सुंदर पिचाई का जीवन परिचय- नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं वरिष्ठ प्रोद्योगिकी कार्यकारी एवं वर्तमान में गूगल कंपनी के सीईओ पद पर कार्यरत सुंदर पिचाई के बारे में भारत में एक गरीब परिवार में जन्मे पिचाई को अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा 2004 में गूगल को ज्वाइन करने के बाद कढ़ी मेहनत और लगन से काम किया और आज वे गूगल के सीईओ का पद संभाल रहे हैं।
तमिलनाडु के एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाले पिचाई ने अपने करियर के आगे गरीबी को बाधा नहीं बनने दिया बल्कि हर परेशानी और तकलीफ में नए तरीके से सोच कर कुछ नया आविष्कार या खोज कर ली और ना सिर्फ स्वयं की परेशानी दूर की बल्कि पूरी दुनिया के लिए नई सोच को खोज निकाला है।
आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण दो कमरे में से एक कमरा किराए पर दिया और दूसरे में पूरा परिवार रहता इतना ही नहीं स्कॉलरशिप से अपनी पढ़ाई पूरी और पिता के एक साल की तनख्वाह एडवांस में लेकर हवाई जहाज की एक टिकट ली और अपनी पढाई पूरी कर आज इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि
अपने एक महीने की तनख्वाह में कई सारे हवाई जहाज खरीद सकते हैं तो चलिए एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ कैसे बने और उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे आज उन्हें पूरी दुनिया जानती है विस्तार से जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहिए और अंत में जरूर बताए कि आपको लेख कैसा लगा है।
सुंदर पिचाई का जीवन परिचय (सामान्य)
- नाम – पिचाई सुंदरराजन
- प्रसिद्ध नाम – सुंदर पिचाई
- जन्म – 12 जुलाई 1972
- जन्म स्थान – तमिलनाडु
- पिता – रघुनाथ पिचाई
- माता – लक्ष्मी पिचाई
- पत्नी – अंजलि पिचाई (sundar pichai wife)
- बच्चे – काव्या पिचाई, किरण पिचाई
- सुंदर पिचाई की जीवनी
प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा
इनका जन्म तमिलनाडु के मदुरै शहर में रघुनाथ पिचाई के घर में हुआ जो कि पेशे से विद्युत इंजीनियर थे तथा माता लक्ष्मी पिचाई स्टेनोग्राफर थी। ये एक गरीब परिवार में रहते जहां टीवी, फोन, और गाड़ी जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी यहां तक कि उन्होंने अपने दो कमरों के घर में से एक कमरा किराए पर दे रखा था जिसके पैसों से घर खर्चे चल जाता और यह तथा इनका परिवार एक कमरे में रहा करते थे।
इनका बचपन अशोक नगर मद्रास में बीता जहां जवाहर विद्यालय से इन्होंने दसवीं कक्षा तक की शिक्षा पूर्ण की और 12वीं कक्षा की पढ़ाई वनवाणी मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। (Google के CEO की शिक्षा)
आईआईटी की बैचलर डिग्री भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से प्राप्त की और अपने बेच में रजत पदक भी जीता। अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस की तथा वार्डन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पिचाई को ‘साइबेल स्कॉलर’ के नाम से जाना जाता था।
सुंदर पिचाई का करियर
