दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में Download कर सकते है।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र और बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। माना जाता है कि तुलसी में देवी लक्ष्मी जी क वस्ह होता है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन प्रदोष काल यानी सांयकाल में विधि विधान से तुलसी विवाह (tulsi vivah)करवाना हिंदू धर्म में काफी शुभ माना गया है।
लेकिन क्या आप तुलसी विवाह के इतिहास के बारे में जानते है कि आखिर में तुलसी विवाह क्यों किया जाता है। यदि नहीं तो इस पोस्ट में उपलब्ध तुलसी विवाह कथा को पढ़कर आप तुलसी विवाह के इतिहास के बारे में विस्तार से जान सकते है और आप इस कथा को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते है।
Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF Details
PDF Title | Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF |
---|---|
Language | Hindi |
Category | Religion |
PDF Size | 14 MB |
Total Pages | 38 |
Download PDF | Available |
PDF Source | – |
NOTE - Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF Free Download करने के लिए नीचे दिए गए Download बटन पर क्लिक करे।
Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF | तुलसी विवाह कथा
तुलसी विवाह की कथा ऐतिहासिक कथा है। प्राचीन काल में जलधंर राक्षस का उत्पात था। देवता भी इस राक्षस के भय से भयभीत थे। जलंधर ने अपनी वीरता और पराक्रम से चारो दिशाओ में उत्पात मचा रखा था। इसकी वीरता और पराक्रम के वजह उसकी पत्नी वृंदा थी। जो उसके लिए पतिव्रता का धर्म धारण कर रखा था।
जिसके कारण वह किसी भी देवता से परास्त नहीं हो सकता हो सकता था। जलंधर का विनाश करने के लिए सभी देवता विष्णु जी के पास गए। इसके लिए एक योजना तैयार की गयी। विष्णुजी ने उसकी पत्नी की पतिव्रता को तोड़ने के लिए जलंधर का नकली वेश धारण करके वृंदा को स्पर्श किया।
इस प्रकार वृंदा की पतिव्रता भंग हो गयी और उसी क्षण जलधंर जो देवताओ के साथ युद्ध करा रह था, उसका सिर वृंदा के आँगन में आ गिरा। जब वृन्दा को विष्णुजी द्वारा किये गए छल के बारे पता चला तो उसी वक्त वृंदा जी को श्राप दिया कि जिस प्रकार आज आपने मुझे आपने पति वियोग दिया है, ठीक उसी प्रकार तुम्हारी पत्नी का भी हरण होगा और तुम स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्युलोक में जन्म लोंगे।
श्राप देने के बाद वृंदा अपने पति के साथ सती हो गयी। इसके बाद जब प्रभु श्री राम ने अयोध्या में जन्म लिया तो रावण द्वारा सीता के अपहरण के पश्चात स्त्री वियोग में वन-वन भकटकना पड़ा। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि जिस जगह पर वृंदा सती हुई थी, उस जगह से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।
तुलसी पूजा विधि
यदि आप तुलसी पूजन विधि के बारे में सुव्यवस्थित से जानना चाहते है तो निम्न बिन्दुओ का अनुसरण अवश्य करे –
- प्रातः काल में उठकर स्नान करे तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
- अब सूर्य भगवान को जल अर्पित करे।
- सबसे पहले पूर्व की और मुख करके तुलसी को प्रणाम करे।
- इसके बाद शुद्ध जल अर्पित करे।
- अब एक शुद्ध घी का दीपक जलाकर आरती करे।
- तुलसी पूजा की समाप्ति के बाद अपने परिवार की खुशहाली के लिए कामना करे।
तुलसी में जल चढ़ाने की विधि
यदि आप तुलसी जी को प्रतिदिन जल चढ़ाते है, लेकिन आप इसकी विधि के बारे में नहीं जानते है तो निम्न विधि को फॉलो जरूर करे –
- तुलसी जी को जल चढ़ाते समय याद रहे है कि जल हमेशा तुलसी की जड़ो में ही चढ़ाये।
- जल चढ़ाते हुए तीन बार तुलसी की परिक्रमा करे।
- पहली बार परिक्रमा करने के बाद थोड़ा सा जल तुलसी जी की जड़ो में चढ़ाये।
- फिर द्वितीय परिक्रमा के दौरान जल चढ़ाकर परिक्रमा सम्पन्न करे।
- इसके बाद तीसरी परिक्रमा में भी इसी स्थिति को दोहराये।
- इसके बाद चौथे चक्कर में बचा हुआ जल तुलसी के अग्र भाग में चढ़ा दे।
घर में तुलसी का पौधा कब और कहाँ लगाना चाहिए
यदि आप इस पवित्र तुलसी को अपने घर में लगाना चाहते है तो हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कार्तिक का महीना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके अतिरिक्त गुरूवार और शुक्रवार के दिन भी घर में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है।
वही दूसरी और यदि बात करे कि घर में तुलसी का पौधा कहा लगाना चाहिए, तो हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पौधे को सदैव घर में आँगन में लगाना शुभ माना गया है। इसके अतिरिक्त यदि आप किसी शहर में रहते है और आपके घर में आँगन नहीं है तो आप इसे बालकनी में उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगा सकते है।
तुलसी के पत्ते कब नहीं तोड़ने चाहिए
तुलसी के पत्ते को रविवार, एकादशी, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, संक्राति, द्वादशी तथा सांयकाल में तोडना अशुभ होता है। ध्यान रखे कि तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ने चाहिए। दूसरे किसी भी समय में तुलसी के पत्ते तोडना शुभ नहीं माना गया है। तुलसी के पत्ते कभी भी वासी नहीं होते है। इन्हे तोड़ने के बाद भी इन्हे कही दिनों के बाद भी पूजा में शामिल किया जा सकता है।
FAQs : Tulsi Katha in Hindi
Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF मुफ्त में कैसे Download करें?
यदि आप तुलसी विवाह कथा PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते है तो पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में Download कर सकते है।
तुलसी विवाह की कहानी क्या है?
वृंदा के राख से तुलसी का पौधा निकला। वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से कराया।
वृंदा किसकी बेटी थी?
वृंदा दैत्यराज कालनेमी की कन्या थी।
Conclusion:-
इस पोस्ट में Tulsi Vivah Katha in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही तुलसी पूजा की विधि और इसके कुछ विशेष नियमो के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। उम्मीद करते है कि Tulsi Vivah Katha PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Tulsi Vivah ki Katha PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या हो रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।
Download PDF:-