नमस्कार, दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं चौहान वंश में जन्म लेने वाले आखरी स्वतंत्र हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान की । पिता की मृत्यु के पश्चात मात्र 11 वर्ष की उम्र में अजमेर और दिल्ली का शासन संभालने के साथ समय के चलते अपने अधीन कई और शासन को कर लिया तो चलिए सरलता से पृथ्वीराज चौहान के जीवन परिचय को जानने का प्रयास करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय (सामान्य)
- नाम – पृथ्वीराज चौहान
- उपनाम – राय पिथोरा, पृथ्वीराज तृतीय, भारतेश्वर, हिंदूसम्राट
- जन्म – 1166
- जन्म स्थान – गुजरात
- पिता – सोमेश्वर चौहान
- माता – कर्पूरी देवी
- भाई – हरीराज
- बहन – प्रथा
- पत्नी – लगभग 17 पत्नियां जिनमें संयोगिता सबसे खूबसूरत
- बच्चे – गोविंद चौहान
- मृत्यु – 11 मार्च 1192
- मृत्यु स्थान – अजमेर राजस्थान (पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय)
जन्म तथा परिवार
भारत के इतिहास में साहसी और पराक्रमी योद्धा की बात करें और पृथ्वीराज का नाम नहीं आए तो कुछ अधूरा सा लगता है । पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में सोमेश्वर चौहान और कर्पुरा देवी के घर हुआ। सोमेश्वर चौहान चौहान वंश के क्षत्रिय शासक थे।
सोमेश्वर तथा कर्पूरा के विवाह के कई वर्षों तक कोई संतान नहीं हुई अंत में कई पूजा पाठ करने के बाद उन्हें पृथ्वीराज पुत्र के रूप में प्राप्त हुए। (पृथ्वीराज चौहान का परिवार)
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में गुजरात में सोमेश्वर तथा कर्पूरा देवी के घर हुआ। पृथ्वीराज चौहान के छोटे भाई का नाम हरीराज तथा छोटी बहन का नाम प्रथा है।
शिक्षा
पृथ्वीराज चौहान ने महज 5 वर्ष की उम्र में “सरस्वती कंठाभरण विद्यापीठ” अजमेर से शिक्षा प्राप्त की साथ ही युद्ध कला और शस्त्रविद्या की शिक्षा भी ग्रहण की । युद्ध कला एवं शस्त्र विद्या की शिक्षा उन्होंने श्री राम जी से ग्रहण की । (पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा)
अपने बचपन में ही पृथ्वीराज चौहान ने एक अद्भुत कला सीख ली और उसमें निपुणता भी प्राप्त की उस कला का नाम है शब्दभेदी बाण की कला। वे शब्दभेदी बाण चलाने की कला में निपुण थे साथ ही साहसी भी थे। एक बार तो उन्होंने बिना हथियार के एक सिंह को मार दिया।
बचपन में ही बहादुर, साहसी, पराक्रमी, वीर और युद्ध तथा शस्त्र कला में निपुणता का परिचय दिया करते थे पृथ्वीराज चौहान।
तोमर वंश के शासक अनंगपाल की पुत्री के पुत्र चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के बचपन के सबसे अच्छे मित्र थे। चंदबरदाई उनका एक भाई की तरह साथ निभाते और ख्याल रखते थे। चंदबरदाई आगे चलकर दिल्ली के शासक बने और दिल्ली में पुराने किले के नाम से प्रसिद्ध पिथौरागढ़ का निर्माण चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने मिलकर करवाया है । (पृथ्वीराज चौहान की बायोग्राफी हिंदी में)
शासक तथा साम्राज्य
मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही पृथ्वीराज चौहान के सर से पिता का सहारा हट गया सोमेश्वर चौहान की एक युद्ध में मृत्यु हो गई । पिता की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान अजमेर के उत्तराधिकारी बन गए एवं वे अपनी संपूर्ण प्रजा के लिए एक आदर्श शासक की तरह सबकी उम्मीदों पर खरे उतरे। (पृथ्वीराज चौहान का अजमेर पर शासक)
