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रुद्राष्टक पाठ भगवान शिव की स्तुति के लिए किया जाता है। इसकी रचना संत तुलसीदास जी के द्वारा की गयी है। यदि आप भी भगवान शिव के परम् भक्त है और उनकी सच्चे दिल से आराधना करना चाहते तो आपको भी इस पाठ का जाप अवश्य ही करना चाहिए। जिससे भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे।
इस पोस्ट में हम आपको भगवान शिव की स्तुति के लिए रुद्राष्टकम Pdf फॉर्मेट में उपलब्ध करवाने जा रहे है, साथ ही इस पाठ के जाप की सही विधि के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है। यदि आप सही विधि के साथ नमामि शमीशान पाठ का जाप करना चाहते है, जिससे भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहे तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
Namami Shamishan PDF Details
PDF Title | Namami Shamishan Lyrics in Hindi |
---|---|
Language | Hindi |
Category | Religion |
PDF Size | 66 KB |
Total Pages | 3 |
Download Link | Available |
PDF Source | Allbhajanlyrics.com |
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Namami Shamishan Lyrics in Hindi PDF
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विंभुं ब्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरींह। चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।।
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।।
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोऽहं।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा।।
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं।।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।।
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं।।
त्रयःशूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्जनान्ददाता पुरारी।।
चिदानंदसंदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं। भजंतीह लोके परे वा नराणां।।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोऽहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं।।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो।।
श्लोक-रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति।।9।।
रुद्राष्टकम पाठ का हिंदी अर्थ
जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।
जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं। सुंदर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकंठ और दयालु हैं। सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।
प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।
कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।
जब तक मनुष्य श्री पार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, न ही परलोक में सुख-शांति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए।
मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दुख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिए। हे शंभो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
नमामी शमीशान पाठ से होने वाले लाभ
यदि भगवान शिव की सच्चे दिल से आराधना करते है तो आपको निम्न लाभ प्राप्त होते है –
- यदि आपकी कुंडली में चन्द्रमा का दोष है तो इस पाठ के माध्यम से भगवान शिव की आराधन करने से आपका अशुभ चन्द्रमा शुभ प्रबह्व देना शुरू कर देता है।
- ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर रुद्राष्टक का पाठ किया था, जिससे वे अपने शत्रु को पराजित करने में सफल हुए। ठीक इसी प्रकार यदि आप लगातार 7 दिनों तक रुद्राष्टक पाठ का जाप करते है तो आप शत्रु भय मुक्त हो जाते है।
- इस पाठ के जाप से आपके जीवन में आने वाई परेशानियां दूर होती है।
- भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहता है।
नमामी शमीशान पाठ की सही विधि
भवन शिव की आराधना के लिए इस पाठ का जाप निम्न विधि अनुसार अवश्य करें –
- इस पाठ का जाप सोमवार के दिन सबसे शुभ माना जाता है, इसके अतिरिक्त आप इसे रोजाना भी कर सकते है।
- सबसे पहले प्रातःकाल में स्नान करें
- स्वस्थ वस्त्र धारण करे।
- अब अपने घर या अपने आस-पास के उस स्थान पर चले जाए जहां पर शिवलिंग स्थापित हो।
- शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाये।
- पुष्प अर्पित करें।
- अब लाल वस्त्र का ऊन का आसन्न लगाए और इस पर बैठ जाए।
- इसके बाद अपने मन को एकाग्र कर पाठ आरम्भ करें।
- पाठ समाप्ति के बाद शिवलिंग के सामने नतमस्तक होकर अपने जीवन में चल रही समस्याओ के निवारण के लिए दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
FAQs:- Namami Shamishan Nirvan Roopam PDF
Namami Shamishan PDF Free Download कैसे करें?
रुद्राष्टकम पढ़ने से क्या होता है?
शिव रुद्राष्टकम किसने लिखा था?
Conclusion:-
इस पोस्ट में Namami Shamishan PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही इस पाठ से होने वाले लाभ तथा सही विधि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। उम्मीद करते है कि Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
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