बाल्यावस्था और विकास पीडीऍफ़ | Childhood And Growing Up PDF in Hindi (2024)

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यदि आप बी.ए.ड. के छात्र है तो यह पोस्ट आपके लिए खास होने वाली है। बाल्य अवस्था और विकास पीडीऍफ़ को मुफ्त में Download करके अप्प अपनी तैयारी को बेहतर रूप से कर सकते है। बाल्यावस्था और विकास पीडीऍफ़ से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़े।

Childhood And Growing Up PDF in Hindi Details

Pdf Title Childhood And Growing Up PDF in Hindi
Language Hindi
Category Education
Total Pages 257
Pdf Size 3.5 MB
Download Link Available
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Childhood And Growing Up PDF in Hindi

Childhood And Growing Up PDF in Hindi

इस पुस्तक के अंतरगत मनुष्य के जन्म से लेकर उसके बाल्यवस्था तक का वर्णन किया गया है। जिसके अंतर्गत शिशु के गर्भ में होने वाली क्रियाओ से लेकर उसके प्रथम वर्ष से 10 वर्ष के बीच शारीरिक रूप में आये बदलावों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है।

जिसके अन्तर्गत बाल्यावस्था में शिशु के शरीर का आकार का अनुपात, हड्ड़िया एवं दाँत, मस्तिष्क, हस्त प्राथमिकता, शौचालय प्रशिक्षण, दृष्टि आदि बिन्दुओ के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी है, जिन्हे हम एक-एक करके जानते है –

1 . शिशु के शरीर के आकार का अनुपात :-

इस अवस्था में धीरे-धीरे शिशु अपने बचपन का मोटापा खोने लगता है और उसके अंग तेजी से विकसित होते है, जिसके फलस्वरूप उसकी लम्बाई में परिवर्तन होता है। जिसके अंतर्गत वः पतला हो जाता है तथा उसका सम्पूर्ण शरीर एक स्वस्थ वयस्क के अनुरूप ढल जाता है।

2. हड्डिया एवं दांत :-

बच्चे के जन्म के दौरान उसकी सभी हड़िया बहुत ही कोमल और मुलायम होती है। लेकिन जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, उसकी सभी हड्डिया कठोर होने लगती है। साथ ही शरीर की वृद्धि के कारण हड्डियों की लम्बाई में वृद्धि होती है। वही दूसरी और बच्चो के दांतो में भी बाल्यावस्था में बहुत सारे परिवर्तन आते है।

बाल्यावस्था में 6 वर्ष की उम्र के आस-पास बच्चो के दूध वाले दन्त टूटने लगते है। बच्चो के दांतो का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए, नहीं तो दन्त क्षय भी हो सकता है। इससे बचने के लिए बच्चे को मुलायम ब्रश उपलब्ध करवाए है और उसे रोजाना ब्रश के लिए प्रेरित करे। इसके अतिरिक्त भोजन में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम उपलब्ध करवाए है, जिससे हड्डिया तथा दांत दोनों ही मजबूत बने रहे। इसके लिए दूध का सेवन करवाए।

3. मस्तिष्क :-

किसी भी बच्चे के लिए बाल्यावस्था उसके मस्तिष्क के विकास की महत्वपूर्ण कड़ी होती है। बच्चे के 90 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास बाल्यावस्था के दौरान ही होता है। बाल्यावस्था में सर और मस्तिष्क दूसरे अंग की तुलना में तीव्रता से वृद्धि करते है।

मस्तिष्क के अंतर्गत भी अग्र मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है। क्योकि अग्र मस्तिष्क शरीर के सभी अंगो को नियंत्रित करने के कार्य करता है। जैसे बच्चे की भाषा, चलने फिरने में नियंत्रण एवं संतुलन, यादश्त का विकास, शारीरिक क्रियात्मक समन्वय आदि।

4. हस्त प्राथमिकता :-

इससे तात्पर्य है, की दोनों हाथों में से किसी भी एक हाथ को कार्य करने में ज्यादा प्राथमिकता देना। जैसे खाना खाने के लिए, लिखने के लिए आदि। जिस हाथ को सबसे ज्यादा प्राथमिकता मिलती है, वह हाथ सर्वाधिक शक्तिशाली हो जाता है तथा किसी भी कार्य को करने में अधिक कुशल हो जाता है।