पृथ्वीराज चौहान की मां अपने पिता की इकलौती पुत्री थी इस कारण से उन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें अपने साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की सोची। 1166 में पृथ्वीराज चौहान के नाना की मृत्यु के पश्चात उन्हें दिल्ली के राज सिंहासन पर बैठा दिया गया।
(पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर शासक)
पृथ्वीराज चौहान अजमेर और दिल्ली के शासक बन चुके थे और एक-एक करके अपने साम्राज्य का मजबूती से विस्तार किया। वे एक वीर योद्धा, महान, लोकप्रिय शासक बनकर पहचाने गए।
चौहान की विशाल सेना
पृथ्वीराज चौहान के पास बेहद विशाल सेना थी जिसमें लगभग 300 हाथी एवं 3 लाख सैनिकों के साथ ही घोड़ों की भी विशाल सेना थी। पृथ्वीराज चौहान की सेना बेहद विशाल और मजबूत थी अपनी मजबूत सेना के सहारे उन्होंने कई युद्ध जीते और अपनी सेना और राज्य का विस्तार किया। (पृथ्वीराज तृतीय की सेना)
महान शासक और कुशल योद्धा पृथ्वीराज चौहान के पास नारायण युद्ध में 500 हाथी, 2 लाख घुड़सवार सैनिक और बहुत से सैनिक शामिल थे।
संयोगिता से विवाह
पृथ्वीराज चौहान की वीरता और साहस के किस्से चारों दिशाओं में गूंज रहे थे तभी कन्नौज के राजा जयचंद की बेहद खूबसूरत पुत्री संयोगिता ने भी पृथ्वीराज की वीरता, बहादुरी और साहस के किस्से सुने और उन पर आकर्षित हो गई। संयोगिता पृथ्वीराज चौहान से बिना कभी मिले ही मात्र तस्वीर देख प्रेम कर बैठी। (पृथ्वीराज चौहान का विवाह)
संयोगिता के पिता ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए स्वयंवर रखा जो कि अश्वमेध यज्ञ के पश्चात होना था। राजा जयचंद ने संपूर्ण भारत पर अपना शासन चलाने की इच्छा से अश्वमेघ यज्ञ का शुभारंभ किया परंतु पृथ्वीराज चौहान इनके विरुद्ध खड़े हुए और जयचंद का विरोध किया।
इस विरोध से पृथ्वीराज के प्रति जयचन्द के मन में घृणा और बढ़ गई और पृथ्वीराज को अपमानित करने के लिए अपनी पुत्री के स्वयंवर में पृथ्वीराज के अलावा सभी छोटे-बड़े राजाओं को आमंत्रित किया। सिर्फ आमंत्रित ना करके है अपमानित नहीं किया बल्कि द्वारपाल के स्थान पर पृथ्वीराज की मूर्ति लगवा कर उन्हें अपमानित किया गया। (पृथ्वीराज चौहान का अपमान)
जब संयोगिता को इस बात की खबर मिली कि उसके प्रेमी पृथ्वीराज चौहान को आमंत्रण नहीं भेजा गया है तब उन्होंने स्वयं अपने दूत को पृथ्वीराज के पास भेजा।
स्वयंवर के शुरू होने पर राजकुमारी अपनी इच्छा के व्यक्ति के गले में हार पहनाकर वर का चयन कर सकती थी। संयोगिता हाथों में हार लिए एक-एक कर सभी राजाओं के सामने से गुजर रही थी तभी उनकी नजर पृथ्वीराज की मूर्ति पर पड़ी और उन्होंने मूर्ति के निकट जाकर पृथ्वीराज की मूर्ति को हार पहना अपने वर के रूप में चुन लिया।
तभी उधर से पृथ्वीराज चौहान भी दूत की खबर सुनकर वहां आ गए और सभी राजाओं को युद्ध के लिए ललकार कर संयोगिता को अपने साथ लेकर अपनी राजधानी दिल्ली के लिए चल दिए। (पृथ्वीराज चौहान की पत्नी)
इस पर स्वयंवर में आए सभी राजाओं को बेहद अपमानित महसूस हुआ और जयचंद के गुस्से की सीमा नहीं रही। जयचंद ने बदले की आग में अपनी सेना को उनके पीछे लगाया परंतु वीर और साहसी पृथ्वीराज को कोई रोक नहीं पाया।
इस विवाह के बाद 1189 और 1190 में पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के मध्य भयंकर युद्ध हुआ जिसमे दोनों की सेना का भारी नुक़सान हुआ और कई लोगो ने अपनी जान गवा दी।
