रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय। Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi

Ramdhari Singh Dinkar in Hindi:- नमस्कार, दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं आधुनिक युग के वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में विख्यात कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के बारे में दिनकर सुप्रसिद्ध कवि के साथ-साथ निबंधकार व श्रेष्ठ लेखक भी थे। छायावादोत्तर कवियों की पीढ़ी में प्रथम पीढ़ी के कवि थे दिनकर।

दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से अपनी कविताओं में विद्रोह तथा क्रांति के साथ ही श्रृंगार की कोमल भावनाओं को भी अभिव्यक्त करते थे। स्वतंत्रता के पूर्व उन्हें विद्रोही कवि कहा गया किंतु स्वतंत्रता के पश्चात इन्हें राष्ट्र कवि के रूप में जाना गया तो चलिए राष्ट्र कवियों में से एक प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं।

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय (सामान्य)

  • नाम – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
  • जन्म – 24 सितंबर 1908
  • जन्म स्थान – सिमरिया गांव बिहार
  • पिता – रवि सिंह (किसान)
  • माता – मनरूप देवी
  • मृत्यु – 24 अप्रैल 1974
  • मृत्यु स्थान – चेन्नई (राष्ट्रकवि दिनकर जी की जीवनी)

प्रारंभिक जीवन तथा बचपन

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के सिमरिया गांव में हुआ उनके पिता रवि सिंह सामान्य किसान तथा उनकी माता मनरूप देवी थी। दिनकर के पिता की मृत्यु के समय वे मात्र 2 वर्ष के ही थे। पिता के गुजर जाने के बाद सभी भाई – बहनों की जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गई।

दिनकर की बाल्यावस्था तथा किशोरावस्था गांव में ही बीती, यहां दूर-दूर तक खेतों में हरियाली फैली हुई, आम के बगीचों का विस्तार तथा बांस के झुरमुट फैले हुए थे। प्रकृति का यह प्राकृतिक सौंदर्य दिनकर के मन को छू गया और शायद इसी कारण अपनी असलियत जिंदगानी के ठोसपन का उन पर ज्यादा प्रभाव पड़ा।

शिक्षा

अपनी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत में 1 पंडित से लेना प्रारंभ किया इसके बाद की ‘प्राथमिक शिक्षा’ गांव के ‘प्राथमिक विद्यालय’ से ही प्राप्त कर ली। इसके पश्चात उन्होंने बोरो नाम के एक गांव में ‘राष्ट्रीय मीडिया स्कूल’ में प्रवेश लिया। यह स्कूल सरकारी शिक्षा व्यवस्था के विरोध में शुरू किया गया था इसी स्कूल से दिनकर के मनोमस्तिष्क में राष्ट्रीयता की भावना का अंकुर फूटने लगा था। ‘मोकामाघाट हाई स्कूल’ से इन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की। (रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा)

इसी दौरान इनका विवाह हो गया तथा यह 1 पुत्र के पिता बन गए। 1928 में इन्होंने अपनी मैट्रिक पूरी की तथा 1932 में पटना विश्वविद्यालय में इतिहास में बीए ऑनर्स पूरा किया इसके अगले ही वर्ष में एक स्कूल के अध्यापक के पद पर नियुक्त हो गए। Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi.

पद तथा कार्यकाल

◆ बीए ऑनर्स पूरा करने के बाद एक स्कूल में अध्यापक बने।

◆ बिहार सरकार की सेवा में 1934 – 1947 तक प्रचार विभाग और सब – रजिस्टार के उप निदेशक पद पर कार्यरत रहे।

◆ 1947 में हिंदी के प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष बनकर मुजफ्फरपुर के बिहार विश्वविद्यालय में आए।

◆ 1952 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में प्रथम संसद में ही चुने गए और दिल्ली पहुंच गए।

◆ भागलपुर विश्वविद्यालय में 1964 – 1965 ई. तक कुलपति के पद पर कार्यरत रहे।

◆ भारत सरकार के आदेश से दिल्ली आए तथा 1965 – 1971 ई. तक हिंदी सलाहकार नियुक्त कर दिया। (राष्ट्रकवि दिनकर की बायोग्राफी हिंदी में)

4 वर्ष में 22 बार तबादला

बिहार सरकार की सेवा में 1934 -1947 तक प्रचार विभाग और सब रजिस्टार के उप निदेशक पद पर कार्यरत रहे लगभग 9 वर्ष तक वे इस पद पर कार्यरत रहे। इनका संपूर्ण कार्यकाल बिहार के गांवों में बीता उनका बचपन भी बिहार के गांव में ही बीता उन्होंने अपने बचपन में जीवन का जो पीड़ित रूप महसूस किया तथा देखा अब तो वह और भी बिगड़ गया अब उसका और तीखा रूप दिनकर के मन को आग लगा गया।

फिर यह आग रेणुका और हुंकार नामक रचनाओं में उतर पड़ी। इनकी यह रचना इधर-उधर प्रकाशन में आ गई और अंग्रेज प्रशासकों को समझ आ गया कि अपने तंत्र का अंग कोई गलत आदमी बन गया है और वह दिनकर है । फिर क्या होना था दिनकर की फाइल तैयार होती रही हर बात पर चेतावनी दी जाने लगी, कैफियत तलब होने लगी और 4 वर्ष में 22 बार दिनकर का तबादला कर दिया गया। (अंग्रेज़ प्रशासन का रामधारी सिंह ‘दिनकर’ पर प्रभाव)