कई बच्चो के दाहिने और बाये दोनों हाथ प्रभावी होते है। लेकिन अधिकतर रूप से दाहिने हाथ का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। लेकिन ऐसा कोई जरुरी नहीं है। माता-पिता या गुरुजन बच्चे को दाहिने हाथ को प्रभावी बनाने के लिए बच्चे पर दबाव डालते है, जो की गलत है। बच्चे की इच्छानुसार उसके किसी भी हाथ का प्रयोग करने देना चाहिए।

5. शौचालय प्रशिक्षण :-

अधिकतर बच्चो को 2 वर्ष की उम्रके बाद शौच की समज आ जाती है। लेकिन मल-मूत्र त्याग के पश्चात भी उनकी सफाई के लिए वे सदैव ही दुसरो पर निर्भर रहते है। 4 वर्ष की आयु के बाद वह स्वतंत्र रूप से मलमूत्र का त्याग करके अपनी साफ-सफाई खुद करने लग जाता है।

6. दृष्टि :-

बाल्यावस्था में बच्चा अपने नजदीक की वस्तुओ को देखने के लिए अपने ध्यान को केंद्रित करने का प्रयास करता है। जिसके अंतर्गत उसे अच्छी-अच्छी सरल भाषा में पुस्तके उपलब्ध करवानी चाहिए, जिसकी मुख्य विशेषता होने चाइये –

  • पुस्तक के अंदर उसकी विषयवस्तु बड़ी तथा लिखे हुए अक्षरों का आकार बड़ा होना चाहिए।
  • एक पृष्ट में एक या दो से ज्यादा पंक्तिया लिखी हुई नहीं होनी चाहिए, पृष्ट के बाकि बचे भाग में चित्र होने चाहिए, जिससे बच्चा पुस्तक को पढ़ने में अपनी रूचि को लम्बे समय तक जारी रख सके।
  • पुस्तक पर चित्रित चित्र बड़े-बड़े तथा रंगीन होने चाइये।
  • सदैव ही कहानी वाली पुस्तके ही पढ़ने के लिए दे, जिससे बच्चे को पढ़ने में और आधी रूचि जागृत हो।
  • पुस्तक के पृष्ठ मोठे आकार के तथा गते के आकार के होने चाहिए, जिससे बच्चे को पृष्ठ को पलटने में आसानी रहे और पृष्ठ फटे नहीं।

उम्मीद करते है की हमारे दवरा शिशु के बाल्यावस्था के चरण के विकास के प्रमुख बिंदु के बारे आप अच्छे से जान गए होंगे। अब हम childhood and growing up b.ed pdf से समन्धित कुछ महत्वपूर्ण सवाल जवाब के बारे में जानते है-

FAQs : Childhood And Growing Up PDF in Hindi

What is the hindi meaning of childhood and growing up?

Childhood and growing का हिंदी में मतलब मानव में विकास एवं वृद्धि होता है। मानव के विकास का चरण उसके गर्भावस्था से शरू हो जाता है, जिसके बाद उसकी बाल्यावस्था शरू होती है और लगभग 21 वर्ष की आयु तक उसका पूर्ण विकास हो जाता है।

Childhood And Growing Up Book PDF in Hindi को कैसे डाउनलोड करे?

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Conclusion :-

हमने आपको इस पोस्ट में Childhood And Growing Up PDF in Hindi को फ्री में उपलब्ध करवाया। साथ ही बालयवस्था के विकास के चरण को विभिन्न चरणों में समझाने की कोशिश की। उम्मीद करते है की आपको childhood and growing up b.ed 1st year pdf को डाउनलोड करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।

दोस्तों आशा करते है की यह पोस्ट आपको अवश्य ही पसंद आयी होगी। यदि आपको Childhood and growing up pdf in hindi download करने में किसी भी प्रकार की समस्या हो रही हो, तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे, ताकि वे भी इसे डाउनलोड कर इससे लाभान्वित हो सके।

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