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के मध्य युद्ध
पृथ्वीराज चौहान और गौरी के मध्य 18 बार युद्ध हुए जिनमें 17 बार लगातार चौहान जीते और युद्ध समाप्त होने पर हर बार गोरी चौहान से माफी मांग लेता और बच जाता। हर बार हार का मुंह देखने के बाद फिर से युद्ध करने आ जाता और हार कर माफी मांग अपनी जान बचा लेता था। (पृथ्वीराज चौहान के युद्ध)
18 युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण युद्ध 2 युद्ध थे जिनमे पहला युद्ध तराइन का प्रथम युद्ध जो कि 1191 ई. को हुआ जिसमें मोहम्मद गौरी की पराजय और पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई। (तराइन का प्रथम युद्ध)
और दूसरा युद्ध तराइन का द्वितीय युद्ध जो कि मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य 1192 ई. को हुआ एवं इसमें पृथ्वीराज चौहान की पराजय और मोहम्मद गौरी की विजय हुई। (तराइन का युद्ध किस किसके मध्य हुआ)
वास्तविकता में अंतिम युद्ध को भी गोरी ने छल और कपट से ही जीता उसने पृथ्वीराज को धोखे से बंदी बना लिया। अंतिम युद्ध में संयोगिता के पिता जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान से अपना पुराना बदला लेने के लिए गोरी से हाथ मिला लिया।
जयचन्द ने गोरी को बताया कि सुबह की आरती के समय पृथ्वीराज चौहान तथा उनकी सेना बिना हथियार के होगी तो मौके का फायदा उठाते हुए उसी वक्त हमला कर देना और गोरी ने ऐसा ही किया। (पृथ्वीराज चौहान की संपूर्ण जीवनी) मोहम्मद गोरी ने सेना की 5 टुकड़िया तैयार की और पृथ्वीराज चौहान की सेना को घेर लिया। हथियार के अभाव के कारण सारे सैनिक मारे गए और पृथ्वीराज को बंदी बनाकर अरब ले जाया गया।
नहीं झुका चौहान
युद्ध से बंदी बनाकर पृथ्वीराज चौहान को अरब ले जाया गया और उन्हें कई मानसिक व शारीरिक यातनाएं भी दी जाने लगी। पृथ्वीराज चौहान के साथ उनके सखा कवि चंदबरदाई को भी अरब लाया गया था। (पृथ्वीराज चौहान को दी गई यातनाएं)
कई यातनाओं के पश्चात भी वीर पराक्रमी योद्धा गोरी के आगे नहीं झुका बल्कि इसके विपरीत गोरी के आंख में आंख डालकर देखता रहा। गोरी ने आंखें जुकाने को कहा परंतु चौहान राजपूत की शान के लिए मरने को तैयार था परंतु जुकने को नहीं इस पर क्रोधित होकर गोरी ने गर्म लोहे की सलाखों से चौहान की आंखें फोड़ने का आदेश दिया।
चौहान की आंखें फोड़कर उसमें मिर्च डालकर भी यातनाएं दी गई और इस्लाम धर्म अपनाने को भी मजबूर किया गया परंतु राजपूत वीर योद्धा कभी नहीं झुका।
चौहान की मृत्यु
मोहम्मद गोरी ने चौहान को कई यातनाएं दी परंतु चौहान नहीं झुका तो अंत में गोरी ने चौहान को मृत्युदंड देने का फैसला किया इस पर चौहान ने कहा कि मैंने तुम्हें 17 बार माफ किया तुम बस मेरी अंतिम इच्छा पूरी कर दो “मुझे अंतिम बार शब्द भेदी बाण की कला दिखाने का मौका दो”। (पृथ्वीराज तृतीय का जीवन परिचय)
गोरी ने इस कला के बारे में सुना तो था एक बार देखना भी चाहता था तो उसने चौहान की इच्छा मान ली।
गजनी के एक आयोजन में उन्हें यह कला दिखाने का मौका दिया गया भरी सभा में चौहान के सखा कवि चंदबरदाई ने चौहान को एक दोहे के माध्यम से गोरी का स्थान (जहां गोरी बैठा था) बता दिया दोहा सुनकर गौरी ने “शाबाश” कहा और आवाज सुनते ही अंधे पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण चला दिया और गौरी की मृत्यु हो गई। (पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु)
