नमश्कार दोस्तों जीवनी जानो में आप सभी का स्वागत है आज इस पोस्ट में हम जानेगे की जीरो का अविष्कार किसने और कब किया इसके बारे में बात करने वाले है। वैसे आप सभी जीरो के बारे में तो जानते ही होंगे। जीरो किसी संख्या के पीछे लग जाये तो उस संख्या में 10 ,15 गुणा वृद्धि हो जाती है और ज़ीरो किसी संख्या के आगे लग जाये तो संख्या का मान वही रहता है अतः मान नहीं बदलता है।जैसे संख्या 9 के आगे जीरो लगने पर 09 बनता है लेकिन संख्या का मान वही रहता है। लेकिन यदि जीरो संख्या के पीछे लगाए तो 90 बन जाता है। अर्थात संख्या में 10 गुणा वर्दी हो जाती है।
किसी भी संख्या में 0 जोड़ने व घटाने में कोई बदलाव नहीं होता है। संख्या को 0 से गुणा करने पर हमेशा 0 ही आता है और 0 में किसी संख्या का भाग देने पर अनंत आता है ये सब बाते तो आप जानते ही है लेकिन क्या आप जानते है की जीरो का आविष्कार किसने और कब किया अगर नहीं तो यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए है पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े इसमें हम बात करेंगे की जीरो का आविष्कार किसने और कब किया साथ ही जीरो के आविष्कार के बारे में अन्य रोचक तथ्यों को भी जानेंगे।
जीरो का आविष्कार किसने किया था
जीरो को गणित में 0 से लिखा जाता है इसका उपयोग कई वर्षो से किया जा रहा है लेकिन किसी ने भी जीरो के उपयोग के साथ इसके सिद्वांत प्रस्तुत नहीं किये थे। कई लोग आर्यभट को भी जीरो का आविष्कारक मानते है लेकिन आर्यभट ने जीरो के सिद्धांत के बारे में नहीं बताया। सबसे पहले जीरो का आविष्कार भारतीय गणितीज्ञ ब्रह्मगुप्त ने किया। इन्होने 628 ईस्वी में जीरो को सिद्वान्त सहित प्रस्तुत किया है इसलिए जीरो के आविष्कार का श्रेय ब्रह्मगुप्त को जाता है। जीरो को शून्य भी कहते है।
जीरो का इतिहास
जीरो को भारत में शून्य कहते है जो की संस्कृत शब्द है जीरो का प्रयोग बहोत पहले से चला आ रहा है। कई ग्रंथो ,अभिलेखो,मंदिरो सभी जगह इसे देखा गया है। जीरो शुरुआत में केवल स्थानधारक के रूप में प्रयोग होता था लेकिन अब जीरो गणित का अहम् भाग है। जीरो के बिना गणित सम्भव नहीं है। जीरो का अविष्कार और इसका सिद्धांत सबसे पहले ब्रम्हगुप्त ने दिया।
इसके बाद इसका विकास भारत में होता चला गया। 8 शताब्दी में अरब सभ्यता में इसको 0 का स्वरूप मिला और फिर यूरोप में इसका प्रयोग किया जाने लगा जिससे यूरोप की गणना में सुधार हुआ। इस प्रकार शून्य या जीरो का विकास हुआ।
जीरो के नाम
- प्राचीन समय में भारत में जीरो का प्रयोग खाली स्थान के लिए किया जाता था।
- मिस्र के राजदूत ने जीरो के लिए नल्ला शब्द का प्रयोग किया।
- जीरो को अरब सभ्यता में सिफ्र कहा गया, उर्दू में जीरो को सिफर कहा गया जिसका मतलब कुछ भी नहीं होता है।
- इब्राहिम बिन मीर इब्न इजरा ने 11 वि शताब्दी में अपनी पुस्तकों में गलगल शब्द का प्रयोग किया।
- THE BOOK OF CALCULATIONS में फिबोनैकी ने जीरो के लिए जेफिरम शब्द का प्रयोग किया बाद में जेफीरो कहा गया।
- वेमेटियम में इसे जीरो कहा जाने लगा।
FAQ
शून्य का आविष्कार किसने किया और कब?
सबसे पहले जीरो का आविष्कार भारतीय गणितीज्ञ ब्रह्मगुप्त ने किया। इन्होने 628 ईस्वी में जीरो को सिद्वान्त सहित प्रस्तुत किया है इसलिए जीरो के आविष्कार का श्रेय ब्रह्मगुप्त को जाता है
जीरो के अविष्कारक कौन है?
सबसे पहले जीरो का आविष्कार भारतीय गणितीज्ञ ब्रह्मगुप्त ने किया। इन्होने 628 ईस्वी में जीरो को सिद्वान्त सहित प्रस्तुत किया है इसलिए जीरो के आविष्कार का श्रेय ब्रह्मगुप्त को जाता है
जीरो का आविष्कार कौन से देश में हुआ है?
जीरो का अविष्कार भारत देश में हुआ क्योकि में भारत के गणितीज्ञ ब्रह्मगुप्त ने 628 ईस्वी में जीरो का अविष्कार किया।
आर्यभट्ट ने 0 की खोज कब की थी?
आर्यभट ने 5 शताब्दी के मध्य जीरो की खोज की थी।
0 का अर्थ क्या है?
जीरो को शून्य भी कहते है। जीरो एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिए प्रयोग होता है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज इस पोस्ट में हमने जीरो का अविष्कार किसने किया और कब किया इसके बारे में बात करी इसके साथ ही जीरो के बारे में अन्य रोचक तथ्यों को भी जाना है। अगर आपके सभी प्रश्नो के जवाब आपको इस पोस्ट में मिल गए है तो पोस्ट को अपने दोस्तों के शेयर करे और कोई सुझाव हो तो हमें जरूर बताये धन्यवाद !
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