उन्होंने यूएसए में सिलिकॉन वैली में मैटेरियल कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर कार्य कर अपने करियर की शुरुआत की। पिचाई मेकिंसे एंड कंपनी में काम कर ही रहे थे कि उन्होंने गूगल को ज्वाइन करने की सोच ली और 2004 में गूगल की टीम गूगल सर्च टूलबार का एक हिस्सा बनकर काम करने लगे।
इन्होंने गूगल में गूगल क्रोम ब्राउजर को बनाने में एक मुख्य भूमिका निभाई एवं बेहद कम वक्त में यह दुनिया का नंबर वन ब्राउज़र बन गया। इस कामयाबी के बाद पिचाई को सन 2008 में गूगल के उत्पादक विकास विभाग का उपाध्यक्ष का पद दे दिया। (कौन है गूगल के सीईओ) सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि 2012 में इन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद दे दिया गया इनके जोशीले और सफलता भरे कामों को देखते हुए गूगल के सीईओ का पद दे दिया गया।
सुंदर पिचाई सैलरी इन इंडियन रुपया
सुंदर पिचाई की मंथली इनकम 150 करोड़ से भी ज्यादा हैं और वहीँ इनकी सालाना इनकम की बात की जाये तो 2100 करोड़ से भी ज्यादा हैं।
कैसे बने गूगल के सीईओ
इन्होंने गूगल को 2004 में ज्वाइन किया शुरू में ये गूगल की एक टीम गूगल सर्च टूलबार का हिस्सा बन कर काम करने लगे इसके बाद धीरे-धीरे इन्होंने गूगल क्रोम, ड्राइव, असिस्टेंट और कई सारे उत्पादों को विकसित किया व अपना नाम गूगल के साथ ज्यादा गहराई से जोड़ते गए।
इसी के साथ उन्होंने गूगल मैप्स के एप्लीकेशन डेवलपमेंट और जीमेल की एप्लीकेशन डेवलपमेंट में भी पूर्ण रूप से भागीदारी निभाई। (पिचाई सुंदरराजन का जीवन परिचय)
क्रोम ओ एस का प्रदर्शन पिचाई द्वारा 19 नवंबर 2009 को किया गया जिसे 2011 में परीक्षण के लिए लाया एवं साल 2012 में इसे लॉन्च कर दिया गया।
एंड्राइड का विकास तथा अन्य कार्य ऐंडी रूबीन द्वारा किए जाते थे जिन्हें सन 2013 में पिचाई को सौंप दिया गया और 2014 में सुंदर पिचाई को माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बनाने की खबर फैल रही थी लेकिन 10 अगस्त 2015 को यह खबर मिली कि पिचाई को गूगल का सीईओ बनाने का निर्णय लिया गया है।
गूगल का क्रोम ब्राउज़र
गूगल के संस्थापक, लैरी पेज तथा सर्गेई ब्रिन को पिचाई ने गूगल क्रोम ब्राउज़र को बनाने के लिए काफी समझाया और बताया कि गूगल को एक ऐसा ब्राउज़र बनाकर लॉन्च करना चाहिए जो यूजर फ्रेंडली हो और काफी जल्दी रिजल्ट भी बता दें। उनके प्रयासों को 2008 में यह ब्राउज़र लांच होने के बाद सफलता मिली (सुंदर पिचाई का जीवन परिचय)
कई बड़े-बड़े ब्राउज़र को पछाड़ कर क्रोम दुनिया का नंबर वन ब्राउजर बन गया और इस सफलता से पिचाई को पूरी दुनिया में जाना जाने लगा एवं वे काफी मशहूर हो गए।
गूगल मैप का आविष्कार
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पिचाई हमेशा नए-नए आविष्कार तथा खोज करते रहते हैं उन्हें एक बार उनके मित्र ने यूएस में खाना खाने पर रात को 8:00 बजे बुलाया तो इन्होंने अपनी पत्नी को ऑफिस से फोन लगाया और सीधे अपने मित्र के घर पर ही मिलने को कहा। अब हुआ यूं कि उनकी पत्नी तो समय पर पहुंच गई और खाना खाकर पुनः अपने घर आ गई लेकिन
