आज की इस पोस्ट में हम आपको Kabir Ke Dohe in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाने वाले है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download Link की सहायता से आसानी से Download कर सकते है।
कबीरदास जी भारत के महान कवी और संत थे। कबीरदास जी को संत समुदाय का प्रवर्तक माना गया है। कबीरदास जी की रचनाओं ने हिंदी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहनता से प्रभावित किया है। कबीरदास जी ने अपनी प्रमुख रचनाएँ सिक्खों के आदि ग्रंथो से संकलित की है। कबीर ने अपने दोहों की रचना सधुक्कड़ी भाषा में की है।
इस पोस्ट में हम आपको कबीर के दोहों को Pdf फॉर्मेट उपलब्ध करवाने जा रहे है, साथ ही कुछ प्रसिद्ध दोहों को हिंदी अर्थ सहित पोस्ट में उपलब्ध करवाने वाले है। यदि आप कबीर के प्रसिद्ध दोहों को हिंदी अर्थ सहित पढ़ना चाहते है, तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े, जो आपके जीवन के मूल्य को समझने लिए काफी मददगार साबित होंगे।
Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Details
PDF Title | KABIR KE DOHE IN HINDI |
---|---|
Language | Hindi |
Category | Religion |
Total Pages | 36 |
Pdf Size | 2.3 MB |
Download Link | Available |
NOTE - Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Free Download करने के लिए नीचे दिए गए Download बटन पर क्लिक करें।
Kabir ke Dohe Books
Kabir Ke Dohe in Hindi | कबीर के दोहे
कबीरदास जी भारत के महान कवि थे, उन्होंने अपने दोहों की रचना सधुक्कड़ी भाषा में की थी। कबीरदास के 25 दोहे मुख्य रूप से मानव जीवन पर आधारित है। कबीरदास के प्रसिद्ध दोहें हिंदी अर्थ सहित निम्नलिखित है-
(1)
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ।
हिंदी अर्थ:- कबीरदास कहते है की यदि आपके सामने गुरु और गोविन्द दोनों खड़े हो, तो आप किसके सबसे पहले चरण छुओगे। इस स्थिति में हमे भगवान से पहले अपने गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए, क्योकि हमारे गुरु ने ही गोविन्द से मिलाने का मार्ग बताया है। इस प्रकार कबीरदास जी ने गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर बताया है।
(2)
ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है की प्रत्येक मनुष्य को ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए, जो सुनने वाले व्यक्ति के मन को प्रसन्न कर दे। साथ ही, ऐसी मधुर वाणी दुसरो को तो ख़ुशी पहुँचाती ही है, साथ में हमे भी शीतल कर देती है।
(3)
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी ने इस दोहे में मनुष्य के बड़े होने की तुलना खजूर के पेड़ से की है। जिस प्रकार खजूर के पेड़ के लम्बे होने के कारण यह न किसी को छाया देता है और साथ में इसका फल भी अधिक ऊंचाई पर लगता है, ठीक इसी प्रकार मनुष्य के बड़े होने का कोई फायदा नहीं है, जब वह किसी का भला नहीं कर सकता।
(4)
काल करै सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है कि जिस कार्य को आप कल करना चाहते है, उसे आपको आज ही समाप्त कर लेना चाहिए और आप जिस कार्य को आज समाप्त करना चाहते है, उसे इसी वक्त समाप्त कर ले, क्योंकि समय पलभर में प्रलय हो जायेगा।
(5)
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है की हमे कभी भी किसी साधु की जाती नहीं पूछनी, जबकि उससे सदैव ही ज्ञान की बात पूछनी चाहिए। ठीक उसी प्रकार जब हम तलवार की खरीददारी करते है, तो तलवार की धार को परखना चाहिए न की तलवार की म्यान को।
(6)
जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय।
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय ||
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है कि जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे वासना – विजयी ही जीवनमुक्त होते हैं।
(7)
भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय |
रोइये साकट बपुरे, हाटों हाट बिकाय ||
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है कि जिसने अपने कल्याणरुपी अविनाशी घर को प्राप्त कर लिया, ऐसे संत भक्त के शरीर छोड़ने पर क्यों रोते हैं? बेचारे अभक्त – अज्ञानियों के मरने पर रोओ, जो मरकर चौरासी लाख योनियों के बाज़ार में बिकने जा रहे हैं।
(8)
शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल |
काम क्रोध व्यापै नहीं, कबूँ न ग्रासै काल ||
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है कि जो व्यक्ति गुरुमुख शब्दों का विचार कर आचरण करता है, वह पूर्ण रूप से कृतार्थ हो जाता है। उस व्यक्ति को कभी भी काम क्रोध नहीं सताते और वह कभी मन कल्पनाओं के मुख में नहीं पड़ता।
(9)
जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय |
काया माया मन तजै, चौड़े रहा बजाय ||
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है की जब तक शरीर की आशा और आसक्ति है, तब तक कोई मन को मिटा नहीं सकता। इसलिए शरीर का मोह और मन की वासना को मिटाकर, सत्संग रूपी मैदान में विराजना चाहिए।
(10)
मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास |
साधु तहाँ लौं भय करे, जौ लौं पिंजर साँस ||
हिंदी अर्थ:- कबीरदास जी कहते है की मन को मृतक (शांत) देखकर यह विश्वास न करो कि वह अब धोखा नहीं देगा। असावधान होने पर वह फिर से चंचल हो सकता है इसलिए विवेकी संत मन में तब तक भय रखते हैं, जब तक शरीर में सांस चलती है।
यदि आप इसी तरह के कबीरदास जी के और अधिक हिंदी अर्थ सहित दोहों को पढ़ना चाहते है, तो पोस्ट में दी गयी Pdf Download कर सकते है, जिसके अंतर्गत कबीर के प्रसिद्ध दोहों को हिंदी अर्थ सहित उपलब्ध करवाए गए है।
FAQs:- Kabir Ke Dohe With Meaning in Hindi Pdf
कबीर ने कितने दोहा लिखे थे?
भक्ति आंदोलन के समय कबीरदास की रचनाएँ बहुत ही प्रभावशाली थीं। कबीर एक प्रमुख कवि थे और उन्होंने ज्यादातर अपनी कविताएँ हिंदी में लिखीं थी। संत कबीर ने मनुष्य के जीवन पर आधारित 25 दोहे लिखे है।
कबीर ने सबसे बड़ा पाप किसे कहा है?
कबीर ने सबसे बड़ा पाप झूठ को बताया है, क्योकि कोई भी पाप बिना किसी झूठ के नहीं होता है।
Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Download कैसे करें?
कबीर के दोहे Pdf फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए पोस्ट में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आसानी से डाउनलोड कर सकते है।
Conclusion :- इस पोस्ट में Kabir Ke Dohe in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही कबीर के प्रसिद्ध दोहो को हिंदी अर्थ सहित समझाया गया है। उम्मीद करते है की Kabir Ke Dohe Pdf Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Kabir Dohe Pdf Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही Kabir Ke Dohe Hindi PDF अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर, ताकि वे भी अपने जीवन के मूल्य को समझ सकें और एक अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकें।
Download More PDF:-
- Hanuman Bahuk PDF Download | श्री हनुमान बाहुक
- श्री शिवजी की आरती | Shiv Aarti PDF in Hindi Download
- श्रीरामचरित्रमानस | Ramcharitmanas in Hindi PDF Download
- निलावन्ती ग्रन्थ | Nilavanti Granth PDF Download
- Bhaktamar Stotra Hindi PDF Download Free
- Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF Download
- Aditya Hridaya Stotra PDF Download Free