प्रमुख कृतियां

दिनकर एक मानववादी एवं प्रगतिवादी कवि के रूप में उभरे तथा ऐतिहासिक घटनाओं को तेजस्वी एवं उग्र शब्दों का ताना-बाना दिया दिनकर ने आर्थिक व सामाजिक शोषण व समानता के विरुद्ध कविताओं की रचना की है। दिनकर की बेहद रचनाएं वीर रस की है कवि भूषण के बाद वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि उन्हें ही माना जाता है।

दिनकर की कृतियों को दो भागों में बांटा गया है:- 1. काव्य कृतियां तथा 2. गद्य कृतियां

काव्य कृतियों में दिनकर के प्रमुख काव्य संग्रह तीन है :- रेणुका (1935), हुंकार (1938), रसवंती (1939)

दिनकर – क्रांतिकारी कवि

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ राष्ट्रकवि होने के साथ उनके वीर रस से ओत-प्रोत कविताओं में राष्ट्रीय चेतना का सृजन भी किया है और उनकी इन्हीं रचनाओं ने उन्हें क्रांतिकारी कवि बनाया। रामधारी सिंह दिनकर की कहानी।

70 के दशक में पूर्ण क्रांति का दौर चलते हुए इनकी क्रांतिकारी कवि होने की मिसाल देखने को मिलती है लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों के सामने “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” दिनकर की इन पंक्तियों से तेज आवाज में उद्घोष किया तथा तत्कालीन सरकार के विरूद्ध विद्रोह की शुरूआत की।

उसी दौरान जयमेजय नामक प्रसिद्ध कवि ने ‘भाषा’ के संग बातचीत में बताया कि “आजादी तथा चीन के हमले के साथ दिनकर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनता के बीच राष्ट्रीय चेतना को बढ़ाने का कार्य किया है”। (रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी)

सम्मान तथा उपलब्धियां

★ कुरुक्षेत्र के लिए उत्तर प्रदेश तथा भारत सरकार से काशी नागरी प्रचारिणी सभा का सम्मान मिला।

★1952 में राज्यसभा सदस्य के लिए चुना तथा लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।

★1959 में साहित्य अकादमी से नवाजा गया। (संस्कृति के चार अध्याय के लिए)

★ 1959 में पद्म विभूषण से भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा सम्मानित किया गया।

★ डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित (बिहार के राज्यपाल जाकिर हुसैन और भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति द्वारा)

★ विद्या वर्चस्पति के लिए गुरु महाविद्यालय ने दिनकर का चुनाव किया।

★ 1968 में साहित्य चूड़ामणि से सम्मानित (राजस्थान विद्यापीठ द्वारा)

★ 1972 में उर्वशी रचना के लिए ज्ञानपीठ से सम्मानित।

★1999 दिनकर की स्मृति में डाक टिकट जारी किए गए।

★ दिनकर की जन्म शताब्दी के अवसर पर केंद्रीय प्रसारण व सूचना मंत्री द्वारा ‘रामधारी सिंह दिनकर – व्यक्तित्व और कृतित्व’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।

★ उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण भी उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।

★कालीघाट विश्वविद्यालय में भी आप की जन्म शताब्दी के अवसर पर दो दिवसीय सेमीनार को आयोजित किया गया।

रामधारी सिंह दिनकर से जुड़े प्रमुख तथ्य

✓• हिंदी साहित्य राष्ट्रकवि दिनकर संस्कृत,उर्दू,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषाओं के अच्छे जानकार हैं।
✓• 1999 में आप की स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किए।
✓• उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर की बांग्ला की रचनाओं को हिंदी में अनुवादित किया है।
✓• वे रविंद्र नाथ टैगोर तथा अल्लामा इकबाल को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे तथा बापू के मुरीद थे।
✓• दिनकर को राजनीति शास्त्र, दर्शन शास्त्र, तथा इतिहास अपने छात्रजीवन के पसंदीदा विषय थे कुछ समय बाद साहित्य में रुचि बढ़ गई।
✓• दिनकर जी की लगभग 50 कृतियां प्रकाशित हुई। (कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के प्रमुख तथ्य)

जन्म – 24 सितंबर 1908 बिहार के सिमुरिया गांव में।

मृत्यु – 24 अप्रैल 1974 को चेन्नई में।

तो दोस्तों ,आज हमने एक महान क्रांतिकारी तथा राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय के बारे में विस्तार से संपूर्ण जानकारी प्राप्त की है। किस प्रकार उन्होंने अपने वीर रस की रचनाओं से जनता की राष्ट्रीय चेतना को बढ़ाया और क्रांतिकारी कवि का रूप ले लिया दिनकर जी की कृतियों को भी देखा तथा उन्हें मिले सम्मान को भी जाना।

Tushar Shrimali Jivani jano के लिए Content लिखते हैं। इन्हें इतिहास और लोगों की जीवनी (Biography) जानने का शौक हैं। इसलिए लोगों की जीवनी से जुड़ी जानकारी यहाँ शेयर करते हैं।

Leave a Comment