आज की इस पोस्ट में हम आपको Mahabharat Book in Hindi PDF उपलब्ध करवाने वाले है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download Link की सहायता से आसानी से Mahabharat in Hindi Pdf डाउनलोड कर सकते है।
दोस्तों प्राचीन काल के दो सबसे प्रचलित संस्कृत महाकाव्य महाभारत और रामायण है। महाभारत आर्य संस्कृति और भारतीय सनातन धर्म का महान ग्रंथ मन जाता है। महाभारत की कथा महर्षि वेद व्यास की देन है। महाभारत में कौरवो और पांडवो के बिच उत्तराधिकारियों के भाग्य की लड़ाई का वर्णन है। भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते है की इसमें मेने वेदो के रहस्य और विस्तार के बारे में बताया है।
महाभारत को संस्कृत भाषा में लिखा गया था लेकिन आज की पोस्ट आप लोगो के बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी क्योकि आज की पोस्ट में हमने महाभारत की कथा की बुक हिंदी में उपलब्ध कराई है। महाभारत को विश्व का सबसे लम्बा महाकाव्य माना जाता है।
महाभारत में कुल 18 पर्व है इन पर्वो सहित कुल 1948 अध्याय है। महाभारत महाकाव्य में एक लाख से अधिक श्लोग है इसलिए महाभारत को ”शतसाहस्त्र संहिता” भी कहा जाता है।
Mahabharat Katha Hindi PDF Details

PDF Title | Mahabharat Book in Hindi |
---|---|
Author Name | Veda Vyasa |
Category | Religion |
Language | Hindi |
Download Link | Available |
Total Pages | 2256 Pages |
PDF Size | 11.4 MB |
Note - Mahabharat Download Hindi (प्रथम खंड) के लिए निचे दिए गए Download PDF बटन पर क्लिक करे। अगर आप महाभारत के अन्य खंड भी पढ़ना चाहते है तो हमे कमेंट करके जरूर बताये।
Mahabharat Book in Hindi PDF
दोस्तों कुछ विद्वान इसके महाभारत को एतिहासिक नहीं मानते है लेकिन महाभारत में वर्णित कुछ ऐसे स्थान है जो इसकी ऐतिहासिकता का दावा करते है। अधिकांश विद्वान् इसे सही मानते है और इसकी युद्ध की तिथि 1400 ई. पू. से 1000 ई. पू. मानते है।
महाभारत में जिन स्थानों का जिक्र हुआ है उनकी प्रो. बी. बी. लाल के द्वारा खुदाई कराई गई है। आर्यभट्ट ने महाभारत में वर्णित ग्रहों की स्थिति के अनुसार अनुमानित तिथि 3100 ई. पू. निर्धारित की है। महाभारत में आदर्श जीवन जीने के नियमो का संग्रहण मिलता है।
साहित्याचार्य पण्डित रामनारायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ‘राम’ ने महाभारत का आदिपर्व और सभापर्व, सचित्र हिंदी में अनुवाद किया है। महाभारत के हिंदी में अनुवाद तो बहुत किए गए है लेकिन बुक में हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओ का समावेश शायद ही कही मिलेगा। आपको जो पोस्ट में बुक उपलब्ध कराई है उसमे श्लोक के साथ-साथ हिंदी अनुवाद मिलेगा।
Mahabharat Story in Hindi PDF
दोस्तों अब जान लेते है की महाभारत की कथा क्या है।
महर्षि पराशर के कीर्तिमान पुत्र वेद व्यास की देन है महाभारत कथा, व्यास जी ने इस कथा को सबसे पहले अपने पुत्र शुक्रदेव को कंठस्थ कराई थी। इसके बाद में अपने दूसरे शिष्यों को कराई। अगर मानव जाती में महाभारत के प्रसार की बात करे तो महर्षि वैशंपायन के द्वारा हुआ था। महर्षि वैशंपायन वेद व्यास जी के प्रमुख शिष्य थे।
ऐसा माना जाता है कि महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने एक बड़ा यज्ञ किया था। इस महायज्ञ में प्रशिद्ध पौराणिक सूत भी मौजूद थे। सूत जी के द्वारा समस्त ऋषियों की एक सभा बुलाई गई थी और महर्षि शौनक इस सभा के अध्यक्ष हुए थे। इस सभा में सूत जी ने महाभारत की कथा प्रारम्भ की जो की इस प्रकार थी।
