi PDF Download कर सकते है।

Nirjala Ekadashi Katha in Hindi PDF Details

PDF Title निर्जला एकादशी व्रत कथा
Language हिंदी
Category सामान्य
PDF Size 146 KB
Total Pages 4
Download Link Available
Note - दोस्तों अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे है और निर्जला एकादशी व्रत कथा करना चाहते है तो नीचे दिए गए Download बटन से आप Nirjala Ekadashi Katha in Hindi की पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते है। 

निर्जला एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि इन हिंदी

निर्जला एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है जो हिंदू महीने ज्येष्ठ के वैक्सिंग पखवाड़े के 11 वें चंद्र दिवस पर पड़ता है। इस एकादशी का नाम इस दिन मनाए जाने वाले जल रहित उपवास के कारण पड़ा है।

इसे सबसे अधिक तपस्या माना जाता है और इसलिए सभी 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है। यह व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। इसके साथ ही जॉब करियर और बिजनेस में आने वाली बाधाएं भी दूर होती है इस व्रत को रखने से यहाँ का दोष भी दूर होता है।

इस बार का निर्जला एकादशी व्रत 31 मई, बुधवार को पड़ रहा है। शास्त्रों में इस व्रत को परम पुण्यदायी माना गया है। ऐसा माना जाता है की इस दिन व्रत करने का फल साल की बाकी 23 एकादशियों का व्रत करने के बराबर होता है।

निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि

निर्जला एकादशी की व्रत पूजा विधि नीचे बताई गयी है।

  • इस दिन निर्जला व्रत रखें,
  • पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान को भी पीली वस्तुएं अर्पित करें और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
  • अन्न और फलों का भी त्याग रखें। गरीब और जरूरतमंदों को दान करें।
  • अगले दिन द्वादशी में भी स्नान कर श्री हरि अन्न-जल ग्रहण व्रत को परायण करें।
  • ऐसा करने से पापों का नाश होता है।

निर्जला एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट इन हिंदी

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी , पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन और मिष्ठान आदि सामग्री शामिल होती है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा | Nirjala Ekadashi Vrat Katha

निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्त्व और व्याख्यान भी कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थः धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत कासंकल्प कराया था तब युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती है उसका वर्णन करने का आग्रह किया।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन! इसका वर्णन परम धर्मात्मा सत्यवती नन्दन व्यासजी करेंगे, क्योंकि ये सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्वज्ञ और वेद वेदांगों के पारंगत विद्वान हैं।

तब वेदव्यासजी कहने लगे, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है। द्वादशी के दिन स्नान करके पवित्र हो और फूलों से भगवान केशव की पूजा करे। फिर नित्य कर्म समाप्त होने के पश्चात् पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अन्त में स्वयं भोजन करे।

यह सुनकर भीमसेन बोले, परम बुद्धिमान पितामह! मेरी उत्तम बात सुनिये। राजा युधिष्ठिर, माता कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव, ये एकादशी को कभी भोजन नहीं करते तथा मुझसे भी हमेशा यही कहते हैं कि भीमसेन एकादशी को तुम भी न खाया करो परन्तु मैं उन लोगों से यही कहता हूँ कि मुझसे भूख नहीं सही जायेगी।

भीमसेन की बात सुनकर व्यासजी ने कहा यदि तुम नरक को दूषित समझते हो और तुम्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति अभीष्ट है और तो दोनों पक्षों की एकादशियों के दिन भोजन नहीं करना।

भीमसेन बोले महाबुद्धिमान पितामहा मैं आपके सामने सच कहता हूँ। मुझसे एक बार भोजन करके भी व्रत नहीं किया जा सकता, तो फिर उपवास परके मैं कैसे रह सकता हूँ। मेरे उदर में वृक नामक अग्नि सदा प्रज्वलित रहती है, अतः जब मैं बहुत अधिक खाता हूँ, तभी यह शांत होती है।

इसलिए महामुनि! मैं पूरे वर्षभर में केवल एक ही उपवास कर सकता हूँ। जिससे स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ हो तथा जिसके करने से मैं कल्याण का भागी हो सकूँ, ऐसा कोई एक व्रत निश्चय करके बताइये। मैं उसका यथोचित रूप से पालन करूँगा ।

व्यासजी ने कहा: भीम! ज्येष्ठ मास में सूर्य वृष राशि पर हो या मिथुन राशि पर, शुक्लपक्ष में जो एकादशी हो, उसका यत्नपूर्वक निर्जल व्रत करो। केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हो, उसको छोड़कर किसी प्रकार का जल विद्वान पुरुष मुख में न डाले, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है।

एकादशी को सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक मनुष्य जल का त्याग करे तो यह व्रत पूर्ण होता है। तदनन्तर दवादशी को प्रभातकाल में स्नान करके ब्राह्मणों को विधिपूर्वक जल और सुवर्ण का दान करें। इस प्रकार सब कार्य पूरा करके जितेन्द्रिय पुरुष ब्राह्मणों के साथ भोजन करे।

वर्षभर में जितनी एकादशियाँ होती है, उन सबका फल निर्जला एकादशी के सेवन से मनुष्य प्राप्त कर लेता है, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है। शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान केशव ने मुझसे कहा था कि यदि मानव सबको छोड़कर एकमात्र मेरी शरण में आ जाय और एकादशी को निराहार रहे तो वह सब पापों से छूट जाता है।

एकादशी व्रत करने वाले पुरुष के पास विशालकाय, विकराल आकृति और काले रंगवाले दण्ड पाशधारी भयंकर यमदूत नहीं जाते। अंतकाल में पीताम्बरधारी, सौम्य स्वभाव वाले, हाथ में सुदर्शन धारण करने वाले और मन के समान वेगशाल विष्णुदूत आखिर इस वैष्णव पुरुष को भगवान विष्णु के धाम में ले जाते हैं।

