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विज्ञान भैरव तंत्र प्राचीन ग्रंथो में से प्रमुख ग्रंथ है। ऐसा माना जाता है कि तंत्र शास्त्र को एक नयी ऊंचाई तक पहचान में विज्ञान भैरव तंत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा। विज्ञान भैरव तन्त्र काश्मीरी शैव सम्प्रदाय के त्रिक उपसम्प्रदाय का मुख्य ग्रन्थ है। इस तंत्र में संक्षिप में 112 अवधारणाओं का वर्णन मिलता है।
इस पोस्ट में हम आपको विज्ञान भैरव तंत्र Pdf फॉर्मेट में उपलब्ध करवाने वाले है, साथ ही विज्ञान भैरव तंत्र से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करने वाले है। यदि आप विज्ञान भैरव तंत्र से सम्ब्नधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
Vigyan Bhairav Tantra PDF Details
PDF Title | Vigyan Bhairav Tantra PDF |
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Language | Hindi |
Category | Book |
Total Pages | 213 |
Pdf Size | 32.4 MB |
Download Link | Available |
Pdf Source | – |
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Vigyan Bhairav Tantra Book in Hindi
Vigyan Bhairav Tantra | PDF Summary
विज्ञान भैरव तंत्र को अभिनवगुप्त द्वारा लिखित शिव-ज्ञान-उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। विज्ञान भैरव तंत्र से तात्पर्य चेतना से भी परे जाने की विधि से है। यह तंत्र आज से लगभग 5000 वर्ष पहले संस्कृत भाषा में लिखा गया था।
विज्ञान भैरव तंत्र विज्ञान का एक प्रामाणिक ग्रंथ है। यह ग्रंथ शिव-पार्वती संवाद के रूप में संकलित किया गया है। पार्वती की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए शिव ने तंत्र की 120 प्रक्रियाएं बताईं।
विज्ञानं भैरव तत्र के अंतर्गत देवी माँ से दार्शनिक रूप में प्रश्न पूछे जाते है तथा इन प्रश्नो का उत्तर भगवान शिव के द्वारा देना होता है। लेकिन शिव देवी को किसी भी प्रकार का उत्तर नहीं देते है। किन्तु वे बदले में उस प्रश्न के जवाब की प्राप्ति के लिए देवी को विधि बताते है।
जिसके माध्यम से यदि देवी उनके द्वारा बताई गयी विधि से गुजरती है तो अवश्य ही देवी माँ को उनके प्रश्न का उत्तर प्राप्त हो जायेगा। जब देवी भगवान से पूछती है कि तुम्हारा सत्य क्या है, तब भगवान उन्हें इस प्रश्न का उत्तर देते है – रास्ता।
इस प्रकार भैरव विज्ञान तंत्र एक प्रकार की करो और जानो प्रकार की साधना है। क्योकि किसी भी तंत्र का जाप करने से पहले उसके बारे में जानना आवश्यक होता है, उसके बाद ही हम साधना शुरू करते है तथा साधना करने के बाद ही हमे इसके बारे में जानकारी होती है।
तंत्र की इन 120 प्रकार की क्रियाओ को विज्ञान भैरव तंत्र नामक पुस्तक में संकलित किया गया है। यदि आप तंत्र विद्या के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की विद्या को सीखना या तंत्र मन्त्र की साधन करना चाहते है, तो उसके बारे में जानने के लिए यह पुस्तक आपके लिए काफी मददगार साबित होगी।
Bhairav Tantra PDF | अनुक्रमणिका
- भैरव के स्वरूप के सम्बन्ध में प्रश्न
- परमतत्त्व विषयक आठ प्रश्न
- परादि शक्तित्रय विषयक प्रश्न
- सकल स्वरूप को असारता
- निष्कल स्वरूप की परमार्थता
- शिव-शक्ति के स्वरूप का निर्णय
- परावस्था की प्राप्ति का उपाय क्या है
- क्रमशः ११२ धारणाओं का उपदेश
- प्राणापान विषयक धारणा के पविध अर्थ
- अष्टविध प्राणायाम
- भैरव मुद्रा का विवेचन
- शान्ता नामा शक्ति से शान्त स्वरूप की प्रामि
- प्राणापान वायु की सूक्ष्मता से भैरव स्वरूप की अभिव्यक्ति
- प्रतिचक्र में दौड़ती प्राणवायु का चिन्तन
- अकारादि द्वादश स्वरों द्वारा द्वादश चक्रों का भेदन