गोरी की हत्या के पश्चात अपनी दुर्गति से बचने के लिए चौहान और चंदबरदाई ने तलवार से गर्दन काटकर आत्महत्या कर ली।
चौहान पर आधारित टेलीविजन कार्यक्रम और फिल्म
★ पृथ्वीराज फिल्म 4 नवंबर 2021 को आने वाली है जिसने अक्षय कुमार – पृथ्वीराज चौहान का और मानुषी छिल्लर – संयोगिता/संयुक्ता की भूमिका निभाएंगी। (पृथ्वीराज फिल्म)
★ धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान नाम का एक टेलीविजन कार्यक्रम स्टार प्लस पर मुख्य रूप से पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के प्रेम की कहानी को दिखाता है । (पृथ्वीराज चौहान टी वी सीरियल)
प्रमुख बिंदु
✓● शब्दभेदी बाण – बाण चलाने वाला सामने वाले की हल्की से हल्की हलचल की आवाज को सुनकर बाण चलाते हैं कई बार तो पानी की हलचल से भी सही बाण चलाना होता है।
✓● जन्म – पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 को गुजरात में सोमेश्वर व करपुरी देवी के घर चौहान वंश में हुआ।
✓● मृत्यु – पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु 11 मार्च 1192 को राजस्थान में अजमेर में हुई तथा यही उनकी समाधि स्थल भी है। (पृथ्वीराज चौहान की जीवनी 10 लाइन में)
✓● संयोगिता का जोहर – पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की खबर सुनकर उनकी रानी संयोगिता ने लाल किले में गर्म आग में कूदकर जोहर कर लिया।
✓● दिग्विजय अभियान – पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध की नीति के आधार पर एक अभियान चलाया जिसका नाम “दिग्विजय अभियान” था। इस अभियान में उन्होंने भादानक देशीय को 1177 में
, जेजाकभुक्ती शासक को 1182 में, और चालुक्य वंश शासक को 1183 में परास्त कर लिया था।
✓● डाक टिकट – भारत सरकार द्वारा पृथ्वीराज चौहान की स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट 31 दिसंबर 2000 को जारी किया गया ।
✓● भाषा ज्ञान – पृथ्वीराज चौहान को प्राकृत, मागधी, संस्कृत, पैशाची, अपभ्रंश और शौरसेनी भाषा का अच्छा ज्ञान था। इसी के साथ उन्हें वेदांत, गणित, इतिहास, मीमांसा, पुराण, चिकित्सा शास्त्र और सैन्य विज्ञान का भी ज्ञान प्राप्त था। (पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय)
✓● पृथ्वीराज चौहान के कवि चंदबरदाई ने हिंदी साहित्य की सबसे श्रेष्ठ व प्रथम महाकाव्य “पृथ्वीराज रासो” की रचना की है।
✓● “पृथ्वीराज रासो” में 1165 से 1192 तक का पृथ्वीराज के चौहान के जीवन का संपूर्ण लेखा-जोखा मिलता है।
✓● जब चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के साथ अरब गए तब “पृथ्वीराज रासो” को अपने पुत्र जल्हड़ बरदाई को देकर पूरी करने का आदेश देकर गए थे। (“प्रथ्विराज रासो” काव्य किसने लिखा)
तो दोस्तों, आज हमने पृथ्वीराज चौहान के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर, पराक्रमी और बहादुर योद्धा जैसे और कई योद्धा भारत में जन्मे है यह भारत के लिए बड़े गौरव की बात है। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु भी एक धोखा थी परंतु पृथ्वीराज चौहान अंत तक नहीं झुके। पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता ने पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद जोहर कर लिया यह भी हमने जाना। तो आपको यह जीवनी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और लाइक जरूर करें।