नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिसे आप पोस्ट में दिए गए Download Link पर क्लिक करके आसानी से फ्री में Download कर सकते है।
ऐगिरी नंदिनी गीत प्रसिद्ध गीत में से एक है। यह गीत माता दुर्गा के गुणों, साहस और माता दुर्गा की बुरी शक्तियों पर विजय का गुणगान करता है। इस गीत को त्योहारों और धार्मिक समाराहों के दौरान बड़े ही उत्साह के साथ भक्तो द्वारा गाया जाता है। वैसे तो देवी की आरधना करने के लिए कई तरीके है, परन्तु यह पाठ उन सब में से लाभदायक माना जाता है।
यदि आप भी इस गीत का वाचन करना चाहते है और देवी के गुणों का गुणगान करना चाहते है, तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े, जिसके अंतर्गत ऐगिरी नंदिनी गीत PDF फॉर्मेट में उपलब्ध करवाया गया है।
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF Details
PDF Title | Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF |
---|---|
Language | Hindi |
Category | Religion |
PDF Size | 1 MB |
Total Pages | 28 |
Download Link | Available |
PDF Source | instapdf.in |
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Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 1 ॥
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि कल्मषमोषिणि घोररते । [किल्बिष-, घोष-]
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 2 ॥
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्बवनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 3 ॥
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते [-चण्ड]
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 4 ॥
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचारधुरीण महाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशय दुर्मति दानवदूत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 5 ॥
अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभयदायकरे
त्रिभुवन मस्तक शूलविरोधि शिरोधिकृतामल शूलकरे ।
दुमिदुमितामर दुन्दुभिनाद महो मुखरीकृत तिग्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 6 ॥
अयि निजहुङ्कृतिमात्र निराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिव शिव शुम्भ निशुम्भ महाहव तर्पित भूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 7 ॥
धनुरनुसङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनक पिशङ्ग पृषत्कनिषङ्गरसद्भट शृङ्ग हतावटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 8 ॥
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिन्धिमित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 9 ॥
जय जय जप्य जये जय शब्दपरस्तुति तत्पर विश्वनुते
भण भण भिञ्जिमि भिङ्कृतनूपुर सिञ्जितमोहित भूतपते । [झ-, झिं-]
नटितनटार्ध नटीनटनायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 10 ॥
अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर कान्तियुते
श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनीकर वक्त्रवृते ।
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 11 ॥
सहित महाहव मल्लम तल्लिक मल्लित रल्लक मल्लरते
विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक भिल्लिक भिल्लिक वर्ग वृते ।
सितकृत फुल्लसमुल्लसितारुण तल्लज पल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 12 ॥
अविरलगण्डगलन्मदमेदुर मत्तमतङ्गज राजपते
त्रिभुवनभूषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहनमन्मथ राजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 13 ॥
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलय क्रमकेलिचलत्कलहंसकुले ।
अलिकुल सङ्कुल कुवलय मण्डल मौलिमिलद्भकुलालि कुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 14 ॥
करमुरलीरव वीजित कूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलित पुलिन्द मनोहर गुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगुणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 15 ॥
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयूखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे ।
जितकनकाचल मौलिपदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 16 ॥
विजित सहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृत सुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधि समाधि सुजातरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 17 ॥
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं स शिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 18 ॥
कनकलसत्कल सिन्धुजलैरनुसिञ्चिनुते गुणरङ्गभुवं
भजति स किं न शचीकुचकुम्भ तटीपरिरम्भ सुखानुभवम् ।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवं
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 19 ॥
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूत पुरीन्दुमुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 20 ॥
अयि मयि दीनदयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथाऽनुभितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररि कुरुतादुरुतापमपाकुरु ते [मे]
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 21 ॥
इति श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् ॥
क्या है मां महिषासुरमर्दिनी स्रोत के पाठ की विधि-
यदि आप इस पाठ का सही विधि से जाप करते है तो आपको अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है। लेकिन यदि आप इसकी सही विधि के बारे में नहीं जानते है तो निचे दिए गए बिन्दुओ का अनुसरण कर सकते है –
- सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अपने सामने माँ की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर ले।
- इसके बाद माँ की प्रतिमा पर पुष्प्प की माला अर्पित करें।
- इसके बाद एक घी का दीपक प्रज्वलित करे।
- अब माँ की आरती के साथ पूजा के करे।
- एक स्वच्छ आसन पर विराजमान हो जाए।
- इसके बाद शांत चित्त होकर एकाग्र मन से महिषासुरमर्दिनी स्रोत का पाठ करें।
- साथ ही समय सीमा का भी ध्यान रखें, पूरे पाठ में केवल 10 से 15 मिनट लगते हैं।
- पाठ की समाप्ति के बाद माँ के चरणों में स्वयं को अर्पित करके माँ से अपने जीवन में चल रही सभी कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
FAQs:- Aigiri Nandini PDF in Hindi
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF Free Download कैसे करे?
यदि आप ऐगिरी नंदिनी लिरिक्स PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते है तो पोस्ट में दिए गए Download बटन पर क्लिक करके आसानी से फ्री में Download कर सकते है।
ऐगिरी नंदिनी का जाप क्यों किया जाता है?
ऐगिरी नंदिनी परमात्मा के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना पैदा करती है । यह व्यक्तियों को देवी दुर्गा का आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने और उनकी दिव्य उपस्थिति में सांत्वना पाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम में कितने श्लोक हैं?
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम में कुल 21 श्लोक शामिल है।
Conclusion:-
इस पोस्ट में Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही इस पाठ की सही विधि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। उम्मीद करते है कि Aigiri Nandni PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Aigiri Nandini Lyrics in Hindi PDF Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आए रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही Aigiri Lyrics in Hindi पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।
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