आज की इस पोस्ट में हम आपको Phir Meri Yaad Book Pdf उपलब्ध करवाने वाले है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download Link की सहायता से आसानी से Download कर सकते है।
दोस्तों अगर आप भी कुमार विश्वाश की बुक फिर मेरी याद को पढ़ना चाहते हो तो आप एकदम सही पोस्ट पर आए हो क्योकि इस पोस्ट में Phir Meri Yaad बुक की पीडीऍफ़ उपलब्ध कराई है।
दोस्तों भारत के महान कवि या लेखक जिनको आज के दिन हर व्यक्ति जानता है और इनकी कविताएँ इतनी फेमस है की लोगो के द्वारा बार-बार सुनी जाती है। डॉ कुमार विश्वास ने एक पुस्तक लिखी थी जिसको बहुत सारे लोगो के द्वारा पसंद किया गया है। इस बुक की पीडीऍफ़ हमने पोस्ट में उपलब्ध कराई है जिससे की आप भी इस बुक को आसानी से पढ़ सको।
Phir Meri Yaad Book PDF Overview
PDF Title | Kumar Vishvas Ghazal [Phir Meri Yaad] |
---|---|
Category | Book |
No. of Pages | – |
PDF Size | – |
Language | Hindi |
Download Link | Available |
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Phir Meri Yaad Book Summery in Hindi
दोस्तों अगर आप गजल पढ़ना अच्छा लगता हो तो आपको कुमार विश्वास की गजल और शायरी एक बार जरूर पढ़नी चाहिए क्योकि बहुत सारे लोगो के द्वारा कुमार विश्वास की गजल को पसंद किया जाता है और इनकी गजल पुरे भारत में प्रशिद्ध है।
फिर मेरी याद बुक में कुमार विश्वास ने गजल और शायरी का भरपूर प्रयोग किया गया है जिससे की देश में अनेक लोगो के द्वारा इस पुस्तक को पसंद किया जा रहा है।
कुमार विश्वास का जन्म उतर प्रदेश में 10 फरवरी 1970 को हुआ था। कुमार विश्वास का वास्तविक नाम विश्वास कुमार शर्मा है। ये भारतीय हिंदी कवि है और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता भी रह चुके है। कुमार विश्वास आम आदमी के कार्यकर्ता थे। इनकी कविताओं को युवाओ के द्वारा बहुत ही पसंद की जाता है और युवाओ के प्रिय कवि है।
कुमार विश्वास हिंदी के प्रध्यापक भी रह चुके है और इनके द्वारा मंच संचालक, गायन, पाठन, लेखन और भी अन्य कार्य करने में निपुण है। कुमार विश्वास के पिता का नाम डॉ॰ चन्द्रपाल शर्मा है और माता का नाम श्रीमती रमा शर्मा है। इनके चार भाई और एक बहन थी जिसमे सबसे छोटे कुमार विश्वास थे।
इनको श्रृंगार रस का कवि भी माना जाता है। इनका एक सबसे प्रशिद्ध काव्य संग्रह ‘कोई दीवाना कहता है’ युवाओ के द्वार बहुत ज्यादा पसंद किया गया था।
कुमार विश्वास के पिता उन्हें इंजिनियर बनाना चाहते है थे लेकिन कुमार विश्वास कुछ और ही करना चाहते थे और साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए इन्होने कक्षा 12 के हिंदी साहित्य विषय रखा और स्नातोकोर भी साहित्य विषय से ही किया।
देश में अनेक जगहों पर कवी सम्मेलन करने जाते है और इनको देखने के लिए अनेक लोग जमा हो जाते है इन्होने विदेशो में भी कंही बार कवि सम्मलेन कर चुके है।
इनकी कविताएं लोगो द्वारा बहुत पसंद की जाती है। दत्त की चाय गर्म फिल्म में कार्य भी कर चुके है और इस फिल्म में अभिनेता रहे थे। इन्होने अनेक कविताएं लिखी जिसमे से कुछ नाम इस प्रकार है –
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो, मैं तो झोंका हूँ, बात करनी है, बात कौन करे, देवदास मत होना, साल मुबारक, तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा, एक पगली लड़की के बिन, रंग दुनिया ने दिखाया हैहो काल गति से परे चिरंतन, महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है, बाँसुरी चली आओ, हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें ऐसी ही और भी कविताओं की रचना कर चुके है।
कुमार विश्वास का काव्य संग्रहण ‘कोई दीवाना कहता है’ प्रकाशन के बाद कुल बारह वर्ष बाद ‘फिर मेरी याद’ काव्य संग्रहण प्रकाशित हुआ और यह काव्य संग्रहण तीसरा काव्य काव्य संग्रहण है। कुमार विश्वास के भारतीय संस्कृति का प्रतिपादन करती है और गीतों में अनेक कल्पनाएं देखने को भी मिलती है। गीत में प्रयुक्त हर शब्द का अर्थ बहुत ही गहरा दिखाई देता है।
भविष्य के लिए एक सुखद आश्वाशन प्रदान मिलता है। कुमार के गीतों में भावनाओं का जैसा सहज, कुंठाहीन प्रवाह है, कल्पनाओं का जैसा अभीष्ट वैचारिक विस्तार है। उम्र के लिहाज से देखा जाए तो नए कवी लगते है लेकिन कविताओं और गीतों में खूबसूरती झलकती है। जब कभी भी कंही पर कवि सम्मलेन करते है तब मंच की रौनक बढ़ जाती है।
मंच पर वह सुन्दर आवाज़, निराले अन्दाज़ और ऊँची परवाज़ के गीतकार, ग़ज़लकार और मंच पर क़हक़हे उगाते शब्दकार लोगो में जोश भर देते है। जब वे कविताएँ सुनाते है तब लोगो को एक नई दुनिया में ले जाते है।
गोपालदास नीरज के बाद अगर कोई कवि, मंच की कसौटी पर खरा लगता है, तो वो नाम कुमार विश्वास के अलावा कोई दूसरा नहीं हो सकता है। इसी प्रकार एक गीत जैसे –
कुछ कहते हैं, मैं सीखा हूं अपने जख्मों को खुद सी कर
कुछ जान गए, मैं हंसता हूं भीतर भीतर आंसू पी कर
कुछ कहते हैं, मैं हूं विरोध से उपजी एक खुद्दार विजय
कुछ कहते हैं, मैं रचता हूं खुद में मर कर खुद में जी कर
लेकिन मैं हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूं
लव कुश की पीर, बिना गाई सीता की राम कहानी हूं
सियासत में तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता
तेरी शर्तों पे गायब या नुमायां हो नहीं सकता
भले साजिश से गहरे दफ्न मुझको कर भी दो, पर मैं
सृजन का बीज हूं मिट्टी में जाया हो नही सकता।
चंद सांसें खरीदने के लिए
रोज कुछ ख्वाब बेच देता हूं.
बस थोड़ा-सा सुस्ताए थे बच कर दुनियादारी से
एक पुराना ख्वाब मिला है आंखों की अलमारी से
निष्कर्ष
इस पोस्ट में Phir Meri Yaad Book Pdf मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। उम्मीद करते है की Fir Meri Yaad Book Pdf Download Free में करने पर किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई होगी।
अगर Dr Kumar Vishwas Shayari Pdf पोस्ट पसंद आई हो तो आप इसे अपने साथियो के साथ जरूर शेयर करे। यदि पीडीऍफ़ डाउनलोड करने में कोई समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये।
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