दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको Manusmrti in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में Download कर सकते है।
मनुस्मृति ग्रन्थ मानव का आदि संविधान है। ऐसा माना जाता है कि मनुस्मृति दुनिया के सभी देशो के संविधान का आधार संविधान है। जब मनुष्य ने एक समाज के रूप में रहना आरम्भ किया तो उसे किसी न किसी रूप में संविधान की आवश्यकता थी, जिसके अंतर्गत वह मनुस्मृति का सहारा लेकर उसके साथ रहने वाले अन्य मनष्यो के साथ एक विशेष संबंध बनाकर रखता था।
वेदो के बाद मनुस्मृति को हिन्दुओ का प्रमुख ग्रन्थ माना गया है। मनुस्मृति वेदो की सही तरह से व्याख्या करता है। मनुस्मृति में 12 अध्याय तथा 2500 से भी अधिक श्लोक संकलित हैं, इस ग्रन्थ के अंतर्गत सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।
इस पोस्ट में हम आपको मनुस्मृति ग्रन्थ को PDF फॉर्मेट में उपलब्ध करवाने जा रहे है। यदि आप मनुस्मृति ग्रन्थ के बारे में विस्तृत रूप से जानना चाहते है तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक धायनपूर्वक जरूर पढ़े।
Manusmrti in Hindi PDF Details
PDF Title | Manusmrti PDF in Hindi |
---|---|
Language | Hindi |
Category | Religion |
PDF Size | 18.2 MB |
Total Pages | 649 |
Download Link | Available |
PDF Source | archive.org |
NOTE - यदि आप Manusmrti in Hindi PDF मुफ्त में Download करना चाहते है तो निचे दिए गए Download बटन पर क्लिक करें।
Manusmrti in Hindi PDF
मनु और शतरूपा सम्पूर्ण पृथ्वी की पहली संतान मानी गयी है। इनकी उत्पति मैथुनी प्रक्रिया के द्वारा ब्रह्मा ने की थी। हिन्दू धर्म में मनु को आदि पिता के रूप में माना जाता है। मनु इस ब्रह्माण्ड के वह आदि पिता है, जिनके द्वारा आज तक की मानव सृष्टि का जन्म हुआ है।
मनु द्वारा मानव समाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ विशेष नियम तैयार किये गए, जिन्हे एक पुस्तक में संकलित किये गए है। इस पुस्तक को मनुस्मृति के नाम से जाना गया। यह ग्रन्थ बहुत ही प्राचीन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मनुस्मृति की रचना ईसा के जन्म से भी 300 साल पहले की गयी है।
जिस प्रकार वर्तमान में भारत के संविधान में IPC और CPC की धाराओं का प्रावधान किया गया है, ठीक उसी प्रकार मनुस्मृति में भी न्याय के लिए विशेष नियम तैयार संकलित थे।
अंग्रेजो के शासन के दौरान जिस प्रकार मुस्लिम न्याय के लिए शरिया कानून को अपनाते थे, ठीक उसी प्रकार हिन्दू धर्म के लोग मनुस्मृति पर आश्रित रहते है।
मनुस्मृति के 12 अध्याय का संक्षिप्त सार
मनुस्मृति के वर्तमान पाठ में 12 अध्याय तथा लगभग 2694 श्लोक शामिल है। यह सरल प्रवाहपूर्ण तथा पाणिनि सम्मत भाषा में रचित है। मनुस्मृति के 12 अध्याय का मूल सार निम्न है –
अध्याय-1 मनुस्मृति के प्रथम अध्याय के अंतर्गत जगत की उत्पति, युग कल्पना तथा धर्मशास्त्र की विषय वास्तु के बारे में जानकारी दी गयी है।
अध्याय-2 मनुस्मृति के द्वितीय अध्याय में धर्म के लक्षण, प्रारम्भिक संस्कार एवं ब्रह्मचारियो के कर्तव्यों के बारे मे बताय गया है।
अध्याय-3 मनुस्मृति के तृतीय अध्याय में गृह जीवन की प्रंशंसा की गयी है तथा समावर्तन और विवाह से सबंधित जानकारी दी गयी है।
अध्याय-4 इस अध्याय में गृहस्थ की जीवनचर्या, स्नातक के आचार अनध्याय के बारे में बताया गया है।
अध्याय-5 इस अध्याय के अंतर्गत आशौच, पवित्रीकरण तथा पत्नी एवं विधवा महिलाओ के मूल कर्तव्यों के बारे में बताया गया है।
अध्याय-6 मनुस्मृति के छठे अध्याय में वानप्रस्थ तथा सन्यास आश्रम के बारे में बताया गया है।
अध्याय-7 इस अध्याय के अंतर्गत राजधर्म, राजा के गुण-दोष, मंत्री-परिषद, दूत, युद्ध के नियम, समादि चार उपाय, कर-ग्रहण, षड्गुण तथा विजयी राजा के कार्यो के बारे में बताया गया है।
अध्याय-8 इस अध्याय के अंतर्गत एक राजा को न्याय व्यवहार किस प्रकार करना चाहिए तथा उसके 18 भेद के बारे में बताया गया है।