हस्तिनापुर की गद्दी पर महाराजा शांतनु के बाद चित्रांगद गद्दी पर बैठे थे। फिर चिंत्रांगद की अकाल मृत्यु हो जाने पर उनके भाई विचित्रवीर्य गद्दी पर बैठे और हस्तिनापुर के राजा हुए।
विचित्रवीर्य के दो पुत्र थे धृतराष्ट्र और पांडु। इसका बड़ा बेटा धृतराष्ट्र जन्म से ही अँधा था। इसलिए उस समय की निति के अनुसार हस्तिनापुर की गद्दी पर पांडु को बिठाया गया था
पांडु ने कही वर्षो तक हस्तिनापुर पर राज किया था। उनकी दो रानियाँ थी कुंती और माद्री। फिर कुछ समय राज करने के बाद किसी अपराथ के प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में चले गए। उनके साथ दोनों रानियाँ भी गई थी। वनवास के समय कुंती और माद्री ने पाँच पांडवों को जन्म दिया।
कुछ समय के बाद राजा पांडु की मर्त्यु हो गई थी और पाँचो बच्चे अनाथ हो गए। वन के ऋषि-मुनियो ने पाँचो बच्चो का पालन-पोषण किया और पढ़ाया-लिखाया। जब युधिष्ठिर की उम्र सोलह वर्ष हुई थी तब ऋषि मुनियो ने पाँचो राजकुमारों को हस्तिनापुर ले जाकर पितामह भीष्म को सौंप दिया था।
पाँचो पांडव बुद्धि से तेज़ और शरीर से बली थे। उनकी इस बुद्धि ने और सबके साथ मधुर व्यवहार ने सबका मन मोह लिया था। यह सब देखकर धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव पांडव से जलने लगे और पांडवो को तरह-तरह के कष्ट पहुंचाने लगे। दिन-पर-दिन कौरवों और पांडवों ऐसा व्यवहार बढ़ता गया। अंत में दोनों को पितामह भीष्म ने समझाया व उनके बिच संधि कराई गई।
पितामह भीष्म ने आदेश दिया और राज्य के दो हिस्से किये गए। इसमें कौरव को हस्तिनापुर पर राज करते रहे और पांडवो के लिए एक अलग राज्य दिया गया जो आगे चलकर इंद्रप्रस्थ के नाम से मशहूर हुआ। इस प्रकार दोनों के बिच कुछ दिन तक शांति रही।
उन दिनों राज्यों में एक आम रिवाज था सभी राजा मिलकर चौरस का खेल खेलते थे। इस खेल में राज्य तक की बाजियाँ लगा दी जाती थी। इस रिवाज के अनुसार एक बार कौरव और पांडव के बिच चौपड़ खेला गया।
कौरवो की तरफ से कुटिल शकुनि ने खेल में हिस्सा लिया था और पांडवो में युधिष्ठिर को हरा दिया। इसमें शर्त में राज्य का दाव लगा था इसके फलस्वरूप पांडवो का राज्य छीन लिया गया और उन्हे तेरह वर्ष के वनवास को भोकना पड़ा।
उसमे एक और शर्त यह भी थी की बारह वर्ष का वनवास पूर्ण होने पर एक वर्ष का अज्ञातवास भी करना होगा। उसके बाद पांडवो को उनका राज्य लौटा दिया जायेगा।
द्रौपदी के पाँचो पुत्र बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास पूर्ण करके लोटे, किन्तु शर्त के अनुसार दुर्योधन ने लिया हुआ राज्य वापस करने से इंकार कर दिया। अन्तः पांडवो को अपने राज्य के लिए लड़ना पड़ा।
इस युद्ध में सारे कौरव मारे गए। तब पांडव उस विशाल साम्राज्य के स्वामी हुए। फिर छतीस वर्षो तक पांडवो ने राज किया और इसके बाद अपने पोते परीक्षित को राज्य देकर द्रोपती के साथ हिमालय में तपस्या करने चले गए। संक्षेप में यही महाभारत की कथा है।
Conclusion:- Mahabharat PDF
दोस्तों उम्मीद करता हूँ की डाउनलोड करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई होगी और आपने आसानी से में डाउनलोड कर ली होगी।
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दोस्तों उम्मीद करता हूँ की Mahabharat Book in Hindi PDF आसानी से डाउनलोड कर ली होगी और Mahabharat Pdf in Hindi में कथा के बारे में अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर Download Mahabharat in Hindi पोस्ट पसंद आई हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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