Bhaye Pragat Kripala PDF | भये प्रगट कृपाला दीनदयाला स्तुति

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको Bhaye Pragat Kripala PDF निःशुल्क रूप से उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके आसानी के साथ Download कर सकते है।

इस सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने इस धरती पर समय-समय पर अधर्म के विनाश के लिए अलग-अलग रूपों में अवतार लिया। इन्ही रूप में एक अवतार राम का है। भगवान राम को सनातन धर्म में मर्यादापुरुषोतम कहा गया है। आज भी कई लोग भगवान राम के आदर्शो पर चलने का प्रयास करते है।

भय परगट कृपाला एक प्रकार की राम स्तुति है। आज कई लोगो को भगवान राम की पूजा के बाद उनकी स्तुति के बारे में जानकारी के भाव के कारण इस स्तुति का पाठ नहीं कर पाते है। लेकिन यदि आप प्रभु श्री राम की आराधना के लिए भय प्रगट कृपाला स्तुति का पाठ करना चाहते है, तो इस पोस्ट में दी गयी स्तुति को PDF फॉर्मेट में Download कर सकते है।

Bhaye Pragat Kripala PDF Details

PDF Title Bhaye Pragat Kripala PDF
Language Hindi
Category Religion
PDF Size 222 KB
Total Pages 3
Download Link Available
PDF Source Jivanijano.com
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Bhaye Pragat Kripala Lyrics in Hindi | भये प्रगट कृपाला दीनदयाला स्तुति

भये प्प्रगट कृपाला दीन दयाला, कौशिल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप निहारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनश्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषण बन माला, नयन विशाला, शोभा सिंधु खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, स्तुति तोरी, केहि विधि करूं अनंता ।
माया गुण ग्यानातीत अमाना, वेद पुराण भनंता ॥

करुणा सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, प्रकट भये श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति वेद कहे ।
मम उर सो वासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहे ॥

उपजा जब ज्ञाना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहे ।
कहि कथा सुनाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहे ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहुँ तात यह रूपा ।
कीजे शिशुलीला, अति प्रियशीला, यह सुख परम अनूपा ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहुँ तात यह रूपा ।
कीजे शिशुलीला, अति प्रियशीला, यह सुख परम अनूपा ॥

|| दोहा ||
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला स्तुति हिंदी अनुवाद सहित | bhai kripala deen dayala lyrics

भये प्प्रगट कृपाला दीन दयाला, कौशिल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप निहारी ॥

अर्थ- माता कौशिल्‍या जी के हितकारी और दीन दुखियों पर दया करने वाले कृपालु भगवान आज प्रकट हुये। मुनियों के मन को हरने वाले तथा सदैव मुनियों के मन में निवास करने वाले भगवान के अदभुत रूप का विचार करते ही सभी मातायें हर्ष से भर गयी।

लोचन अभिरामा, तनु घनश्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषण बन माला, नयन विशाला, शोभा सिंधु खरारी ॥

अर्थ- जिनका दर्शन नेत्रों को आनंद देता है, जिनका शरीर बादलों के जैसा श्‍याम रंग का है तथा जो अपनी चारों भुजाओं में अपने शस्‍त्र धारण किये हुये हैं।  जो वन माला को आभूषण के रूप में धारण किये हुये हैं, जिनके नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है तथा जिनकी कीर्ति समुद्र की तरह अपूर्णनीय है ऐसे खर नामक राक्षक का वध करने वाले भगवान आज प्रकट हुये हैं।

कह दुइ कर जोरी, स्तुति तोरी, केहि विधि करूं अनंता ।
माया गुण ग्यानातीत अमाना, वेद पुराण भनंता ॥

अर्थ- दोनों हाथ जोड़कर मातायें कहने लगी- हे अनंत (जिसका पार न पाया जा सके) हम तुम्‍हारी स्‍तुति और पूजा किस विधि से करें, क्‍योंकि वेदों और पुराणों ने तुम्‍हें माया, गुण और ज्ञान से परे बताया है।

करुणा सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, प्रकट भये श्रीकंता ॥

अर्थ- दया, करुणा और आनंद के सागर तथा सभी गुणों के धाम ऐसा श्रुतियॉ और संतजन जिनके बारे में हमेशा बखान करते रहते हैं। जन-जन पर अपनी प्रीति रखने वाले ऐसे श्री हरि नारायण भगवान आज मेरा कल्‍याण करने के लिए प्रकट हुये हैं।

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति वेद कहे ।
मम उर सो वासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहे ॥

अर्थ- जिनके रोम रोम में कई ब्रम्‍हाण्‍डों का सृजन होता है और जिन्‍होंने ही संपूर्ण माया का निर्माण किया है, ऐसा वेद बताते हैं। माता कहती हैं कि ऐसे भगवान मेरे गर्भ में रहे, यह बहुत ही आश्‍चर्य और हास्‍यास्‍पद बात है, जो भी धीर व ज्ञानी जन यह घटना सुनते हैं वे अपनी बुद्धि खो बैठते हैं।

उपजा जब ज्ञाना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहे ।
कहि कथा सुनाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहे ॥

अर्थ-  माता को इस प्रकार की ज्ञानवर्धक बातें कहते देख प्रभु मुस्‍कुराने लगे और सोचने लगे कि माता को ज्ञान हो गया है। प्रभु अवतार लेकर कई प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। तब प्रभु ने पूर्व जन्‍म की कथा माता को सुनाई और उन्‍हें समझाया कि वे किस प्रकार से उन्‍हें अपना वात्‍सल्‍य प्रदान करें और पुत्र की भांति प्रेम करें।

माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहुँ तात यह रूपा ।
कीजे शिशुलीला, अति प्रियशीला, यह सुख परम अनूपा ॥

अर्थ-  प्रभु की यह बातें सुनकर माता कौशिल्‍या की बुद्धि में परिवर्तन हो गया और वे कहने लगी कि आप यह रूप छोड़कर बाल्‍य रूप धारण करें और बाल्‍य लीला करें तो सबको प्रिय लगे। हमारे लिये यही सुख सबसे उत्‍तम है कि आप सुंदर बाल्‍य रूप में प्रकट हों।

सुनि वचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥

अर्थ- माता का यह प्रेम भरा भाव सुनकर, सबके मन की जानने वाले भगवान श्री सुजान, बालक रूप में प्रकट होकर बच्‍चों की तरह रोने लगे। बाबा श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान के स्‍वरूप का यह सुंदर चरित्र जो कोई भी भाव से गाता है, वह भगवान के परम पद को प्राप्‍त होता है और दोबारा इस संसार रूपी कुंए में गिरने से मुक्‍त हो जाता है।

|| दोहा ||
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥

अर्थ- धर्म की रक्षा करने वाले ब्राम्‍हणों, धरती का उद्धार करने वाली गौ माता, देवताओं और संतों का हित करने के लिए भगवान श्री हरि ने अवतार लिया।

Conclusion :-

इस पोस्ट में Bhaye Pragat Kripala PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। उम्मीद करते है कि bhaye kripala deen dayala lyrics Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।

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