अध्याय-9 मनुस्मृति के नौवें अध्याय के अंतर्गत पति-पत्नी के कर्तव्य, उत्तराधिकारी, पुत्र के 12 भेद, स्त्रीधन, महापाप और प्रायश्चित, राज्य के सात अंग तथा वैश्य और शुद्रो के कर्तव्यों के बारे में बताया गया है।
अध्याय-10 इस अध्याय में वर्णो तथा जातियों के कार्य तथा जीविका साधन के बारे में बताया गया है।
अध्याय-11 इस अध्याय में दान की प्रशंशा, पूर्व के जन्म के पाप से शरीर दोष, उपपातक तथा प्रायश्चित के बारे में बताया गया है।
अध्याय-12 मनुस्मृति के अंतिम अथवा बारहवें अध्याय में कर्म, क्षेत्रज्ञ, नरक-कष्ट, निःश्रेयस, आत्मज्ञान, प्रवृत-निवृत कर्म, शास्त्राध्ययन के बारे में मुख्य रूप से बताया गया है।
वर्तमान में मनुस्मृति पर सोच
वर्तमान में मनुस्मृति चर्चा का विषय बना है। जो लोग इसे मान्यता प्रदान करते है, वे मनुवादी कहतथा है। मनुस्मृति को मानने वाले का अपना एक बड़ा समुदाय भी है। मनुस्मृति में शुद्रो और महिलाओ को शोषित वर्ग की श्रेणी में रखा गया है। मनुस्मृति के अनुसार महिलाओ का जन्म केवल पुरुषो की सेवा के लिए ही हुआ है।
महिलाये सबसे पहले अपने पिता के सांध्य में अपना जीवन व्यतीत करती है, उसके बाद उसकी शादी करवा दी जाती है। इस प्रकार उसके जीवन की बागडोर अब उसके पति के हाथ में चली जाती है, और उसे उम्र भर अपने पति की सेवा करनी होती है। इसके अतिरिक्त जब वह माँ बन जाती है, तो उसे अपने बच्चो की सेवा करनी होती है।
मनुस्मृति के अनुसार महिलाओ का जन्म केवल पुरुषो की सेवा के लिए हुआ है, यदि वे सच्चे मन से केवल पुरुषो की सेवा कर लेती है, तो उन्हें आसानी से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उसके जीवन का उधार हो सकता है।
दूसरी ओर मनुस्मृति में शुद्रो के सन्दर्भ में बात करे तो इन्हें भी शोषित वर्ग की श्रेणी में रखा गया है। मनुस्मृति के अनुसार शूद्रों का जन्म केवल उनके मालिक की सेवा करने के लिए हुआ है। मनुस्मृति के अनुसार शुद्रो को पढ़ने-लिखने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है और न ही उन्हें किसी भी प्रकार के व्यवसाय के माध्यम से अमिर बनने का अधिकार है।
वही यदि मनुस्मृति में ब्राह्मणो के बारे में जाने तो इसमें ब्राह्मणो को उच्च स्थान दिया गया है। मनुस्मृति में ब्राह्मणों के बारे में बहुत ही बढ़-चढ़ कर लिखा गया है। विलियम जोनस नामक एक अंग्रेज ने मनुस्मति का हिंदी अनुवाद किया, जिसके बाद मनुस्मृति को पूरी दुनिया में पढ़ा जाने लगा।
मनुस्मृति का प्रथम बार ज्योतिबाफुले द्वारा विरोध किया गया। इसके बाद डॉ भीमराव अम्बेडकर के अनुसार “जाति व्यवस्था उस ऊंचे माले की तरह है जिनमे ऊपर तक जाने के लिए कोई सीढियां नहीं है” इस प्रकार बाबा साहेब ने इसका विरोध करते हुए 25 जुलाई 1927 महाराष्ट्र के कोलाबा में मनुस्मृति का दहन किया था।
FAQs:- Manusmrti in Hindi PDF
Manusmrti PDF in Hindi मुफ्त में कैसे Download करे?
यदि आप हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ मनुस्मृति को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते है तो पोस्ट में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में डाउनलोड कर सकते है।
मनुस्मृति के जनक कौन है?
मनुस्मृति यानी मानवधर्मशास्त्र के रचयिता महाऋषि सुमति भार्गव है।
मनुस्मृति किस काल में लिखी गई थी?
मनुस्मृति दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और तीसरी शताब्दी ईस्वी के बीच लिखी गयी थी।
Conclusion:-
इस पोस्ट में Manusmrti in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही मनुस्मृति के 12 अध्यायो के मूल सार के बारे में जानकारी दी गयी है। उम्मीद करते है कि Mnusmrti PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Mnusmrti PDF in Hindi Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही Manusmriti in Hindi PDF gita press पोस्ट को अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे।
Download More PDF :-