पिचाई जी वहां आते-आते रास्ता भटक गए और करीब एक डेढ़ घंटा देरी से पहुंचे (सुंदर पिचाई की कहानी) यूएस में तो सब कुछ समय से होता है तो उनके मित्र को भी काफी बुरा लगा कि वे इतना देरी से आए फिर जब पिचाई जी मित्र से विदा लेकर अपने घर पहुंचे तब उन्हें उनकी पत्नी ने गुस्से में घर में भी नहीं घुसने दिया बेचारे पिचाई जी वापस आधी रात को ऑफिस आ गए और बैठकर सोचने लगे कि आज मैं रास्ता भटक गया तो मुझे इतनी परेशानी हुई मेरी तरह ही लाखों लोग रोज रास्ता भटकते होंगे।
उन्होंने सुबह ही अपनी टीम को बुलाया (सुंदर पिचाई बायोग्राफी इन हिंदी) और इस बारे में बात की कि क्यों ना कुछ ऐसा बना दिया जाए जिससे कोई भी, कभी भी, किसी भी जगह से रास्ता देख सके और भटके भी नहीं बस यहीं से उन्होंने अपनी टीम के साथ पूरे जोश में काम करना शुरू कर दिया और 2005 में गूगल मैप का आविष्कार हो गया।
2008 में गूगल मैप को भारत में लॉन्च किया गया और अब पूरी दुनिया के लोग इस आविष्कार का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपना समय भी बचा रहे है।
गूगल लेंस
एक बार जब ये धूप में बैठे थे तब इनकी बेटी ने इनसे 2-3 फूलों के नाम पूछे लेकिन ये नहीं बता पाए इस पर इनकी बेटी हंसने लगी और बोली “आप इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद दो फूलों के नाम नहीं बता पाए” इस पर वे काफी शर्मिंदा हुए और 20-25 लोगों की टीम बुलाकर सारी बात बताई।
उन्होंने बताया कि जब मैं इन फूलों की जानकारी नहीं बता पाया तो साधारण व्यक्ति को तो और ज्यादा मुश्किल होता होगा क्यों ना इसके लिए कुछ किया जाए कि जिस चीज का पता लगाना है उसे स्कैन करो और उसके बारे में गूगल आपको सारी जानकारी दे दे।
इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर गूगल लेंस लॉन्च किया जो कि वास्तव में काफी मददगार हुआ आजकल इससे लोगों का काफी समय और पैसे दोनों की बचत हुई है।
गूगल लेंस को यदि आप किसी कपड़े पर रखो तो उसका सही मूल्य पता चल जाता है और कोई भी शॉप या कुछ भी स्कैन करो तो उसके बारे में एक ही जगह बैठ कर आप सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
गूगल फोटोज
एक बार जब उनके पिता की तबीयत खराब हो गई तब वे अपने गांव गए उन्होंने वहां देखा कि पिताजी ने उनकी दादी की ब्लैक एंड वाइट फोटो में क्रेयॉन से रंग भर रखे थे तभी उनके दिमाग में आया कि अगर फोटो ऐसे रंगीन हो जाए तो कितना अच्छा हो बस फिर क्या टीम बुलाई और गूगल फोटोस लांच कर दिया। (गूगल के सीईओ की जीवनी) “मुग़ल-ए-आज़म जो कि ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी उसे गूगल फोटोज के लांच होने के बाद रंगीन कर पुनः टीवी पर दिखाया गया।”
गूगल ट्रांसलेट
एक बार जब ये चाइना गए तब दिन में तो इन्हें ट्रांसलेटर मिल गया लेकिन वर्किंग आवर के बाद जब वे अकेले थे तो इन्हें वहां की भाषा समझ में नहीं आई और काफी परेशानी हुई। वे वहा ना कुछ खा पाए, ना खरीददारी कर पाए उनका दिमाग खराब हो गया जल्दी अपने रूम में पहुंचकर 25 लोगों की टीम बुलाई और कहा कि आज जैसे मैं फसा हूं
वैसे रोज ना जाने कितने लोग फसते होंगे तो कोई ट्रांसलेटर बनाते हैं । (सुंदर पिचाई के आविष्कार) पूरी टीम ने मिलकर गूगल ट्रांसलेटर बना दिया शुरुआत में यह सिर्फ दो भाषाओं में था और आज लगभग सारी भाषाओं में लॉन्च हो गया है।
विवाद
