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वेद सनातन धर्म और विश्व का प्राचीन ग्रन्थ है। वेद ऋषियों द्वारा सुने गए ज्ञान पर आधारित है। वेद में मानव जीवन की समस्त समस्याओ का समाधान निहित है। वेद को चार भागो में विभाजित किया गया है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ।
इस पोस्ट में हम आपको अथर्ववेद के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है। यदि आप अथर्ववेद पीडीऍफ़ मुफ्त करना चाहते है और अथर्ववेद से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
Atharva Veda in Hindi PDF Details
PDF Title | Atharva Veda in Hindi PDF |
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Language | Hindi |
Category | Religion |
PDF Size | 48.4 MB |
Total Pages | 464 |
Download Link | Available |
PDF Source | archive.org |
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Atharva Veda in Hindi PDF
अथर्वा ऋषि के द्वारा परिदृष्ट और अविष्कृत होने के कारण इस वेद का नाम अथर्ववेद पड़ा। अथर्व शब्द थर्व धातु से बनता है, जिसका अर्थ है , गति या चेष्टा अर्थात मन को स्थिरता देने वाला वेद अथर्ववेद है।
अथर्ववेद की रचना सबसे अंत में की गयी थी। अथर्व का शाब्दिक अर्थ अकम्पन से है। अथर्ववेद विज्ञान और तकनीकी ज्ञान का समावेश है। जैसे – समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, गणित, ज्योतिष, भौतिक और रसायन शास्त्र आदि।
इस वेद में कुल 5687 मन्त्र संकलित किये गए है। यह वेद ब्रह्मा ज्ञान का उपदेश भी करता है और मोक्ष का उपाय भी बताता है, जिसके फलस्वरूप इसे ब्रह्म वेद भी कहा जाता है।
अथर्ववेद की भाषा ऋग्वेद की भाषा की तुलना में बहुत बाद की है। अतः इसे लगभग 1000 ईसापूर्व का माना जा सकता है। इसकी रचना ‘अथवर्ण’ और अंगिरस ऋषियों के द्वारा की गयी। इसीलिए अथर्ववेद को अथर्वागिरिस वेद के नाम से भी जाना जाता है।
अथर्ववेद में 5687 मन्त्र के अतिरिक्त कुल 20 काण्ड, 730 सूक्त शामिल है। इस वेद के महत्वपूर्ण विषय – ब्रह्मज्ञान, ओषधि, प्रयोग रोग निवारण, जंत्र-तंत्र, टोना-टोटका आदि।
अथर्ववेद का एक सूक्त मानव शरीर की रचना का वर्णन और प्रशंसा करता है। इस सूक्त और उपचार से जुड़े सामान्य अथर्ववेदी चिंतन के कारण शास्त्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद अपनी उत्पति अथर्ववेद से मानता है।
अथर्ववेद में ऋग्वेद और सामवेद से भी मंत्र लिए गए है। अथर्ववेद में ऋग्वेद से कुल 1200 मन्त्र लिए गए है। ये मन्त्र प्रथम, अष्टम और दशम मंडल से लिए गए है। जादू से संबंधित मन्त्र-तंत्र, राक्षस, पिसाच आदि भयानक शक्तिया अथर्ववेद के महत्वपूर्ण विषय के अंतर्गत आते है।
अथर्ववेद की शाखाएँ
पतंजलि जी के अनुसार अथर्ववेद की 9 शाखाएँ है, जिनके नाम निम्न है –
- पिप्पलाद
- शौनक
- मौद
- स्तोद
- जलद
- जाजल
- ब्रह्मवेद
- देवादर्श
- चारण वैद्य
इन 9 शाखाओं में से वर्तमान में अथर्ववेद में 2 शाखाये ही है, जिसके अंतर्गत पिप्पलाद और शौनक शाखा शामिल है।
1. पिप्पलाद शाखा :-
यह शाखा अपूर्ण रूप में प्राप्त होती है। इस शाखा की पांडुलिपि कश्मीर से मिली थी, जो कि शारदा लिपि में लिखी गयी थी। इस शाखा की खोज डॉ ब्यूह्लर ने कश्मीर में की थी। ब्लूमफील्ड और गार्वे ने 1901 में कश्मीरन अथर्ववेद नाम से इसका प्रथम प्रकाशन किया।
2. शौनक शाखा : –
अथर्ववेद की यह सबसे प्रमुख शाखा है। शौनक शाखा मे 20 काण्ड 730 सूक्त और 5987 मन्त्र शामिल है। इस शाखा में सबसे छोटा काण्ड 17 वा काण्ड है, जिसमे सिर्फ 30 मन्त्र संकलित है। इस शाखा में सबसे बड़ा काण्ड 20 वा काण्ड है, जिसमे कुल 958 मन्त्र संकलित है।
अथर्ववेद का 20 वा काण्ड कुंताप सूक्त और 2 अन्य मंत्रो के अतिरिक्त ऋग्वेद के मंत्रो से भरा है। ऐसा माना जाता है कि 20 वा काण्ड अथर्ववेद में सबसे अंत में जोड़ा गया है।
अथर्ववेद के 20 काण्ड
- प्रथम और द्वितीय काण्ड में श्वेत कुष्ठ व् पालित रोग आदि की शांति के उपाय है।
- तृतीय काण्ड में बालग्रह, यक्ष्मा, वशीकरण आदि की बाते है।
- चतुर्थ काण्ड में धूमकेतु उत्पात शान्ति के लिए वरुण देव की स्तुति है।
- पंचम काण्ड में गायो के चोर को पकड़ने व् शत्रु के नाश के मन्त्र है।
- षष्ठ काण्ड में कास व् श्रलेष्मा आदि रोगो की शान्ति और अग्निदाह निवृति आदि के मंत्र है।
- सप्तम काण्ड में सभा में जय प्राप्ति करने के मन्त्र है।
- अष्टम काण्ड में ऋग्वेद के 7 छंदो के वर्णो की संख्या दी गयी है। मृत्यु को जितने का एक मन्त्र भी है।
- नवम काण्ड में मधुकशा ओषधि का वर्णन है।
- दशम काण्ड में ईश्वरवाद का वर्णन है।
- ग्याहरवे काण्ड में ब्रह्मचर्य और ब्रह्मचारी की महिमा का वर्णन है।
- बाहरवें काण्ड में देशभक्ति से ओतप्रोत पृथ्वी सूक्त है।
- तेहरवा काण्ड पूर्णतः आध्यात्म प्रकरण है।
- चौदहवा में विवाह विषयक मन्त्र है।
- पन्द्रहवे और सोलहवे काण्ड में विविध विषय है।
- सत्रहवें काण्ड में अभ्युदय के लिए प्रार्थना व् दार्शनिक बाते है।
- अठाहरवा काण्ड श्राद्ध विषयक है। इसमें यह भी विदित है कि अंत्येष्टि के समय यम की स्तुति की जाती है।
- उन्नीसवे काण्ड में नक्षत्रो का वर्णन है। नक्षत्रो की गणना कृतिका से की गयी है, अश्विनी से नहीं।
- बिसवे काण्ड में सोमयाग का वर्णन व् इंद्र की स्तुति है। इसके लगभग सभी मन्त्र ऋग्वेक से लिए गए है।
FAQs :- atharva veda pdf download
Atharva Veda in Hindi PDF Free Download कैसे करे?
Conclusion :-
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