- खेचरी मुद्रा का साधन
- इन्द्रिय-पंचक की शून्यता द्वारा अनुत्तरशून्य में प्रवेश
- शून्यता में लीन प्राणशक्ति
- कपालछिद्र में मन की एकाग्रता
- चिदाकाशात्मिका देवी का सुषुम्ना नाड़ी द्वारा ध्यान
- सूचक्र के भेदन द्वारा विन्दु में लीन होना
- विकल्पों के विनाश हेतु विन्दु का द्वादशान्त में ध्यान
- नाद ( शब्दब्रहा ) भावना
- प्रणवपिण्डमन्त्र भावना
- प्रणव व प्लुतोच्चारण द्वारा शून्यभाव की धारणा
- वर्ण के आदि-अन्त के भन्न द्वारा शून्य का साक्षात्कार
- नाम द्वारा परमाता की प्रति
- अर्जेन्दु, बिन्दु, नाद व नादान्त के अनन्तर
शून्य भावना
- परममून्य की धारणा द्वारा समग्र आकाश का प्रकाशन
- शून्य के चिन्तन से मन की शून्यता
- ऊर्ध्वं मूल और मध्य शून्य के चिन्तन द्वारा
- निर्विकल्पता का उदय
- शरीर में क्षणिक शून्यता के चिन्तन द्वारा भी तत्वों की निर्विकल्पता
- देह के समस्त द्रव्यों की आकाश से व्याप्ति शरीर की त्वचा की व्यर्थता
- चित्त की एकाग्रता द्वारा मात्र चैतन्य की अनुभूति
- द्वादशान्त में मन की लीनता तथा बुद्धि की स्थिरता
- वृत्तियों की क्षीणता द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति
- कालाग्नि से स्वारी को जलता हुआ मानना
- सारे संसार को विकल्पों से जला हुआ मानना
- संपूर्ण जगत् के तत्वों को स्व-स्व कारणों में लय हो जाने का ध्यान करना
- हृदय-चक्र में प्राणशक्ति का ध्यान करना
षडव भावना
- भुवनाध्या के रूप में चिन्तन से मन का रूप हो जाना
- अध्य प्रक्रिया से शिवतत्व का ध्यान करना
- संसार को शून्यता में लीन करना
- अंतःकरण में दृष्टि का स्थापन
मध्य भावना
- दृष्टि-बन्धन भावना का निरूपण
- निरालम्ब भाव का वर्णन
- ध्येयाकार भावना
- शाक्ती भूमिका समग्र शरीर व जगत् को चिन्मय विचारना
- अन्तर व बाह्य वायुओं का संघट्टन
- सम्पूर्ण जगत् को आत्मानन्द से परिपूर्ण मानना
- मायीक प्रयोग ( कुन प्रयोग ) महानन्द की प्राप्ति
प्राणायाम- विवेचन
- इन्द्रिय-छिद्रों के निरोध तथा प्राण-शक्ति के उत्थान से ‘परमसुख’
- विषस्थान तथा वह्निस्थान के मध्य में मन को स्थित करने से परम शिव की प्राप्ति
सुख भावना
- स्त्री-संसर्ग के आनन्द से ब्रह्मतत्व की अनुभूति
- स्त्री जन्य पूर्वानुभूत सुखों के स्मरण द्वारा परमानन्द की अनुभूति
- धन एवं बन्धुबान्धव के मिलने से उत्पन्न आनन्द का ध्यान
- भोजन और पान से उत्पन्न आनन्द का ध्यान
- संगीतादि विषयों के आस्वादन में तन्मयता
- मनोवांछित संतोष की प्राप्ति के साधनों में मन की स्थिरता
- मनोगोचर अवस्था द्वारा परादेवी का प्रकाशन
- ( शांभवी भूमिका ) सूर्य-दीपक आदि तेज से चित्रित आकाश में दृष्टि को स्थित करना
इससे अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके इस पुस्तक की Pdf Download कर सकते है।
FAQs : Vigyan Bhairav Tantra Pdf in Hindi
विज्ञान भैरव कब लिखा गया था?
Vigyan Bhairav Tantra PDF कैसे Download करें?
विज्ञान भैरव तंत्र पढ़ने से क्या होता है?
विज्ञान भैरव तंत्र में क्या लिखा है?
Conclusion:-
इस पोस्ट में Vigyan Bhairav Tantra PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही इस पुस्तक से सम्बन्धित जानकारी प्रदान की गयी है। उम्मीद करते है कि Vigyan Bhairav Tantra Hindi PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Vigyan Bhairav Tantra Book PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। यदि आपको किसी भी प्रकार की अन्य Pdf चाहिए जो हमारी साइड पर उपलब्ध नहीं है तो कमेंट करके जरूर बताये। हम इसे जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने का प्रयास करेंगे।
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