वैसे तो पिचाई किसी भी तरह के विवाद में कभी भी नहीं जुड़े लेकिन जब वे खड़गपुर में IIT कर रहे थे तब उन्होंने कुछ लोगों को बोलचाल में ‘अबे साले’ बोलते हुए सुना उन्हें लगा शायद यहां सभी को ऐसा ही बोलते होंगे तो कैंटीन में अपने सुपर सीनियर को उन्होंने कहा कि “अबे साले मेरा क्लास है पहले मुझे खाने दे” अब उन्हें इस छोटी सी गाली के बारे में तक नहीं पता था और इस बात पर उनके सीनियर ने उन्हें सजा भी दी। (सुंदर पिचाई के विवाद)
सन 2018 में उन्होंने अपनी कंपनी से एक कर्मचारी को निकाल दिया क्योंकि उसने एक मेमो में यह लिखा कि “यह कंपनी महिलाओं को पुरुषों से कम काम और मौका देती है” इस कर्मचारी का नाम जैम्स डेमोर था जिसे निकालने के बाद पिचाई जी ने बताया कि उनका निर्णय काफी सही रहा।
रोचक तथ्य
✓• इन्हें नंबर बेहद जल्दी याद होते हैं वे एक बार डायल किए गए नंबर कभी नहीं भूलते।
✓• 1995 में आर्थिक तंगी के चलते स्टैनफोर्ड में पेइंग गेस्ट बनकर रहते थे।
✓• इन्हें फुटबॉल और क्रिकेट खेलना काफी पसंद है।
✓• एक बार उन्होंने अपने घर के लैंडलाइन भी खोल दी जिसे बाद में जोड़ नहीं पाए।
✓• इनके हुनर और कार्यों की सफलता को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने इन्हें नौकरी के लिए कहा लेकिन इन्होंने हमेशा गूगल में ही काम किया। (Sundar Pichai biography in hindi)
✓• ट्विटर ने 2011 में अपने यहां आने का प्रस्ताव दिया लेकिन इन्हें गूगल ने ज्यादा सैलरी व बड़ा पद और भी बहुत कुछ दिया और इन्हें जाने से रोक लिया।
✓• जब भी वे गूगल को छोड़ने की सोचते और रिजाइन देते तब गूगल उन्हें प्रमोशन दे देता एवं सैलरी भी बढ़ा देता । (Sundar Pichai in short)
✓• इन्होंने गूगल के 21 डाटा सेंटर यूएसए में तथा 22 दूसरे स्थान पर बनाए ताकि गूगल को कभी भी बंद ना करना पड़े ।
✓• इनकी पत्नी ने इन्हें गूगल को छोड़ने से मना किया उन्होंने कहा कि आप गूगल को कभी नहीं छोड़ोगे।
FAQ
सुंदर पिचाई का जन्म कब हुआ?
पिचाई सुंदरराजन का जन्म 22 जुलाई 1972 को तमिलनाडु में हुआ।
सुंदर पिचाई के माता पिता कौन है?
इनके पिता रघुनाथ पिचाई तथा माता लक्ष्मी पिचाई है।
सुंदर पिचाई की पत्नी का नाम क्या है?
इनकी पत्नी का नाम अंजलि पिचाई है।
सुंदर पिचाई के बच्चे कितने हैं?
इनके दो बच्चे हैं जिनका नाम काव्य तथा किरण पिचाई है।
सुंदर पिचाई किस धर्म से संबंध रखते हैं?
इनका जन्म भारत में हुआ व ये हिंदू धर्म के हैं और इन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता भी प्राप्त है।
सुंदर पिचाई कौन है?
यह गूगल के सीईओ है।
तो दोस्तों आज हमने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है अब आप समझ ही गए होंगे कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो हमें अपने सपने पूरे करने चाहिए और यदि हम पूरे जोश के साथ किसी काम को करने में लग जाए तो हमें सफलता अवश्य मिलती है।
पिचाई ने सोच लिया कि यदि कोई सर्च गूगल पर नहीं मिलता है तो वह स्वयं को फेल मानते हैं और कस्टमर की डिमांड करते ही उसे पूरा करना ही उन्हें और आगे बढ़ाता है। आज दुनिया भर में गूगल का उपयोग हो रहा है और सभी सुंदर पिचाई को गूगल के नाम से ही जानते भी हैं। तो आपको सुंदर पिचाई के बारे में जानकर केसा लगा कमेंट करें और लेख को शेयर अवश्य करें।
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