अतः निर्जला एकादशी को पूर्ण यत्न करके उपवास और श्रीहरि का पूजन करो। स्त्री हो या पुरुष, यदि उसने मेरु पर्वत के बराबर भी महान पाप किया हो तो वह सब इस एकादशी व्रत के प्रभाव से भस्म हो जाता है।

जो मनुष्य उस दिन जल के नियम का पालन करता है, वह पुण्य का भागी होता है। उसे एक-एक प्रहर में कोटि-कोटि स्वर्णमुद्रा दान करने का फल प्राप्त होता सुना गया है।

मनुष्य निर्जला एकादशी के दिन स्नान, दान, जप, होम आदि जो कुछ भी करता है, वह सब अक्षय होता है, यह भगवान श्रीकृष्ण का कथन है। निर्जला एकादशी को विधिपूर्वक उत्तम रीति से उपवास करके मानव वैष्णवपद को प्राप्त कर लेता है।

जो मनुष्य एकादशी के दिन अन्न खाता है, वह पाप का भोजन करता है। इस लोक में वह चाण्डाल के समान है और मरने पर दुर्गति को प्राप्त होता है।

जो ज्येष्ठ के शुक्लपक्ष में एकादशी को उपवास करके दान करेंगे, वे परम पद को प्राप्त होंगे। जिन्होंने एकादशी को उपवास किया है, वे ब्रह्महत्यारे, शराबी, चोर तथा गुरुद्रोही होने पर भी सब पातकों से मुक्त हो जाते हैं।

कुन्तीनन्दन! निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालु स्त्री पुरुषों के लिए जो विशेष दान और कर्तव्य विहित हैं, उन्हें सुनो उस दिन जल में शयन करने वाले भगवान विष्णु का पूजन और जलमयी धेनु का दान करना चाहिए अथवा प्रत्यक्ष धेनु या घृतमयी धनु का दान उचित है।….

पर्याप्त दक्षिणा और भाँति-भाँति के मिष्ठानों द्वारा यत्नपूर्वक ब्राह्मणों को सन्तुष्ट करना चाहिए। ऐसा करने से ब्राह्मण अवश्य संतुष्ट होते हैं और उनके संतुष्ट होने पर श्रीहरि मोक्ष प्रदान करते हैं।

जिन्होंने शम, दम, और दान में प्रवृत हो श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस निर्जला एकादशी का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियों को और आने वाली सौ पीढ़ियों को भगवान वासुदेव के परम धाम में पहुँचा दिया है। …

निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, गौ, जल, शैय्या, सुन्दर आसन, कमण्डलु तथा छाता दान करने चाहिए। जो श्रेष्ठ तथा सुपात्र ब्राह्मण को जूता दान करता है, वह सोने के विमान पर बैठकर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।

जो इस एकादशी की महिमा को भक्तिपूर्वक सुनता अथवा उसका वर्णन करता है, वह स्वर्गलोक में जाता है। चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्ध करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है, वही फल इसके श्रवण से भी प्राप्त होता है।

पहले दन्तपावन करके यह नियम लेना चाहिए कि में भगवान केशव की प्रसन्नता के लिए एकादशी को निराहार रहकर आचमन के सिवा दूसरे जल का भी त्याग करूँगा। द्वादशी को देवेश्वर भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। गन्ध, धूप, पुष्प और सुन्दर वस्त्र से विधिपूर्वक पूजन करके जल के घड़े के दान का संकल्प करते हुए निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करे।

संसारसागर से तारने वाले हे देव हृषीकेशा इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति की प्राप्ति कराइये।

भीमसेन! ज्येष्ठ मास में कलपक्ष की जो शुभ एकादशी होती है, उसका निर्जल व्रत करना चाहिए। उस दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को शक्कर के साथ जल के घड़े दान करने चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णु के समीप पहुँचकर आनन्द का अनुभव करता है। –

तत्पश्चात् दुवादशी को ब्राह्मण भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे जो इस प्रकार पूर्ण रूप से पापनाशिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त हो आनंदमय पद को प्राप्त होता है। यह सुनकर भीमसेन ने भी इस शुभ एकादशी का व्रत आरम्भ कर दिया। तबसे यह लोक में पाण्डव दुवादशी के नाम से विख्यात हुई।

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त | Nirjala Ekadashi 2023 Date And Time in Hindi

  • निर्जला एकादशी पारण

निर्जला एकादशी व्रत बुधवार, मई 31, 2023 को है जिसका शुभ मुहर्त।

  • 1वाँ जून को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 05:24am  से 08:10am
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 01:39pm

ऊपर दिए गए डाउनलोड लिंक पर क्लिक करके आप निर्जला एकादशी व्रत कथा पीडीऍफ़ को मुफ्त में डाउनलोड करने अपने मोबाइल में सेव कर सकते है।

Conclusion-

इस प्रकर दोस्तों अब तक आपको निर्जला एकादशी ब्व्रत कथा की पूरी जानकारी मिल गयी होगी साथ ही आपको इस पोस्ट से nirjala ekadashi katha in hindi पीडीऍफ़ डाउनलोड करने में कोई भी समस्या नहीं रही होगी।

अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयी है तो इसे अपने सोशल मीडिया दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे साथ ही अगर आपको हमारी इस पोस्ट से सम्बंधित कोई भी Doubts है तो हमे कमेंट करके जरूर बताये।

More PDFs:-

Leave a Comment